आज के आर्टिकल में हम रीतिकाल के कवि मतिराम का जीवन परिचय (Matiram Ka Jivan Parichay) पढेंगे ,इनसे जुड़ी जानकारियाँ प्राप्त करेंगे ।
- जन्म – 1604 ईस्वी
- जन्मस्थल – बनपुर (फतेहपुर, उत्तरप्रदेश)
- पिता – रत्नाकर त्रिपाठी
- सहोदर – भूषण, चिंतामणि, जटाशंकर
- आश्रयदाता – भावसिंह हाङा, ज्ञानचंद, स्वरुपसिंह, जहांगीर, शंभुनाथ सोलंकी, भोगनाथ है।
रचनाएँ –
Table of Contents
- फूलमंजरी (1619)
- रसराज (1633)
- ललितललाम (1661)
- सतसई (1681)
- अलंकारपंचाशिका (1690)
- वृत्तकौमुदी (1701)
- लक्षण शृंगार
- साहित्य सार
फूल मंजरी – 1619 ई. में जहांगीर के आश्रय में रचित है। इसमें 60 दोहों में 60 फूल का वर्णन है।
रसराज – 1633 ई. में रचित शृंगार निरुपक ग्रंथ है।
ललितललाम – 1661 ई. में भावसिंह हाङा के आश्रय में रचित है। इसमें कुवलयानंद के आधार पर भेदोपभेद सहित 100 अर्थालंकारों के उदाहरण एवं लक्षण प्रस्तुत है।
सतसई – 1681 ई. में भोगनाथ के आश्रय में रचित है। इसमें बिहारी सतसई का अनुकरण है।
अलंकारपंचाशिका – 1690 ई. में ज्ञानचंद के आश्रय में रचित सामान्य कोटि का अलंकार ग्रंथ है।
वृत्तकौमुदी या छंदसार – 1701 ई. में स्वरुपसिंह बुंदेला के आश्रय में रचित छंद ग्रंथ।
लक्षण शृंगार एवं साहित्य सार अनुपलब्ध।
आलोचना ग्रंथ –
मतिराम (2008) – प्रभाकर क्षोत्रिय
मतिराम के बारे में प्रमुख कथन –
रामचंद्र शुक्ल – मतिराम की सी रस स्निग्ध और प्रसादपूर्ण भाषा रीति का अनुकरण करने वालों में बहुत कम ही मिलती है।
रामचंद्र शुक्ल – मतिराम की रचना की सबसे बङी विशेषता यह है कि उसकी सरलता अत्यंत स्वाभाविक है, न तो उसमें भावों की कृत्रिमता है न भाषा की।
हजारी प्रसाद द्विवेदी – ब्रजभाषा काव्य में ऐसी अकृत्रिम सरसता बहुत कम कवि ला सके। रीतिग्रंथ लिखने के बहाने मतिराम वस्तुतः सरस काव्य रच रहे थे।
आज के आर्टिकल में हमने मतिराम का जीवन परिचय (Matiram Ka Jivan Parichay) के बारे में पढ़ा ,हम आशा करतें है कि आपको इस विषयवस्तु की अच्छी जानकारी मिली होगी
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