दोस्तो आज की पोस्ट में हम पढेंगे कि निबन्ध क्या है ,और इसके प्रकारों के बारें में भी पढेंगे जो कि परीक्षा के लिए उपयोगी होंगे।
निबन्ध क्या है ?(Nibndh kya hai ?)
- ’निबंध’ शब्द की व्युत्पत्ति एवं अर्थ – ’निबंध’ शब्द ’नि’ उपसर्ग व ’बंध’ धातु के योग से बना है, जिसके अनेक अर्थ ग्रहण किये जाते हैं। यथा – लेख, अभिलेख, संदर्भ, रचना, प्रस्ताव इत्यादि।
- रामचन्द्र वर्मा द्वारा संपादित ’संक्षिप्त हिंदी शब्द सागर’ में निबंध का अर्थ है – ’’मुख्यतः गद्य में लिखित साहित्यिक प्रबंध और रोचक गुंफन, लेख।’’ अर्थात् अपने विचारों को बाँधना या गुंफित करना ही ’निबंध’ है।
- निबंध के लिए लैटिन में ’एग्जीजियर’, फ्रेंच में ’ऐसाई’ तथा अंग्रेजी में ’ऐसे’ शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
’निबंध’ की परिभाषाएँ’ –
1. आधुनिक निबंध के जन्मदाता ’माॅटेन’ के अनुसार – ’’निबंध विचारों, कथाओं और उद्धरणों का मिश्रण है।’’
2. ’जाॅनसन’ महोदय के अनुसार – ’’निबंध मन का आकस्मिक और उच्छृंखल आवेग, असंबंध और चिंतनहीन बुद्धि विलास मात्र है।’’
3. ’डाॅ. भगीरथ मिश्र’ के अनुसार – ’’निबंध वह गद्य रचना है, जिसमें लेखक किसी भी विषय पर स्वच्छन्दतापूर्वक परन्तु एक विशेष सौष्ठव, संहिति, सजीवता और वैयक्तिकता के साथ अपने भावों, विचारों और अनुभवों को व्यक्त करता है।’’
4. ’डाॅ. गणपति चन्द्र गुप्त’ के अनुसार – ’’जब किसी भी विषय या विचार का प्रतिपादन कल्पना एवं अनुभूति के सहयोेग से आकर्षक शैली में किया जाता है तो उसे साहित्यिक निबंधों में स्थान दिया जाता है।’’
निबन्ध के प्रकार
⇒निबन्ध के तीन प्रकार है।
- भावात्मक
- विचारात्मक
- वर्णनात्मक
भावात्मक-
भावात्मक निबंध में भाव की प्रधानता होती है। और विचारात्मक निबंध में विचार की, यहां प्रधानता शब्द ध्यान देने योग्य है।कोई भी निबंधकार केवल भाव या विचार के सहारे नहीं चलता, वह अपने साथ भाव और विचार दोनों को लेकर चलता है। पर उसमें कवि भाव पक्ष की प्रधानता रहती है। और कवि विचार पक्ष में भाव पक्ष की प्रधानता रहने पर भावात्मक निबंध की रचना होती है।
और विचार पक्ष की प्रधानता रहने पर विचारात्मक निबंध की, कहने का तात्पर्य यह है की ना तो भावात्मक निबंध में बुद्धि की सर्वथा उपेक्षा रहती है। और ना विचारात्मक निबंध में ह्रदय की, विचारात्मक निबंधों में निबंधकार ऐतिहासिक या वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विश्लेषण करता है। पर ऐतिहासिक या वैज्ञानिक की तरह वह विषय से शतर्क नहीं रहता बल्कि विषय के साथ अपने आप को एकाकार कर देता है।
विचारात्मक
विचारात्मक निबंध में का आधार चिंतन है निबंधकार अपने चिंतन के माध्यम से अपनी बात पाठकों तक पहुंचाता है। अपने बुद्धि से पाठकों की बुद्धि को आत्मीयता स्थापित करना इसका उद्देश्य रहता है। निबन्ध की शैली style of essay – निबंध लिखने के लिए दो बातों की आवश्यकता होती है। भाव और भाषा दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण है। लिखने के लिए जिस तरह भाव की आवश्यकता होती है। उसी तरह भाषा के भी एक के अभाव में दूसरे का कोई महत्व नहीं है।
भाव और भाषा को समन्वय करने की ढंग को शैली कहते हैं। जहां भाव और भाषा का मेल होता है। वही शैली बन जाता है। एक अच्छी शैली वह है, जो पाठक को प्रवाहित करें।
यह पाठक को शब्दों की उलझन में नहीं डालती, बुरी शैली वह है जो पाठक को शब्दों की भूलभुलैया में पसाये रखती है। यहां पाठकों के लिए लेखक का अभिप्राय गैड़ हो जाता है। और शब्दों की उलझन से निकलने से उसकी शक्ति का अपव्याय रहता है।
प्रत्येक लेखक के भाव और भाषा में अंतर होता है। इसलिए उनकी शैली में भी अंतर होगा भाषा की दृष्टिकोण से मुख्यता दो सहेलियां है। प्रसाद शैली, समाज शैली। अति साधारण ढंग से सहज सुगम भाषा में बातों को कहना प्रसाद शैली है।
छोटे-छोटे वक्त साधारण शब्द और कहने का ढंग सुगम शैली का लक्ष्य होता है। सहजता इस शैली का प्रधान गुण है। एक अच्छे लेखक के शैली में प्रसाद गुण का होना स्वाभाविक है। प्रसाद शैली में गंभीर से गंभीर भावों को साधारण शब्दों में अभिव्यक्त किया जाता है। दूसरा किसी बात को कठिन शब्दों में कहना साधारण भाषा का प्रयोग ना कर असमान भाषा का प्रयोग समाज शैली का लक्ष्य है। इसमें भाषा कठिन और जटिल होती है।
यह शैली भाव की कमी छिपाने के लिए भाषा के सामासिक गठन को उद्देश्य मानती है।कि यही कारण है उनके भाव में जटिलता के कारण भाषा में और जटिलता आ जाती है।
यह शैली उन लेखकों के लिए उपयुक्त है जिन्हें वस्तुतः कुछ कहना नहीं है, केवल भाषा जाल की निर्माण करना है। उक्त दो प्रकार की शैलियों में प्रथम प्रकार की शैली में लेखकों के आपनें निबंध लिखनी चाहिए।
वर्णनात्मक निबंध
वर्णनात्मक निबंध में किसी वस्तु, दृश्य या स्थल का व्यवस्थित, क्रमबद्ध और सजीव वर्णन होता है। यह व्यास शैली में लिखा जाता है। इसी का एक रूप ’रिपोर्ताज’ है।
आज के आर्टिकल में हमनें निबन्ध क्या है विषय पर जानकारी प्राप्त की ….धन्यवाद