दोस्तो आज हम इस पोस्ट में समास(Samas) के बारे में जानने वाले है हम इसके अंतर्गत समास का अर्थ(Samas ka arth) , समास की परिभाषा(Samas ki paribhasha) , समास किसे कहते है(Samas kise kahate hain) , समास के कितने भेद होते है(Samas ke kitne bhed hote hain) और समास के वस्तुनिष्ठ प्रश्नों(samas ke objective question) -Samas in Hindi को भी हल करेंगे।
Samas in Hindi – समास
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समास की परिभाषा – Samas Ki Paribhasha
समास का अर्थ है ‘संक्षिप्तीकरण’ यानि एक से अधिक शब्दों के बदले में एक सार्थक शब्द देना । हिन्दी व्याकरण में समास का शाब्दिक अर्थ होता है- शब्दों का छोटा रूप। जब दो या दो से अधिक शब्दों से एक नया या छोटा शब्द बनता है उस शब्द को हिन्दी में समास(Samas) कहते हैं।
⇒ समास का अर्थ – Samas ka arth
’समास’ का अर्थ है – शब्दों को पास-पास बिठाना, जिससे कम शब्दों का प्रयोग करके अधिक अर्थ प्राप्त किया जा सके। ऐसा करने के लिए पदों में प्रयुक्त विभक्ति चिह्न हटा लिये जाते हैं तथा विग्रह करते समय उन्हीं विभक्ति चिह्नों को पुनः लगा लिया जाता है।
समास शब्द सम + आस के योग से बना है यह संयोग मात्र है । जिसका अर्थ है – संक्षिप्त कर देना ।
समास किसे कहते है – Samas kise Kahate Hain
सरल शब्दो मे दो या दो से अधिक शब्दो क़ो जोड़ने पर वह छोटा रूप ले लेते है किन्तु अर्थ अधिक से अधिक देते है समास कहलाते है।
समास के उदाहरण – Samas ke Udaharan
’पाठ के लिए शाला’ इस पद से विभक्ति चिह्न ’के लिए’ हटा लेने पर ’पाठशाला’ शेष बचता है। इसे समस्त पद/समास कहते हैं। समास – विग्रह करते समय इस समस्त पद में पुनः विभक्ति चिह्न लगा देते हैं। संक्षिप्तता की दृष्टि से ’समास’ अत्यन्त उपयोगी है।
रसोई के लिये घर क़ो हम रसोईघर भी कह सकते है।
- नीलकमल – नीला है जो कमल
- दशानन -दस है आनन जिसके वह है – रावण
- दही बड़ा -दही मे डूबा हुआ बड़ा
- राजपुत्र – राजा का पुत्र
- यथाक्रम -क्रम के अनुसार
- आमरण -मरण तक
- राहख़र्च – राह के लिये ख़र्च
- जनप्रिय -जन क़ो प्रिय
समस्त पद क्या होता है ?
समास का उदाहरण – Samas ke udaharan
समस्त पद | पूर्व पद | उत्तर पद | विग्रह |
पाठशाला | पाठ | शाला | पाठ (पढ़ने) की शाला |
पीताम्बर | पीत | अम्बर | पीत है अम्बर जिसका |
दाल-रोटी | दाल | रोटी | दाल और रोटी। |
नवरत्न | नव | रत्न | नव (नौ) रत्नों का समाहार। |
समास के कितने भेद होते है – Samas ke kitne bhed hote hain
समास के निम्नलिखित छ: भेद हैं
- अव्ययीभाव समास
- तत्पुरुष समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- द्वन्द्व समास
- बहुब्रीहि समास
अव्ययीभाव समास किसे कहते है – Avyayibhav samas kise kahate hain
जिस समस्त पद का पहला पद अव्यय हो, जिससे समस्त पद भी अव्यय बन जाए, उसे अव्ययीभाव समास(Avyayibhav Samas) कहते है। अर्थात जिस समस्त पद में कोई एक पद अव्यय या उपसर्ग हो और कोई दूसरा पद संज्ञा हो, उसे अव्ययीभाव समास(Avyayibhav Samas) कहते हैं।
अव्ययीभाव समास के उदाहरण – Avyayibhav Samas ke Udaharan
समस्त पद | विग्रह |
आजीवन | जीवन-पर्यन्त |
यथाशक्ति | शक्ति के अनुसार |
भरपेट | पेट-भरकर |
अनुरूप | रूप के योग्य |
यथाशीघ्र | जितना शीघ्र हो सके |
दिनभर | सारे दिन |
हाथोंहाथ | हाथ ही हाथ में |
यथाक्रम | क्रम के अनुसार |
निर्विवाद | बिना विवाद के |
अनजाने | बिना जाने हुए |
यथासमय | जो समय निर्धारित है |
निर्विकार | बिना विकार के |
प्रतिदिन | दिन-दिन |
प्रत्येक | एक-एक |
प्रतिवर्ष | वर्ष-वर्ष |
आमरण | मरण तक |
आजन्म | जन्म पर्यन्त |
आयुपर्यन्त | आयु के अन्त तक |
यथाविधि | विधि के अनुसार |
समक्ष | अक्षि (आँख) के सामने |
बेचैन | बिना चैन के |
यथासम्भव | जितना सम्भव हो |
प्रतिक्षण | हर क्षण |
निडर | बिना डरे हुए |
लाजवाब | जिसका जबाव न हो |
हरवर्ष | प्रत्येक वर्ष |
निर्जल | बिना जल के |
तत्पुरुष समास किसे कहते है – Tatpurush samas kise kahate hain
–तत्पुरुष समास में द्वितीय पद प्रधान होता है। तत्पुरुष समास के उपभेद, पूर्वपद में लगे हुए कारक चिह्नों के नाम से किये जाते हैं। अर्थात तत्पुरुष समास वह होता है, जिस समास में उत्तरपद प्रधान होता है, या इस प्रकार कहें कि प्रथम पद गौण होता है एवं उत्तर पद की प्रधानता होती है। इसमें समास करते समय मध्य विभक्ति का लोप हो जाता है। इसे हम तत्पुरुष समास(Tatpurush Samas) कहते है। इस समास में आने वाले कारक चिन्हों से, के लिए, से, का/के/की/को, में, पर आदि का लोप होता है।
- कर्म तत्पुरुष
- करण तत्पुरूष
- सम्प्रदान तत्पुरुष
- अपादान तत्पुरुष
- सम्बन्ध तत्पुरुष
- अधिकरण तत्पुरुष
कर्म तत्पुरुष
जैसे-कर्म के कारक चिह्न ’को’ का लोप करने से बने समाज को कर्म तत्पुरुष कहा जाता है।
स्पष्टीकरण – इसमें कर्म तत्पुरुष ‘को’ का लोप होता है
समस्त पद | विग्रह |
स्वर्गप्राप्त | स्वर्ग को प्राप्त |
शरणागत | शरण को आगत |
मुँहतोङ | मुँह को तोङने वाला |
सर्वज्ञ | सबको जानने वाला |
मांसभक्षी | मांस को खाने वाला |
गृहागत | गृह को आगत |
चिङीमार | चिङी को मारने वाला |
गगनचुम्बी | गगन को चूमने वाला |
नरभक्षी | नरों को खाने वाला |
ग्रामगत | ग्राम को गया हुआ |
करण तत्पुरूष
इसमें करण तत्पुरूष से, के द्वारा का लोप होता है
समस्त पद | विग्रह |
वाक्युद्ध | वाक् से युद्ध |
नीतियुक्त | नीति से युक्त |
अकालपीङित | अकाल से पीङित |
पददलित | पद से दलित |
रससिक्त | रस से सिक्त |
मदमत्त | मद से मत्त हुआ |
श्रमसाध्य | श्रम से साध्य |
ईश्वरप्रदत्त | ईश्वर द्वारा प्रदत्त |
नेत्रहीन | नेत्रों से हीन |
आचारकुशल | आचार से कुशल |
शराहत | शर से आहत |
मदान्ध | मद से अन्धा |
जलावृत्त | जल से आवृत्त |
अश्रुपूर्ण | अश्रु से पूर्ण |
शोकाकुल | शोक से आकुल |
मनगढ़ंत | मन से गढ़ा हुआ |
धनरहित | धन से रहित |
सम्प्रदान तत्पुरुष
इसमें सम्प्रदान तत्पुरुष ’के लिए’ का लोप होता है
समस्त पद | विग्रह |
रसोईघर | रसोई के लिए घर |
राहखर्च | राह के लिए खर्च |
सभामंडप | सभा के लिए मंडप |
डाकगाङी | डाक के लिए गाङी |
गुरुदक्षिणा | गुरु के लिए दक्षिणा |
सभाभवन | सभा के लिए भवन |
स्नानघर | स्नान के लिए घर |
मार्गव्यय | मार्ग के लिए व्यय |
विद्यालय | विद्या के लिए आलय |
देशभक्ति | देश के लिए भक्ति |
यज्ञवेदी | यज्ञ के लिए वेदी |
देवालय | देवता के लिए आलय |
रणभूमि | रण के लिए भूमि |
मालगोदाम | माल के लिए गोदाम |
न्यायालय | न्याय के लिए आलय |
सत्याग्रह | सत्य के लिए आग्रह |
अपादान तत्पुरुष
इसमें अपादान तत्पुरुष ’से’ अलग होने के अर्थ में का लोप होता है
समस्त पद | विग्रह |
दूरागत | दूर से आगत |
रणविमुख | रण से विमुख |
जातिभ्रष्ट | जाति से भ्रष्ट |
दोषमुक्त | दोष से मुक्त |
पदच्युत | पद से च्युत |
धर्मविमुख | धर्म से विमुख |
ऋणमुक्त | ऋण से मुक्त |
भयभीत | भय से भीत |
आशातीत | आशा से अतीत |
पापमुक्त | पाप से मुक्त |
जलरिक्त | जल से रिक्त |
पथभ्रष्ट | पथ से भ्रष्ट |
देशनिकाला | देश से निकाला |
लोकोत्तर | लोक से उत्तर |
बन्धनमुक्त | बन्धन से मुक्त |
सम्बन्ध तत्पुरुष
इसमें सम्बन्ध तत्पुरुष ’का, की, के’ का लोप होता है
समस्त पद | विग्रह |
पराधीन | पर (दूसरे) के अधीन |
नगरसेठ | नगर का सेठ |
राष्ट्रपति | राष्ट्र का पति |
कन्यादान | कन्या का दान |
गोदान | गो (गाय ) का दान |
हिमालय | हिम का आलय |
भूदान | भू का दान |
सेनाध्यक्ष | सेना का अध्यक्ष |
रामचरित | राम का चरित |
स्वर्णपात्र | स्वर्ण का पात्र |
राजदरबार | राजा का दरबार |
देशवासी | देश का वासी |
राजमाता | राजा की माता |
उल्कापात | उल्का का पात |
दीपशिखा | दीप की शिखा |
अन्नदान | अन्न का दान |
ऋषिकन्या | ऋषि की कन्या |
सभापति | सभा का पति |
गंगाजल | गंगा का जल |
लोकनायक | लोक का नायक |
स्नेहमग्न | स्नेह में मग्न |
अधिकरण तत्पुरुष
इसमें अधिकरण तत्पुरुष ’में, पे, पर’ का लोप होता है
समस्त पद | विग्रह |
आपबीती | आप पर बीती |
विद्याप्रवीण | विद्या में प्रवीण |
पुरुषसिंह | पुरुषों में सिंह |
डिब्बाबन्द | डिब्बा में बन्द |
घुङसवार | घोङे पर सवार |
आत्मनिर्भर | आत्म (स्वयं) पर निर्भर |
गृहप्रवेश | गृह में प्रवेश |
कविराज | कवियों में राजा |
नरोत्तम | नरों में उत्तम |
फलासक्त | फल में आसक्त |
ध्यानमग्न | ध्यान में मग्न |
वनवास | वन में वास |
कर्मधारय समास किसे कहते है – Karmadharaya samas kise kahate hain
इस समास में भी दूसरा पद (उत्तर पद) प्रधान होता है, किन्तु पहला पद (पूर्वपद) विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य (संज्ञा) होता है। दूसरे शब्दों में, जिस समास के दोनों पदों में विशेषण और विशेष्य का सम्बन्ध रहता है, उसे कर्मधारय समास(samas) कहते हैं। जिसका पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य अथवा एक पद उपमान तथा दूसरा पद उपमेय हो तो कर्मधारय समास(Karmadharaya Samas) कहलाता है। विशेषण – विशेष्य : महापुरुष – महान है जो पुरुष। महापुरुष शब्द में ‘महान’ विशेषण है और ‘विशेष्य’ पुरुष है।
कर्मधारय समास के उदाहरण – Karmadharaya Samas ke Udaharan
समस्त पद | विग्रह |
श्वेताम्बर | श्वेत है जो अम्बर |
मधुहास | मधु सम है जो हास |
दुष्कर्म | दूषित है जो कर्म |
सत्पुरुष | सत् है जो पुरुष |
पुरुषरत्न | पुरुष है जो रत्न के समान |
चरणकमल | नीला है जो कमल के समान |
नीलकमल | नीला है जो कमल |
नीलगाय | नीली है जो गाय |
रक्तकमल | रक्त (लाल) है जो कमल |
महापुरुष | महान् है जो पुरुष |
खाद्यान्न | खाद्य है जो अन्न |
लौहपुरुष | लौह जैसा (शक्तिशाली) है जो पुरुष |
सज्जन | सत् है जो जन |
पीताम्बर | पीत है जो अम्बर |
महात्मा | महान् है जो आत्मा |
चन्द्रमुख | चन्द्रमा के समान है जो मुख |
महर्षि | महान् है जो ऋषि |
नीलाकाश | नीला है जो आकाश |
द्विगु समास किसे कहते है – Dvigu samas kise kahate hain
जिस समास का एक पद संख्यावाचक विशेषण होता है तथा पूर्वपद प्रधान होता है, उसे द्विगु समास(Dvigu samas) कहते हैं। अर्थात जिस समास का पूर्व पद संख्यावाची विशेषण हो, उसे द्विगु समास(Dvigu samas) कहते हैं | इस समास में समूह या समाहार का बोध होता है
द्विगु समास के उदाहरण – Dvigu samas ke udaharan
समस्त पद | विग्रह |
त्रिलोक | तीन लोकों का समूह |
चौराहा | चार राहों का समूह |
सप्तर्षि | सात ऋषियों का समूह |
पंचवटी | पाँच वटों का समूह |
त्रिफला | तीन फलों का समूह |
चौपाई | चार पदों का समूह |
अष्टाध्यायी | आठ अध्यायों का समूह |
पक्षद्वय | दो पक्षों का समूह |
षडरस | छह रसों का समूह |
चौमासा | चार मासों का समूह |
नवरत्न | नौ रत्नों का समूह |
सतसई | सात सौ पद्यों का समूह |
चतुर्भुज | चार भुजाओं का समूह |
सप्ताह | सात दिनों का समूह |
द्वन्द्व समास किसे कहते है – Dvandva samas kise kahate hain
जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान हों तथा विग्रह करते समय एवं, तथा, और, आदि लगे, उसे द्वन्द्व समास(Dvandva samas) कहते है।अगर इसे आसानी से समझने की कोशिश करें तो ये समझ सकते है कि इस समास में समस्त पद के मध्य योजक चिह्न रहता है। जिस शब्द के दोनों पद प्रधान हो, उसे द्वन्द्व समास(Dvandva samas) कहते है। द्वंद्व समास होने के लिए दोनों पदों का प्रधान होना जरुरी है एवं साथ में समास बनाने पर योजक चिन्ह लुप्त हो जाने चाहिए।
द्वन्द्व समास के उदाहरण – Dvandva samas ke udaharan
समस्त पद | विग्रह |
भाई-बहन | भाई और बहिन |
धनी-निर्धन | धनी और निर्धन |
रात-दिन | रात और दिन |
पूर्व-पश्चिम | पूर्व और पश्चिम |
नर-नारी | नर और नारी |
जन्म-मरण | जन्म और मरण |
अन्न-जल | अन्न और जल |
राधा-कृष्ण | राधा और कृष्ण |
पेङ-पौधे | पेङ और पौधे |
भला-बुरा | भला और बुरा |
वेद-पुराण | वेद और पुराण |
ऊँच-नीच | ऊँच और नीच |
चल-अचल | चल और अचल |
माता-पिता | माता और पिता |
देश-विदेश | देश और विदेश |
सुख-दुःख | सुख और दुःख |
हार-जीत | हार और जीत |
दाल-रोटी | दाल और रोटी |
हानि-लाभ | हानि और लाभ |
सीता-राम | सीता और राम |
जल-थल | जल और थल |
पाप-पुण्य | पाप और पुण्य |
दूध-दही | दूध और दही |
राज-रंक | राजा और रंक |
छोटा-बङा | छोटा और बङा |
बहुब्रीहि समास किसे कहते है – Bahuvrihi samas kise kahate hain
जिस समस्त पद में कोई पद प्रधान नहीं होता तथा जो अपने पदों से भिन्न किसी संज्ञा का विशेषण होता है,उसे बहुब्रीहि समास(Bahuvrihi Samas) कहते हैं। आसान भाषा में समझें तो, ऐसे शब्दों का मेल,जिनमें दोनों पद प्रधान न हो अर्थात जिसमें प्रयुक्त शब्द स्वयं प्रधान न रहकर किसी तीसरे शब्द की ओर संकेत करता है या दोनों शब्द मिलकर एक विशेष संज्ञा/संज्ञा का विशेषण का अर्थ दें, तो उसे बहुब्रीहि समास(Bahuvrihi Samas) कहते हैं। ये ‘योगरूढ़’ शब्द होते हैं।
बहुब्रीहि समास के उदाहरण – Bahuvrihi samas ke udaharan
समस्तपद | विग्रह (संज्ञा का विशेषण ) |
पीताम्बर | पीत है अम्बर जिसका (कृष्ण) |
दशानन | दश हैं आनन जिसका (रावण) |
चतुर्भुज | चार हैं भुजाएँ जिसके (विष्णु) |
त्रिलोचन | तीन है लोचन जिसके (शिव) |
शूलपाणि | शूल है पाणि में जिसके वह (शिव) |
चतुरानन | चार आनन हैं जिसके वह (ब्रह्म) |
लम्बोदर | लम्बा है उदर जिसका(गणेश) |
वीणापाणि | वीणा है हाथ में जिसके (सरस्वती) |
चन्द्रशेखर | चन्द्रमा है शिखर (शीश) पर जिसके (शिव) |
समास के उदाहरण – Samas in Hindi
समस्त पद | विग्रह | समास का नाम |
मुक्तिप्राप्त | मुक्ति को प्राप्त | कर्म तत्पुरुष |
वनगमन | वन को गमन | कर्म तत्पुरुष |
सुखदायक | सुख को देने वाला | कर्म तत्पुरुष |
बाणाहत | बाण से आहत | करण तत्पुरुष |
चिन्ताग्रस्त | चिन्ता से ग्रस्त | करण तत्पुरुष |
भोजनालय | भोजन के लिए आलय | सम्प्रदान तत्पुरुष |
सेवामुक्त | सेवा से मुक्त | अपादान तत्पुरुष |
पाणिग्रहण | पाणि का ग्रहण | सम्बन्ध तत्पुरुष |
शोकमग्न | शोक में मग्न | अधिकरण तत्पुरुष |
शुभागमन | शुभ है जो आगमन | कर्मधारय समास |
कुदृष्टि | कुत्सित है जो दृष्टि | कर्मधारय समास |
पूर्वापर | पूर्व और अपर | द्वन्द्व समास |
पशु-पक्षी | पशु और पक्षी | द्वन्द्व समास |
पंचपात्र | पाँच पात्रों का समूह | द्विगु समास |
त्रिदोष | तीन दोषों का समूह | द्विगु समास |
सप्तसिन्धु | सात सिन्धुओं का समूह | द्विगु समास |
पतित-पावन | पतितों को पावन करता है | बहुब्रीहि समास |
समास के प्रश्न – Samas ke Objective Question
(ब) कर्मधारय समास
(स) द्विगु समास
(द) तत्पुरुष समास
(अ) बङा सागर
(ब) महान् है जो सागर
(स) प्रशान्त महासागर
(द) सबसे बङा है जो सागर
(ब) द्विगु का
(स) कर्मधारय का
(द) द्वन्द्व का
(ब) द्वन्द्व
(स) द्विगु
(द) तत्पुरुष
(ब) एवं
(स) आदि
(द) और
(ब) तत्पुरुष
(स) द्वन्द्व
(द) बहुव्रीहि
(ब) आदि
(स) और
(द) अथवा
(ब) द्वन्द्व
(स) बहुव्रीहि
(द) तत्पुरुष
(ब) कर्मधारय
(स) अव्ययीभाव
(द) द्विगु
(ब) द्विगु
(स) अव्ययीभाव
(द) कोई नहीं
(ब) कर्मधारय में
(स) तत्पुरुष में
(द) द्वन्द्व में
(ब) द्वन्द्व
(स) बहुव्रीहि
(द) कर्मधारय
(ब) तत्पुरुष
(स) द्वन्द्व
(द) द्विगु
(ब) एक है दाँत जिसका- गणेश
(स) एक दाँत का समूह
(द) एक जोङी दाँत
(ब) अव्ययीभाव
(स) द्वन्द्व
(द) द्विगु
(ब) बहुव्रीहि
(स) द्वन्द्व
(द) द्विगु
(ब) द्वन्द्व
(स) तत्पुरुष
(द) कर्मधारय
(ब) दो गायों वाला
(स) दो गायों का समाहार
(द) दो गाय हैं जो
(ब) द्विगु
(स) तत्पुरुष
(द) अव्ययीभाव
(ब) द्वन्द्व का
(स) कर्मधारय
(द) बहुव्रीहि का
(ब) अव्ययीभाव
(स) द्विगु
(द) द्वन्द्व
(ब) द्विगु
(स) बहुव्रीहि
(द) अव्ययीभाव
(ब) अभूतपूर्व
(स) पूर्वरूप
(द) पूर्वभूत
(ब) द्विगु
(स) तत्पुरुष
(द) द्वन्द्व
(ब) बहुव्रीहि
(स) अव्ययीभाव
(द) द्वन्द्व
समास के प्रश्न उत्तर – Samas ke Question Answer
(ब) अव्ययीभाव
(स) द्वन्द्व
(द) द्विगु
(ब) कवि को पुंगव
(स) कवि द्वारा पुंगव
(द) कवि से पुंगव
(ब) नरों का ईश
(स) नरों द्वारा ईश
(द) नरों से ईश
(ब) द्वन्द्व
(स) द्विगु
(द) तत्पुरुष
(ब) रातों-रात
(स) दिन-दिन
(द) वीर पुरुष
(ब) द्वन्द्व
(स) कर्मधारय
(द) बहुव्रीहि
(ब) तत्पुरुष
(स) कर्मधारय
(द) बहुव्रीहि
(ब) पटरी पर चलने वाली रेलगाङी
(स) रेल से चलने वाली गाङी
(द) रेल पर चलने वाली गाङी
(ब) तत्पुरुष
(स) बहुव्रीहि
(द) द्वन्द्व
(ब) स्वधर्म
(स) जलोष्मा
(द) पंकज
(ब) घट में स्वर्ण
(स) स्वर्ण का घट
(द) घट के लिए स्वर्ण
(ब) भरपेट
(स) त्रिभुवन
(द) छत्रधारी
(ब) द्विगु
(स) कर्मधारय
(द) तत्पुरुष
(ब) दूसरा पद प्रधान होता है।
(स) दोनों पद प्रधान होते हैं।
(द) प्रथम एवं तृतीय पद प्रधान होते हैं।
(ब) पीताम्बर
(स) त्रिभुवन
(द) भूदेव
(ब) द्विगु
(स) अव्ययीभाव
(द) कर्मधारय
(ब) मनमोन
(स) चन्द्रमुखी
(द) यज्ञशाला
(ब) बहुब्रीहि
(स) तत्पुरुष
(द) द्विगु
(ब) पंचानन
(स) दिनभर
(द) चैराहा
(ब) द्वन्द्व
(स) कर्मधारय
(द) तत्पुरुष
(ब) राजा और मार्ग
(स) राजा द्वारा निश्चित मार्ग
(द) राजा द्वार निर्मित मार्ग
(ब) द्वन्द्व
(स) द्विगु
(द) बहुब्रीहि
(ब) पुत्र और रत्न
(स) पुत्र के लिए रत्न
(द) पुत्र रूप में रत्न
(ब) दिन-रात
(स) चतुरानन
(द) त्रिभुवन
(ब) बहुब्रीहि समास में
(स) कर्मधारय समास में
(द) द्विगु समास में
समास के प्रश्न – Samas ke Question
(ब) आचारकुशल
(स) प्रतिदिन
(द) कुमारी
(ब) दिन-दिन
(स) शुभदिन
(द) दिनांत
(ब) द्विगु
(स) तत्पुरुष
(द) बहुब्रीहि
(ब) श्वेताम्बर
(स) लम्बोदर
(द) दिनभर।
(ब) उच्चाशय
(स) राजभवन
(द) चक्रपाणि
(ब) राजकुमार
(स) नीलकमल
(द) नरभक्षी
(ब) कर्मधारय
(स) तत्पुरुष
(द) अव्ययीभाव
(ब) षट्कोण
(स) कुपुत्र
(द) प्रतिवर्ष
(ब) द्वन्द्व
(स) कर्मधारय
(द) द्विगु
(ब) कर्मधारय समास में
(स) तत्पुरुष समास में
(द) बहुब्रीहि समास में
(ब) कर्मधारय
(स) बहुब्रीहि
(द) द्विगु
(ब) विद्या के लिए मंदिर
(स) विद्या और मंदिर
(द) विद्या के समान मंदिर
(ब) द्विगु
(स) कर्मधारय
(द) द्वन्द्व
(ब) समास
(स) अव्यय
(द) छंद
(ब) बहुब्रीहि
(स) तत्पुरुष
(द) कर्मधारय
(ब) जितनी शक्ति
(स) शक्ति के अनुसार
(द) यथा जो शक्ति
(ब) कर्मधारय
(स) द्वन्द्व
(द) बहुब्रीहि
(ब) कर्मधारय
(स) तत्पुरुष
(द) द्वन्द्व
(ब) द्वन्द्व
(स) कर्मधारय
(द) द्विगु
समास के क्वेश्चन – Samas ke Question in Hindi
(ब) चतुर्युगम्
(स) नीलोत्पलम्
(द) माता-पिता
(ब) तत्पुरुष
(स) द्वन्द्व
(द) द्विगु
(ब) बहुब्रीहि
(स) तत्पुरुष
(द) कर्मधारय
(ब) अव्ययीभाव
(स) तत्पुरुष
(द) कर्मधारय
(ब) द्विगु
(स) द्वन्द्व
(द) कर्मधारय
(ब) द्वन्द्व
(स) द्विगु
(द) कर्मधारय
(ब) तत्पुरुष
(स) द्वन्द्व
(द) बहुब्रीहि
(ब) बहुब्रीहि
(स) कर्मधारय
(द) तत्पुरुष
(ब) कर्मधारय
(स) तत्पुरुष
(द) बहुब्रीहि
(ब) द्वन्द्व
(स) तत्पुरुष
(द) कर्मधारय
(ब) द्वन्द्व
(स) तत्पुरुष
(द) कर्मधारय
- धीरे-धीरे में कौन सा समास है (dheere dheere me kaun sa samas hai) ?
- त्रिफला शब्द में कौन सा समास है( triphala shabd kaun sa samas hai) ?
- अनुदार शब्द में समास है (anudar shabd mein samas hai) ?
- नवरत्न शब्द में कौनसा समास है (navratan shabd kaun sa samas hai) ?
- रसोईघर में कौनसा समास है (rasoi ghar kaun sa samas hai) ?
- पाठशाला शब्द में कौन सा समास है ?
- समास के कितने प्रकार होते है – Samas kitne prakar ke hote hain ?
- चक्रपाणि में कौनसा समास है – Chakrapani kaun sa samas hai
- चौराहा में कौनसा समास है – Chauraha mein kaun sa samas hai ?
- कमलनयन में कौनसा समास है – Kamalnayan kaun sa samas hai ?
- लम्बोदर में कौनसा समास है – Lambodar kaun sa samas hai ?
- पीताम्बर में कौनसा समास है – Pitambar mein kaun sa samas hai ?
- माता -पिता में कोनसा समास है – Mata pita mein kaun sa samas hai ?
- पंचवटी में कौनसा समास है – Panchvati mein kaun sa samas hai ?
समास के मूल्यांकन प्रश्न – Samas in Hindi
- शाखामृग का समास विग्रह करें
- यथासमय का समास विग्रह करें
- दीर्घायु में कौन सा समास है ?
- नरभक्षी में कौन सा समास है ?
- एकदंत का समास विग्रह होगा ?
- समास के कितने भेद होते है – samas ke kitne bhed hote hain ?
- गजानन में कौनसा समास है – Gajanan kaun sa samas hai ?
- समास के कितने प्रकार होते है (samas ke kitne prakar hote hai) ?
- प्रतिदिन में कौनसा समास है – Pratidin mein kaun sa samas hai ?
- समास विग्रह क्या होता है – samas vigrah kya hota hain ?
- नीलकमल में कौनसा समास है – Nilkamal mein kaun sa samas hai ?
हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण टॉपिक :
स्वर व्यंजन , शब्द भेद, उपसर्ग ,कारक , क्रिया, वाच्य , समास ,मुहावरे , विराम चिन्ह |
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Unpachas me konsa samas hoga
Thank you for this! Isse bohut sahayata mili hame