आज के आर्टिकल में हम व्याकरण क्या है(Vyakaran kya Hain), व्याकरण की परिभाषा (Vyakaran ki Paribhasha) व्याकरण का अर्थ(Vyakaran ka Arth) , व्याकरण किसे कहते हैं(Vyakaran Kise Kahate Hain), व्याकरण के अंग(Vyakaran ke Ang), व्याकरण के भेद(Vyakaran ke bhed) के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले है।
व्याकरण क्या है – Vyakaran kya Hain
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दोस्तों व्याकरण(Vyakaran) वह शास्त्र है। इसके द्वारा ही हमें भाषा के शुद्ध स्वरुप या प्रयोग का ज्ञान होता है। एक प्रकार हम यह कह सकते है कि व्याकरण(Vyakaran) भाषा को मानक स्वरूप प्रदान करता है। जैसा कि हम जान सकते है कि व्याकरण भाषा के नियम नहीं बनाता है। हमारी सर्वप्रचलित भाषा रूप के आधार पर ही व्याकरण के नियम बनते है। व्याकरण तो भाषा के परिवर्तनों को सिर्फ स्वीकार करता है।
व्याकरण की परिभाषा – Vyakaran ki Paribhasha
दोस्तो व्याकरण(Vyakaran) एक विधा/शास्त्र है इसके द्वारा ही हम किसी भाषा को शुद्ध बोल, लिख एवं समझ सकतें है। भाषा की संरचना के कुछ स्थाई नियम होते हैं । भाषा के इन नियमों को एक साथ जिस शास्त्र के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है उस शास्त्र को हम व्याकरण(Vyakaran) कहते हैं।
पंतजलि के अनुसार- ‘‘महाभाष्य में व्याकरण को शब्दानुशासन कहा है।’’
दोस्तो भाषा के ज्ञान की कमी के कारण हम शब्दों के उच्चारण करने अथवा अर्थ समझने में गलती करते हैं। इसीलिए भाषा की शुद्धता बनाए रखने का कार्य व्याकरण करता है। इसलिए व्याकरण का शुद्ध ज्ञान हमारे लिए जरुरी होता है तभी हम भाषा की सही अभिव्यक्ति कर पाएंगे।
व्याकरण का अर्थ(Vyakaran ka Arth)
वह शास्त्र या विधा जिसमें बोलचाल तथा साहित्य में प्रयुक्त होने वाली भाषा का स्वरूप, उसके गठन, उसके अवयवों, उनके प्रकारों और पारस्परिक संबंधों का ज्ञान प्राप्त करतें है। इसमें रचनाविधान और रूप परिवर्तन का विचार भी होता है।
अर्थात वह शास्त्र जिसमें किसी भाषा के स्वरूप,रूपों, शब्दों,प्रयोगों आदि का हमें ज्ञान प्राप्त होता है।
व्याकरण किसे कहते हैं(Vyakaran Kise Kahate Hain)
⇒ व्याकरण (Vyakaran) – व्याकरण उस शास्त्र/विधा को कहते हैं जिसके पढ़ने से हम किसी भी भाषा को शुद्ध लिखना और बोलना सीखतें हैं। अर्थात एक निश्चित मानक नियमों के आधार पर बनाए गए नियम ,जिससे हम शुद्ध भाषा बोल पाते है इसे ही व्याकरण(Vyakaran) कहते है।
व्याकरण के अंग – Vyakaran ke Kitne ang Hote Hain
हिंदी व्याकरण(Hindi Vyakaran) के से चार अंग होते हैं.
- वर्ण विचार(Varn vichar)
- शब्द विचार(Shabd vichar)
- पद विचार(Pad vichar)
- वाक्य विचार(Vakya vichar)
वर्ण विचार – Varn Vichar
यह व्याकरण का वह भाग/भेद है, जिसमे वर्णों के उच्चारण, आकार, भेद तथा उनसे शब्द बनाने के नियमों का वर्णन हो।
शब्द विचार – Shabd vichar
हिन्दी व्याकरण(Hindi Vyakaran) का दूसरा भाग शब्द है। इसमें ध्वनियों के मेल से बने सार्थक वर्ण समूह जैसे-भेद-उपभेद, संधि-विच्छेद आदि को पढ़तें है।
पद विचार – Pad vichar
सार्थक वर्णों का समूह शब्द कहलाता है जब इसका प्रयोग हम वाक्य में करतें है। तो वह स्वतंत्र नहीं रहता यह शब्द व्याकरण के नियमों में बँध जाता है, और इसका रूप भी बदल जाता है। जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है, तो वह शब्द न कहकर पद बन जाता है।
वाक्य विचार – Vakya Vichar
वाक्य विचार व्याकरण का चौथा भाग हैं, जिसमे वाक्य की परिभाषा, वाक्य का अर्थ , वाक्य के अंग, वाक्य के भेद, वाक्य रचना की बनावट आदि पर विचार किया जाता हैं, व्याकरण के इस भाग को ही हम वाक्य विचार कहते हैं।
व्याकरण के भेद – Vyakaran ke Kitne Bhed hote Hain
अलंकार | वर्ण | लिंग |
सर्वनाम | संज्ञा | वचन |
शब्द | पर्यायवाची शब्द | विलोम शब्द |
प्रत्यय | तत्सम-तद्भव | शब्द समूह के लिए एक शब्द |
वाक्य | क्रिया | कारक |
विशेषण | पद | समास |
अव्यय | अनेकार्थी शब्द | उपसर्ग |
रस | छंद | शब्द शक्ति |
धन्यवाद सर