आज के आर्टिकल में हम समुच्चयबोधक अव्यय(Samuchaya Bodhak) को अच्छे से तैयार करेंगे इससे जुड़ें तथ्य और उदाहरणों को भी समझेंगे।
समुच्चयबोधक अव्यय – Samuchaya Bodhak
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समुच्चयबोधक अव्यय की परिभाषा – Samuchaya Bodhak ki Paribhasha
वे अविकारी शब्द जो वाक्य के अंगों और वाक्यों को जोङते हैं अर्थात् वे अव्यय शब्द, जो वाक्यांशों या उपवाक्यों को जोङते अथवा अलग करते हैं, समुच्चयबोधक(Samuchaya Bodhak) कहलाते हैं।
- दक्ष और मोहन अच्छे मित्र हैं।
- नमकीन या मीठा अवश्य लाना।
समुच्चयबोधक अव्यय के कितने भेद हैं?
समुच्चयबोधक अव्यय के भेद – Samuchaya Bodhak Avyay ke Bhed
समुच्चयबोधक के दो भेद है –
- समानाधिकरण समुच्चयबोधक
- व्याधिकरण समुच्चयबोधक
(1) समानाधिकरण समुच्चयबोधक किसे कहते है- Samanadhikaran Samuchaya Bodhak Kise Kahte Hai?
वे अव्यय शब्द जो समान स्थिति वाले दो या दो से अधिक शब्दों, वाक्यांशों, उपवाक्यों को परस्पर मिलाते हैं, समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
जैसे – और या किंतु आदि।
समानाधिकरण समुच्चयबोधक के भेद – Samanadhikaran Samuchaya Bodhak ke Bhed
समानाधिकरण सम्मुच्चयबोधक के चार भेद होते हैं-
- संयोजक (और , तथा , अर्थात् , एवं , जोकि)
- विभाजक (या , अथवा , चाहे , अन्यथा , व)
- विरोधदर्शक (किंतु , परंतु , लेकिन , बल्कि, मगर , पर , अपितु)
- परिणामदर्शक (इसलिए , ताकि , अत 🙂
1. संयोजक – वे अव्यय शब्द जो दो शब्दों, वाक्यांशों में संयोग प्रकट करते हैं।
उदाहरण –
1. राम और रावण में घमासान लङाई हुई।
2. उषा ने आपका तथा रोहन का खाना बांध दिया।
2. विभाजक – जो अव्यय शब्द दो वाक्यांशों में अस्वीकृति या स्वीकृति प्रकट करें, वे विभाजक कहलाते हैं।
उदाहरण – राम बाजार जाए या न जाए, सीता तो जाएगी।
3. विरोधदर्शक – वे शब्द जो दो वाक्यों में विरोध व्यक्त करें और फिर उन्हें जोङने या पहले की गई बात का दूसरे वाक्य में विरोध प्रकट करें, विरोधदर्शक कहलाते हैं।
उदाहरण –
1. ममता बहुत सुंदर है, किंतु घमंडी है।
4. परिणामदर्शक – वे अव्यय शब्द जो प्रथम वाक्य का परिणाम दूसरे वाक्य में बताते हैं, परिणामदर्शक कहलाते हैं।
उदाहरण –
1. मोहन बीमार था, इसलिए वह विद्यालय नहीं गया।
2. आज बहुत सर्दी थी, अतः मैं काम पर नहीं गया।
(2) व्याधिकरण समुच्चयबोधक – Vyadhikaran Samuchaya Bodhak
जो शब्द एक या अधिक उपवाक्यों को प्रधान उपवाक्य से जोङते हैं अर्थात् आश्रित उपवाक्यों को प्रधान वाक्यों से जोङने वाले अव्यय व्याधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं।
जैसे – यदि मैं दौङकर जाता तो उसे बचा लेता।
इस वाक्य में ’मैं दौङकर जाता’ आश्रित उपवाक्य ’उसे बचा लेता’ प्रधान वाक्य से जुङा है। ’यदि’ और ’तो’ इन्हें जोङने वाले योजक हैं।
व्याधिकरण समुच्चयबोधक के भेद
इसके भी चार भेद होते हैं-
- कारणबोधक (क्योंकि, चूंकि, इसलिए कि, ताकि)
- संकेतबोधक (यदि, तो, यद्यपि, तथापि, परंतु)
- स्वरूपबोधक
- उद्देश्यबोधक (ताकि, जिससे, इसलिए कि)।
1. कारणबोधक (क्योंकि, चूंकि, इसलिए कि, ताकि)
जिन शब्दों द्वारा वाक्य में कार्य के कारण का ज्ञान हो अर्थात् प्रधान वाक्य और आश्रित उपवाक्य में कार्य-कारण संबंध ज्ञात हो।
जैसे –
1. रोहन कल काम पर नहीं जा सका, क्योंकि वह बीमार था।
2. सुनील को घर जाना चाहिए, ताकि आराम कर सके।
2. संकेतबोधक (यदि, तो, यद्यपि, तथापि, परंतु)
जो अव्यय शब्द एक वाक्य में संकेत अथवा शर्त देकर उसे दूसरे वाक्य में पूरा करें अर्थात् दो उपवाक्यों को संकेत से जोङते हैं।
जैसे –
1. यदि वर्षा होगी तो फसल अच्छी होगी।
2. यदि 7 बजेंगे तो गाङी आएगी।
3. यदि सोहन आया तो मैं बाजार जाऊंगा।
3. स्वरूपबोधक
जो अव्यय शब्द दो वाक्यों को इस ढंग से जोङें कि पहले वाक्य का अर्थ दूसरे वाक्य से ही स्पष्ट हो, उसे स्वरूपबोधक कहते है।
जैसे –
1. मोहन ने अच्छा ही किया जो इधर नहीं आया।
2. मां ने कहा कि मैं घूमने जा रही हूँ।
4. उद्देश्यबोधक (ताकि, जिससे, इसलिए कि)
वे अविकारी शब्द आश्रित उपवाक्य से पूर्व आकर मुख्य उपवाक्य का उद्देश्य स्पष्ट करते हैं अर्थात् ये शब्द कार्य करने का उद्देश्य स्पष्ट करते हैं।
उदाहरण –
1. मीना रात-दिन पढ़ती है, ताकि अध्यापिका बन सके।
2. पुलिस वहां पहुंची, ताकि चोर को पकङ सके।
FAQ:
Q. समुच्चयबोधक अव्यय किसे कहते हैं?
उत्तर – वे अविकारी शब्द जो वाक्य के अंगों और वाक्यों को जोङते हैं अर्थात् वे अव्यय शब्द, जो वाक्यांशों या उपवाक्यों को जोङते अथवा अलग करते हैं, समुच्चयबोधक(Samuchaya Bodhak) कहलाते हैं।
Q. समुच्चयबोधक अव्यय के कितने भेद होते हैं?
उत्तर – समुच्चयबोधक के दो भेद है –
- समानाधिकरण समुच्चयबोधक
- व्याधिकरण समुच्चयबोधक
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