आज के अर्टिकल में हम जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित उनके प्रथम काव्य संग्रह संग्रह चित्राधार(Chitradhar) के बारे में चर्चा करेंगे।
चित्राधार – Chitradhar
Table of Contents
जयशंकर प्रसाद जी का प्रथम काव्य-संग्रह ‘चित्राधार’ है। जिससे उनकी बहुमुखी प्रतिभा का परिचय मिलता है। इस कविता-संग्रह का प्रथम प्रकाशन 1918 ई. में हुआ। हालाँकि इसमें संकलित विभिन्न रचनायें सन् 1909 से ‘इन्दु’ के अंकों में प्रकाशित होकर पाठकों के मन में सम्मान पा चुकी थीं।
इसके प्रथम संस्करण में ब्रजभाषा और खड़ी-बोली दोनों भाषा में काव्य लिखा गया था। द्वितीय संस्करण(1928 ई.) में केवल ब्रजभाषा की रचनाएँ लिखी गयीं। इस संस्करण में कवि की 20 वर्ष की उम्र तक की प्राय: सभी कृतियाँ संकलित हैं।
विशेष :
चित्रधारा संग्रह में ब्रजभाषा और खड़ी बोली में कविता, कहानी, नाटक, निबन्धों का संकलन किया गया है।
इसमें तीन लम्बी कवितायें, 22 छोटी तथा 40 कवित्त तथा सवैया एवं पद हैं। कथा-रूप में निबद्ध ‘उर्वशी’ और ‘बभ्रुवाहन’ तथा नाट्यरूप से रचित ‘प्रायश्चित्त’ और ‘सज्जन’ के बीच-बीच में कवि ने अनेक दोहों, सवैयों एवं पदों की योजना की है। इस रचना में भाव की दृष्टि से अनेक नये प्रयोग मिलते हैं। कल्पनाओं का सौंदर्य भी उनकी काव्य रचनाओं को सशक्त बनाता है।
Chitradhar Kavita Sangrah
प्रथम संस्करण(1918 ई.)
- कानन कुसुम
- महाराणा का महत्त्व
- प्रेम पथिक
- राज्यश्री
- छाया
- सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य
- उर्वशी
- कल्याणी परिणय
- करुणालय
- प्रायश्चित्त
द्वितीय संस्करण(1928ई.)
- अयोध्या का उद्धार
- उर्वशी
- विस्मृत प्रेम
- बभ्रुवाहन
- वन मिलन
- प्रायश्चित्त
- सज्जन
- प्रेम राज्य
- संध्या-तारा
- ब्रह्मर्षि
- प्रकृति सौंदर्य
- सरोज
- विदाई
- पंचायत
- भक्ति
- शारदीय शोभा
- भारतेंदु प्रकाश
- मानस
- नीरव प्रेम
- प्रभात-कुसुम
- रसाल
- कल्पना-सुख
- वर्षा में नदी-कूल
- उद्यान-लता
- अष्टमूर्ति
- विनय
- शारदीय महापूजन
- विभा
- चन्द्रोदय
- रसाल-मंजरी
- नीरद
- शरद-पूर्णिमा
- विसर्जन
- इंद्र-धनुष
विशेष :
‘चित्राधार’ संग्रह में संकलित कथामूलक भाव वाली 3 कविताएँ हैं –
- वन मिलन
- अयोध्या का उद्धार
- प्रेम राज्य
यह भी पढ़ें-
आकाशदीप कहानी की तात्त्विक समीक्षा
जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय