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आदिकाल

आदिकाल

आदिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ

1. सरहपाद (769 ई.) : दोहाकोश।
2. स्वयम्भू (8वीं सदी) : 1.पउम चरिउ (पद्म-चरित, रामकाव्य), 2. रिट्ठणेमि चरिउ, 3.नागकुमार चरिउ, 4. स्वयम्भू छंद (पउम चरिउ (रामकाव्य) के कारण स्वयंभू को अपभ्रंश का वाल्मीकि कहा जाता है)।
3. जोइन्दु (8वीं शती) : परमप्पयासु (परमात्म प्रकाश, मुक्तक काव्य), योगसार
4. पुष्पदंत (10वीं सदी) : महापुराण, णायकुमार चरिउ (नागकुमार-चरित), जसहर चरिउ (यशधर-चरित), कोश ग्रंथ। महापुराण में इन्होंने कृष्णलीला का वर्णन किया है, इसलिए अपभ्रंश का व्यास कहा जाता है।
5. धनपाल (10वीं सदी) : भविसयतकहा (भविष्यदत्त कथा, एक बनिए की कहानी)
6. देवसेन : श्रावकाचार (933 ई., सावयधम्म दोहा, डॉ. नगेन्द्र के अनुसार हिन्दी का पहला काव्यग्रंथ), लघुनयचक्र, दर्शनसार, तत्वसार,भावसंग्रह, ।
7. मुनि राम सिंह : पाहुड़ दोहा (11वीं शती)
8. मुनि कनकामर : करकण्ड चरिउ (11वीं शती)
9. नयनन्दी : सुदंसणचरिउ (11वीं शती)
10. वीर : जम्बूसामिचरिउ (11वीं शती, श्रृंगार-वैराग्यपरकचरित-काव्य)
11. धवल : हरिवंश पुराण (11वीं शदी)
12. पदमकीर्ति : पासचरिउ (11वीं शती)
13. कुशल लाभ : ढोला मारु रा दूहा (11वीं सदी, श्रृंगारकाव्य)
14. अज्ञात : मुंजरास (1093 ई. के आसपास)
15. देवसेन गणि : सुलोचनाचरिउ (12वीं शती)
16. जिनदत्त सूरि : उपदेश रसायन रास (1143 ई.), कालस्वरूपकुलक, चर्चरी
17. अब्दुर्रहमान : संदेश रासक (1147 ई. के आसपास)
18. नरपति नाल्ह : बीसलदेवरासो (1155 ई.)
19. सोमप्रभ सूरि : कुमारपाल प्रतिबोध (1184 ई., चम्पूकाव्य)
20. शालिभद्र सूरि : भरतेश्वर बाहुबलीरास (1184 ई., मुनि जिन विजय के अनुसार जैन साहित्य की रास परम्परा का प्रथम ग्रंथ), बुद्धि रास (1184 ई.), पंचपंडवरास (1253 ई.)
21. मधुकर कवि : जयमयंक-जसचंद्रिका (1186 ई.)
22. हेमचंद्र सूरि (1085 ई.-1172 ई., कलिकालसर्वज्ञ) : कुमारपाल चरित, हेमचंद्रशब्दानुशासन, देशी नाममाला, छन्दानुशासन, योगश।स्त्र
23. आसगु : चन्दनबालारास (1200 ई., खंडकाव्य, करुण रस की रचना), जीवदयारास (1200 ई.)
24. जिन धर्म सूरि : जम्बूस्वामीरास (1200 ई.), स्थूलिभद्ररास (1209 ई.)
25. नरपति नाल्ह : बीसलदेवरासो (1212 ई.)
26. श्रीधर (12-13वीं शती) : रणमल छंद, पारीछत रायसा, पासणाथचरिउ, सुकुमालचरिउ, भविसयत्तचरिउ)।
27. विनयचन्द्र सूरि : नेमिनाथ चतुष्पादिका (13वीं शती)
28. लाखु : जिनदत्तचरिउ, अगवयरयणपरिय (13वीं शती)
29. राजशेखर सूरि : नेमिनाथ फागु (13वीं-14वीं सदी)
30. सुमति गणि : नेमिनाथरास (1213 ई., नेमिनाथ-चरित)
31. विजयसेन सूरि : सुरिरेवन्तगिरिरास (1231 ई.)
32. जिन पदम सूरि : धूमि भद्दफाग (1243 ई.)
33. जैनाचार्य मेरुतुंग : प्रबंध चिंतामणि (1304 ई.)
34. प्रज्ञातिलक : कच्छूलिरास (1306 ई.)
35. चन्दरबरदाई : पृथ्वीराज रासो (1343 ई.)

36. विजयप्रभ उपाध्याय : गौतमस्वामी रास (1355 ई.)
37. सारंगधर : हम्मीर रासो (1357 ई., अपभ्रंश)
38. देवप्रभ : कुमारपाल रास ((1378 ई.)
39. नल्ह सिंह : विजयपाल रासो (16वीं सदी के बाद)
40. जगनिक : परमाल रासो या आल्हा खंड (16वीं सदी-17वीं सदी)
41. माधवदास चारण : राम रासो (1618 ई.)
42. कुम्भकर्ण (1681 ई.से 1724 ई.) : रतन रासो
43. दयाल कवि : राणा रासो (1619 ई.)
44. न्यामत ख़ां जान : क़ायम रासो (1634 ई.)
45. राव डुगरसी : छत्रसाल रासो (1653 ई. के लगभग)
46. कीर्तिसुन्दर : माकन रासो (1700 ई.)
47. दलपति विजय : खुमान रासो (1720 ई., राजस्थानी हिंदी)
48. गुलाब कवि : करहिया कौ रायसो (1777 ई.)
49. अलिरसिक गोविन्द : कलियुग रासो (1808 ई.)
50. देवसेनमणि : सुलोचना चरिउ
51. वरदत्त : बैरसामि चरिउ

52. हरिभद्र सूरी : णाभिणाह चरिउ
53. धाहिल : पउमसिरी चरिउ
54. लक्खन : जिवदत्त चरिउ
55. जल्ह कवि : बुद्धि रासो
56. माधवदास चारण : राम रासो
57. देल्हण : सुकुमाल रासो
58. केदार : जयचंद प्रकाश
59. लक्ष्मीधर : प्राकृत पैंगलम (14वीं सदी)
60. श्यधू : धन कुमार चरित
61. रइधू (15वीं शती) : वलहद्दचरिउ, जसहरचरिउ, पासणाहचरिउ, मेहेसरचरिउ, संतिनाहचरिउ
62. अमीर खुसरो (1255-1324 ई.) : किस्सा चहार दरवेश, खालिक बारी (शब्दकोश)
63. विद्यापति : कीर्तिलता, कीर्तिपताका, विद्यापति पदावली (मैथिली)
64. हरप्रसाद शास्त्री : बौद्धगान और दोहा (1916 ई.)
65. राहुल सांकृत्यायन : हिन्दी काव्यधारा

आदिकाल विशेष

 

आदिकाल का नामकरण
चारणकाल- जार्ज ग्रियर्सन
आरम्भिककाल- मिश्रबन्धु
आदिकाल, वीरगाथाकाल- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
संधिकाल, चारणकाल-सिद्धसामन्त युग रामकुमार वर्मा
बीजवपनकाल- महावीर प्रसाद द्विवेदी
अपभ्रंशकाल- गुलेरी एवं धीरेन्द्र वर्मा
आदिकाल- हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
वीरकाल- विश्वनाथप्रसाद मिश्र

आदिकालीन गद्य-साहित्य

उद्योतन सूरि : कुवलयमाला कथा (773 ई.)
रोडा कवि : राउलवेल (चम्पू-काव्य की प्राचीनतम और नख-शिख वर्णन की श्रृंगार परम्परा की पहली कृति)
पं दामोदर शर्मा : उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण (12वीं सदी) व्याकरण की घद्य-पद्य में रचित महत्वपूर्ण पुस्तक
ज्योतिरीश्वर ठाकुर : वर्णरत्नाकर (14वीं सदी) ज्योतिरीश्वर ठाकुर द्वारा मैथिली में रचित शब्दकोश-सी रचना
विद्यापति : कीर्तिलता (गद्य-पद्य में रचित)
उपर्युक्त रचनाओं का सही अनुक्रम : कुवलयमाला कथा, राउलवेल, उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण, वर्णरत्नाकर, कीर्तिलता
आदिकाल में रचित खण्ड-काव्य :
1. अब्दुर्रहमान कृत संदेशरासक
2. नरपतिनाल्ह कृत बीसलदेव रासो
3. जिनधर्मसुरि कृत थूलिभद्दफाग
4. भरतेश्वर बाहुबली रास (1184 ई., शालिभद्र सूरि)
5. चन्दन बाला रास (1200 ई., आसगु)

हिन्दी का प्रथम कवि

स्वयंभु – डॉ. रामकुमार वर्मा
सरहपा – राहुल साकृंत्यायन
राजा मुंज – ‘गुलेरी’और शुक्ल
शलिभ्रद सूरि – गणपति चन्द्र गुप्त

हिन्दी की प्रथम रचना

डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त ने शलिभ्रद सूरि कृत ‘भरतेश्वर बाहुबलिरास’(1184 ई.) को हिन्दी की प्रथम रचना माना है।
सर्वमान्य मत के अनुसार जैन आचार्य देवसेन कृत श्रावकाचार को हिन्दी की प्रथम रचना माना गया है (933 ई.)
हिन्दी का पहला काव्यग्रंथ : देवसेन कृत श्रावकाचार (933 ई., डॉ. नगेन्द्र के अनुसार हिन्दी का पहला काव्यग्रंथ)
हिन्दी का प्रथम महाकाव्य : पृथ्वीराज रासो (चन्दरबरदाई)
हिन्दी का प्रथम महाकवि : चन्दरबरदाई
जैन-परम्परा का प्रथम ग्रंथ : शालिभद्र सूरि कृत भरतेश्वर बाहुबली रास (1184 ई.)
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार हम्मीर अमीर का विकृत रूप है।
चन्द्रधर शर्मा गुलेरी ने अपभ्रंश को पुरानी हिन्दी कहा है।
कीर्तिपताका की भाषा को स्वयं विद्यापति ने अवहट्ठ कहा है।

भाषा का सही अनुक्रमः संस्कृत, पालि, प्राकृत. अपभ्रंश, अवहट्ठ, हिन्दी।
आचार्य शुक्ल के अनुसार नवनाथ का क्रम इस प्रकार है :
नागार्जुन, 2. जड़भरत, 3. हरिश्चन्द्र, 4. सत्यनाथ 5. भीमनाथ, 6. गोरखक्षनाथ, 7. चर्पटनाथ, 8. जलन्धरनाथ 9. मलयार्जुन।

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा स्वीकृत वीरगाथाकालीन 12 ग्रंथ

1. विजयपाल रासो-नल्हसिंह (सं, 1350), 2. हम्मीर रासो-सारंगधर (सं. 1357), 3. कीर्तिलता-विद्यापति (सं. 1460) , 4. कार्तिपताका-विद्यापति (सं. 1460) 5. खुमान रासो-दलपति विजय (सं.1180-1205), 6. बीसलदेव रासो-नरपति नाल्ह (सं 1292), 7. पृथ्वीराज रासो-चन्दरबरदाई (सं. 1225-1249), 8. जयचन्द प्रकाश-भट्ट केदार (सं. 1225), 9. जयमयंक जसचन्द्रिका-(सं.1240), 10. परमाल रासो- जगनिक (सं. 1230), 11. ख़ुसरो की पहेलियाँ-अमीर खुसरो (सं 1230), 12. विद्यापति की पदावली-विद्यापति (सं.1460)।

मिश्र-बन्धु द्वारा उल्लिखित आदिकालीन रचनाएँ
1. भगवतगीता, 2. वृद्धनवकार, 3. वर्तमाल, 4. संवतसार, 5. पत्तलि, 6. अनन्ययोग, 7. जम्बूस्वामी रासा, 8. रेवन्तगिरि रासा, 9. नेमिनाथ चउपई, 10. उवएस माला।
हज़ारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार नवनाथ का क्रम इस प्रकार है :
मत्स्येन्द्रनाथ, 2. गाहनिनाथ, 3. ज्वालेन्द्रनाथ, 4. करनिपानाथ, 5. नागनाथ, 6. चर्पटनाथ, 7. रेवानाथ, 8. भर्तृनाथ, 9. गोपीचन्द्रनाथ।
नाथसिद्धों की सूची हज़ारीप्रसाद द्ववेदी के अनुसार
मीननीथ
गोरखनाथ
चौरंगीनाथ
चामरीनाथ
ततिपा
हालिपा……
वज्रयान सिद्धों की सूची हज़ारीप्रसाद द्ववेदी के अनुसार
सरहपा, शबरपा, भुसूपा, लुइपा, विरूपा, डोम्बिपा, दारिकपा, गंडरिपा, कुकुरिपा, कमरिपा, कण्हपा, गोरक्षपा, तिलोपा और शांतिपा।
सहजयानी सिद्धों की सूची हज़ारीप्रसाद द्ववेदी के अनुसार
लूहिपा
लीलापा
विरूपा
दोम्भिपा
शबरीपा

सरहपा……

सिद्ध, जैन और नाथ साहित्य
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सिद्धों की संख्या 84 है। इन्होंने बौद्ध धर्म के वज्रयान शाखा के प्रचार-प्रसार के लिए ग्रंथ लिखे।
प्रमुख सिद्ध एवं उनकी रचनाएँ
1. सरहपा (769 ई.) : दोहाकोश, उपदेश गीति, द्वादशोपदेश, डाकिनीगुहयावज्रगीति, चर्यागीति, चित्तकोष अजव्रज गीति । इनके कुल 32 ग्रंथ हैं।
2. शबरपा (780 ई.) : चर्यापद, सितकुरु, वज्रयोगिनी, आराधन-विधि ।
3. भूसुकपा (नवीं सदी)
4. लुइपा (830 ई., शबरपा के शिष्य) : अभिसमयविभगं, तत्वस्वभाव दोहाकोष, बुद्धोदय, भगवदअमभिसय, लुइपा-गीतिका ।
5. विरूपा (9वीं सदी)
6. डोभ्भिपा (840 ई.) : योगचर्या, अक्षरद्विकोपदेश, डोंबि गीतिका, नाड़ीविंदुद्वारियोगचर्या । इनके कुल 21 ग्रंथ हैं ।
7. दारिकपा (9वीं सदी) तथतादृष्टि, सप्तमसिद्धांत, ओड्डियान विनिर्गत-महागयह्यातत्वोपदेश
8. गंडरिपा (9वीं सदी)
9. कुकुरिपा (9वीं सदी)
10. कमरिपा (9वीं सदी)
11. कण्हपा (820 ई., जालन्धरपा के शिष्य) : योगरत्नमाला, असबधदृष्टि, वज्रगीति, दोहाकोष, बसंत तिलक, कान्हपाद गीतिका ।
12. गोरक्षपा (9वीं सदी)
13. तिलोपा (9वीं सदी)
14. शांतिपा : सुख दुख द्वयपरित्याग ।
15. तंतिपा : चतुर्योगभावना ।
16. विरूपा : अमृतसिद्ध, विरुपगीतिका, मार्गफलान्विताव वादक ।
17. भुसुकपा : बोधिचर्यावतार, शिक्षा-समुच्चय ।
18. वीणापा : वज्रडाकिनी निष्पन्नक्रम ।
19. कुकुरिपा : तत्वसुखभावनासारियोगभवनोपदेश, स्रवपरिच्छेदन ।
20. मीनपा : बाहयतरंबोधिचितबंधोपदेश ।
21. महीपा : वायुतत्व, दोहा गीतिका ।
22. कंबलपाद : असबध दृष्टि, कंबलगीतिका ।
23. नारोपा : नाडपंडित गीतिका, वज्रगीति, ।
24. गोरीपा : गोरखवाणी, पद-शिष्य दर्शन
25. आदिनाथ : विमुक्त मर्जरीगीत, हुंकारचित बिंदु भावना क्रम ।
26. तिलोपा : करुणा भावनाधिष्ठान, महा भद्रोपदेश ।
नाथ-साहित्य

सिद्धों की योग-साधना नारी भोग पर आधारित थी । इसकी प्रतिक्रिया में नाथ-धारा का आविर्भाव माना जाता है । यह हठयोग पर आधारित मत है । आगे चलकर यह साधना रहस्यवाद के रूप में प्रतिफलित हुई और नाथपंथ से ही भक्तिकाल के संतमत का विकास हुआ ।
आदिकाल की नाथ धारा के कवि और उनकी रचनाएँ

इस धारा के प्रवर्त्तक गोरखनाथ हैं । नाथों की संख्या नौ होने के कारण ये नवनाथ कहलाए। इन नवनाथों की रचनाएँ निम्नलिखित हैं :-
1. गोरखनाथ : पंचमासा, आत्मबोध, विराटपुराण, नरवैबोध, ज्ञानतिलक, सप्तवार, गोरखगणेश संवाद, सबदी, योगेश्वरी, साखी, गोरखसार, गोरखवाणी, पद शिष्या दर्शन (इनके 14 काव्यग्रंथ मिलते हैं ) । डॉ पीताम्बर बड़थ्वाल ने गोरखबानी नाम से इनकी रचनाओं का एक संकलन संपादित किया है ।
2. मत्स्येन्द्र या मच्छन्द्रनाथ : कौलज्ञान निर्णय, कुलानंदज्ञान-कारिका, अकुल-वीरतंत्र।
3. जालंधर नाथ : विमुक्तमंजरी गीत, हुंकारचित बिंदु भावना क्रम ।
4. चर्पटनाथ : चतुर्भवाभिवासन
5. चौरंगीनाथ : प्राण संकली, वायुतत्वभावनोपदेश
6. गोपीचंद : सबदी
7. भर्तृनाथ (भरथरीनाथ) : वैराग्य शतक
8. ज्वालेन्द्रनाथ : अप्राप्य
9. गाहिणी नाथ : अप्राप्य

जैन धारा के कवि और उनकी रचनाएँ :
1. स्वयम्भू (8वीं सदी) : 1.पउम चरिउ (रामकाव्य), 2. रिट्ठणेमि चरिउ, 3.पचाम चरिउ, 4. स्वयम्भू छंद। पउम चरिउ (रामकाव्य) के कारण स्वयंभू को अपभ्रंश का वाल्मीकि कहा जाता है।
2. पुष्पदंत (10वीं सदी) : महापुराण, णायकुमार चरिउ, जसहर चरिउ, कोश ग्रंथ। महापुराण में इन्होंने कृष्णलीला का वर्णन किया है, इसलिए अपभ्रंश का व्यास कहा जाता है।
3. धनपाल (10वीं सदी) : भविस्यत्तकहा (एक बनिए की कहानी)
4. देवसेन : श्रावकाचार (933 ई., डॉ. नगेन्द्र के अनुसार हिन्दी का पहला काव्यग्रंथ, सावधम्म दोहा), लघुनयचक्र, दरेशनसार
5. वीर : जम्बूसामिचरिउ (11वीं शती)
6. शालिभद्र सूरि : भरतेश्वर बाहुबलीरास (1184 ई., मुनि जिन विजय के अनुसार जैन साहित्य की रास परम्परा का प्रथम ग्रंथ)
7. सोमप्रभ सूरि : कुमारपाल प्रतिबोध (1195 ई., चम्पूकाव्य)
8. आसगु : चन्दनबालारास (1200 ई., खंडकाव्य, करुण रस की रचना)
9. जिनधर्म सूरि : स्थूलीभद्ररास (1209 ई.)
10. जिनदत्त सूरि : उपदेश रसायन रास
11. जिन पदम सूरि : धूमि भद्दफाग (1243 ई. के लगभग)
12. विनयचन्द्र सूरि : नेमिनाथ चतुष्पदिका ((1243 ई. के लगभग))
13. राजशेखर सूरि : नेमिनाथ फागु (12वीं-13वीं शती)
14. जिनधर्म सूरि : स्थूलीभद्ररास (1309 ई.)
15. सुमति गणि : नेमिनाथरास (1213 ई., नेमिनाथ-चरित)
16. विजय सेन सूरि : रेवन्तगिरिरास (1231 ई., नेमिनाथ की प्रतिमा और रेवन्तगिरि तीर्थ का वर्णन)
17. प्रज्ञातिलक : कचछूलिरास (1306 ई.)
18. हेमचंद्र सूरि (1085 ई.-1172 ई.) : कुमारपाल चरित, हेमचंद्रशब्दानुशासन, देशी नाममाला, छन्दानुशासन, योगश।स्त्र
19. मुनि राम सिंह (11वीं शती) : पाहुड़ दोहा
20. जोइन्दु (6ठी शती) : परमात्म प्रकाश (मुक्तक काव्य), योगसार
21. जिन पदम सूरि : धूमि भद्दफाग (1243 ई.)
22. विनयचन्द्र सूरि : नेमिनाथ चतुष्पादिका
23. राजशेखर सूरि : नेमिनाथ फागु (13वीं-13वीं सदी)
24. जैनाचार्य मेरुतुंग : प्रबंध चिंतामणि (1304 ई.)
25. धर्म सूरि : जम्बू स्वामी रास, स्थूलिभद्र रास (1200 के बाद)
26. देवसेनमणि : सुलोचना चरिउ
27. मुनि कनकामर : करकंड चरिउ
28. धवल : हरिवंश पुराण
29. वरदत्त : बैरसामि चरिउ
30. हरिभद्र सूरी : णाभिणाह चरिउ
31. धाहिल : पउमसिरी चरिउ
32. लक्खन : जिवदत्त चरिउ
33. जल्ह कवि : बुद्धि रासो
34. माधवदास चारण : राम रासो
35. देल्हण : गद्य सुकुमाल रासो
36. श्रीधर : रणमल छंद, पारीछत रायसा
37. रोडा कवि : राउलवेल (10वीं शती)

38. योगसार : सानयधम्म दोहा

39. श्यधू : धन कुमार चरित

अब test सीरीज पढ़ें 

1. अपभ्रंश का अंतिम कवि कौन माना जाता है ?

1. रइधु ©
2.अब्दुर्रहमान
3.विद्यापति
4.अमीर खुसरो

2. अपभ्रंश का प्रयोग साहित्य में इस शताब्दी तक होता रहा ..

1 9 वीं शताब्दी तक

2 10 वीं शताब्दी तक

3 11 वीं शताब्दी तक

4 12 वीं शताब्दी तक©

3. अपभ्रंश भाषा कौन सी शताब्दी तक आते-आते हिंदी के रूप में प्रतिष्ठित हो गई ?

1 900 ईस्वी

2 1000 ईस्वी©

3 1100 ईस्वी

4.1200 ईस्वी

4. अपभ्रंश को किसने पुरानी हिंदी के नाम से संबोधित किया ?

1 राहुल संकृत्यायन©

2 रामचंद्र शुक्ल

3 हजारी प्रसाद द्विवेदी

4  नंददुलारे बाजपेई

5. निम्न में से कौन सी भाषा का विकास अपभ्रंश से नहीं हुआ ?

1 बिहारी से

2 बांग्ला से

3 उड़िया से

4 नेपाली से©

6. शौरसेनी अपभ्रंश से विकसित भाषा नहीं है

1 पश्चिमी हिंदी
2 पूर्वी हिंदी©
3 पंजाबी
4 गुजराती

7. निम्न भाषाओं के काल क्रम के अनुसार कौन सा सही है …

1 संस्कृत पाली प्राकृत अपभ्रंश ©

2 पाली संस्कृत अपभ्रंश प्राकृत

3 अपभ्रंश पाली प्राकृत संस्कृत

4 अपभ्रंश पाली प्राकृत संस्कृत

8. अपभ्रंश काव्य का सुप्रसिद्ध छंद है….

1 कड़वक

2 पद्धरि

3 रास

4 दोहा©

9.अपभ्रंश भाषा का विकास हुआ है ?

1 संस्कृत से

2 प्राकृत से©

3 अवहट्ठ से

4  अपभ्रंश से

10.अपभ्रंश भाषा के प्रथम कवि माने गये हैं…

1.पुष्पदंत

2 जोइंदु

3 स्वयंभू©

4 हेमचंद्र

11. आदिकाल का कौनसा प्रकरण अपभ्रंश काल है ?

1 प्रथम

2 द्वितीय

3 तृतीय ©

4 चतुर्थ

12. अपभ्रंश भाषा में कितने वचन और कितने लिंग मिलते हैं ?

1 दो लिंग दो वचन ©

2 तीन लिंग तीन वचन

3  दो लिंग तीन वचन

4  तीन वचन दो लिंग

13. अपभ्रंश का शाब्दिक अर्थ क्या है ?

1 खराब हुआ

2 बिगड़ा हुआ©

3 परिवर्तित

4 खिचड़ी

14.अपभ्रंश कौन से वर्ग की प्रधान भाषा है

1 कवर्ग

2 चवर्ग

3 टवर्ग©

4 तवर्ग

15. अपभ्रंश भाषा में बहुलता है

1 क की

2 न की

3 ट की

4 ण की©

16. जैन साहित्य के ग्रंथ ‘उपदेश रसायन रास’ के रचनाकार कौन हैं ?

1 कुशल लाभ

2 जिनदत्त सूरी©

3 जोइंदु

4  मुनि जिन विजय

17. ‘योगसार’ के रचनाकार हैं …

1 जोइंदु©

2  धनपाल

3  रामसिंह

4 स्वयंभू

18. इस दोहे के रचनाकार का नाम है :point_down::point_down:

“जो जिण सासण भाषियउ सो मई कहियउ सारु। जो पालइ सइ भाउ करि सो तरि पावइ पारु॥”

1.देवसेन©

2.हेमचंद्र

3.अद्दहमाण

4.कुशललाभ

19. हरिश्चन्द्री हिन्दी’ शब्द का प्रयोग किस इतिहासकार ने अपने इतिहास ग्रंथ में किया है ?

1.भारतेंदु

2. रामचन्द्र शुक्ल

3. नगेंद्र

4. हजारी प्रसाद©

20. कौनसा नाम अपभ्रंश के लिए प्रयुक्त नहीं होता  है ?

1अवहट्ठ

2  अवहत्थ

3 देशभाषा

4  भ्रंश भाषा©

21. कीर्ति लता की भाषा है….

1 अवहट्ट©

2  पाली

3 संस्कृत

4 प्राकृत

22. अपभ्रंश में बोलचाल की भाषा का नाम था….

1 हिंदी

2 देश  भाषा©

3 अवहट्ठ

4 अवहत्थ

23. अपभ्रंश भाषा का प्राचीनतम प्रयोग हुआ है…

1 बौद्ध साहित्य

2  जैन साहित्य©

3  नाथ साहित्य

4  रासो काव्य

24. इनमें से गलत जोड़े को पहचानें….

1 विद्यापति- कीर्तिलता

2  हेमचंद्र -शब्दानुशासन

3  दामोदर शर्मा- वर्णरत्नाकर ©

4 रामसिंह -पाहुड दोहा

25. यह पंक्ति किस कवि की है:
“भल्ला हुआ जो मारिया बहिनी म्हारा कंतु”

1 स्वयंभू

2 लुईपा

3 पुष्पदंत

4 हेमचंद्र©

26. जैन पदम सूरी राज के रचयिता कौन हैं  ?

1 सुमतिगुणी©

2 प्रज्ञा तिलक

3 शालिभद्र सूरी

4 सार मूर्ति

27.उक्ति-व्यक्ति प्रकारण में इस अवहट्ठ का प्रयोग हुआ है
1)पूर्व ©
2)पश्चिम
3)दक्षिणी
4)मध्यप्रदेशीय

28. ‘गौतम स्वामी रास’ रचना के रचनाकार कौन हैं ?

1 उदयवंत ©

2 सार मूर्ति

3 प्रज्ञा तिलक

4 शालिभद्र

29. विजय सेन सूरी की  रचना निम्न में से कौन सी है ?

1 स्थूलिभद्र रास

2  रेवंत गिरी रास©

3 जीव दया रास

4 नेमिनाथ रास

30. बुद्धि रास के रचयिता कौन हैं  ?

1 सार मूर्ति

2 मुनि शालिभद्र ©

3 विजय सेन सूरी

4 जिनी धर्म सूरी

31. निम्न में से अपभ्रंशकाल की रचना नहीं है

1 कीर्ति लता

2 कीर्ति पताका

3 श्रावकाचार

4 इनमें से कोई नहीं©

32. आचार्य हेमचंद्र ने अपभ्रंश भाषा को क्या कहा है ?

1आभीरादि

2 ग्राभभाषा©

3 उपनागर

4 अवहट्ट

33. आचार्य दंडी ने अपभ्रंश भाषा को क्या नाम दिया है ?

1 आभीरादि©

2 ग्राभभाषा

3 नागर

4 अवहट्ठ

34. अपभ्रंश भाषा का काल है —

1 1500 ई. पू.से 500 ईसापूर्व

2  500 ईसापूर्व से 1 ईसापूर्व

3  500 ईस्वी से 1000 ईस्वी ©

4  1000 ईस्वी से 1500ईसवी

35. हिंदी की उत्पत्ति किस अपभ्रंश से मानी जाती है ?

1 मागधी

2 शौरसेनी©

3 ब्राचड़

4 खस

36. अपभ्रंश भाषा में लिखित रामचरित्र है–

1 रामायण

2  रामचंद्रिका

3  कीर्ति लता

4 पउमचरिउ©

37. अपभ्रंश का संबंध आभीरो तथा गुर्जरों से किसने

माना है ?

1. कीथ ने
2.पिशेल ने©
3.जेम्स टॉड ने
4.प्रिंसेप ने

38. अर्ध मागधी अपभ्रंश से विकसित हुई भाषा है

1 पश्चिमी हिंदी

2  बिहारी

3  पूर्वी हिंदी ©

4असमिया

39. अपभ्रंश में रचित ‘संदेश रासक’ रचना है

1 महाकाव्य

2 गीति काव्य

3 खंड काव्य©

4 रासो काव्य

40. अपभ्रंस के दूसरे कवि के नाम से कौन जाने जाते हैं ?

1 स्वयंभू

2 पुष्पदंत ©

3 अब्दुर्हमान

4 हेमचंद्र

41. परिनिष्ठित अपभ्रंश की श्रेणी में आने वाली वीर गाथाओं की संख्या है

1 2©

2 4

3 6

4 8

42.  हिंदी भाषा का आरंभ कब से शुरू हुआ ?

1 1500 ईस्वी

2 500 ईस्वी

3 1800 ईस्वी

4 1000 ईस्वी©

43. अपभ्रंश के भेद नागर उप नागर ब्राचड़ किसने दिए हैं ?

1 हेमचंद्र

2  विद्यापति

3  लक्ष्मीधर

4 मार्कंडेय©

44. हिंदी भाषा का उद्भव व विकास पुस्तक के लेखक हैं …

1 भोलानाथ तिवारी

2  देवेंद्र कुमार शर्मा

3 डॉक्टर नामवर सिंह

4  डॉक्टर उदय नारायण तिवारी©

45. डॉ भोलानाथ तिवारी अपभ्रंश का जन्म मानते हैं …

1 पहली ईस्वी के आसपास

2 500 ईसवी के आसपास

3 1000 ईस्वी के आसपास ©

4 12वी ईस्वी के आसपास

46. डॉक्टर नामवर सिंह अपने ग्रंथ हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योगदान कौन सी ईस्वी में स्वीकार करते हैं ?

1 600 इसवी

2 700 ईसवी

3 800 ईसवी©

4 900 ईसवी

47. डॉक्टर उदय नारायण तिवारी ने अपनी पुस्तक हिंदी भाषा का उद्भव व विकास में अपभ्रंश का जन्म काल कब स्वीकारा है

1 500 ईसवी

2 600 ईसवी

3 700 ईसवी©

4  800 ईसवी

48. आचार्य वाग्भट्ट ने अपभ्रंश  को कहा है

1 ग्राभभाषा ©

2 वाग्षा

3 अवधी

4 आभीराधी भाषा

49. अपभ्रंश का विवरण हेमचंद्र ने शब्दानुशासन के किस अध्याय में दिया है ?

1. आठवें अध्याय का प्रथम पाद
2. आठवें अध्याय का द्वितीय पाद ©
3.आठवें अध्याय का तृतीय पाद
4. आठवें अध्याय का चतुर्थ पाद

50. पृथ्वीराज रासो की भाषा को अपभ्रंश भाषा मानने वाले प्रथम विद्वान कौन हैं ?

1.रामकुमार वर्मा ©
2.आचार्य शुक्ल
3.मुनि जिन विजय
4.नमिसाधु

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