शैशवावस्था महत्वपूर्ण कथन
*✴ बाल विकास के महत्वपूर्ण कथन ✴*
*💥शैशवावस्था – (जन्म से 5 वर्ष की उम्र)💥*
*♦स्टैंग :- “जीवन के प्रथम 2 वर्षों में बालक अपने भावी जीवन का शिलान्यास करता है!”*
*♦ब्रिजेस:- “2 वर्ष की उम्र तक बालक में लगभग सभी संवेगों का विकास हो जाता है !”*
*♦जे.न्यूमेन:- “5 वर्ष तक की अवस्था शरीर और मस्तिष्क के लिए बड़ी ग्रहणशील रहती है !”*
*♦वैलेंटाईन :- “शैशवावस्था सीखने का आदर्श काल है !”*
*♦क्रो एंड क्रो :- ” बींसवीं शताब्दी बालकों की शताब्दी है !”*
*♦रॉस :- “शिशु कल्पना का नायक है अत: उसका भली प्रकार निर्देशक अपेक्षित हैं !”*
*♦एडलर :- “शिशु के जन्म के कुछ समय बाद ही यह निश्चित किया जा सकता है कि भविष्य में उसका स्थान क्या है !”*
*♦गैसल :- “बालक प्रथम छ: वर्ष में बाद के *12* *वर्ष से भी दुगुना सीख जाता है !”*
*♦सिगमंड फ्रायड :- “शिशु में काम प्रवर्ती बहुत प्रबल होती हैं पर वयस्को की भांति उसकी अभिव्यक्ति नहीं होती है !”*
*♦वाटसन :- “शैशवावस्था में सीखने की सीमा व तीव्रता विकास की अवस्था से बहुत अधिक होती हैं !”*
*♦रूसो :- “बालक के हाथ, पैर, व नैत्र उसके प्रारंभिक शिक्षक हैं! इन्ही के द्वारा वह पाँच वर्ष मे ही पहचान कर सकता है , सोच सकता है और याद कर सकता है !”*
व्यक्तित्व परिभाषा और सिद्धान्त