Alankar in Hindi – अलंकार सम्पूर्ण परिचय | काव्यशास्त्र

आज की पोस्ट में हम काव्यशास्त्र के अंतर्गत अलंकार सम्पूर्ण परिचय(Alankar in Hindi)  पढेंगे ,इसके अंतर्गत हम अलंकार की परिभाषा (Alankar ki Paribhasha) , अलंकार के भेद (Alankar ke Prakar) , अलंकार के उदाहरण (Alankar ke Udaharan) अच्छे से जानेंगे ।  पोस्ट  के अंत में आपके लिए परीक्षापयोगी महत्त्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न भी दिए गए है ।

अलंकार – Alankar

Table of Contents

Alankar

Alankar

अलंकार का अर्थ एवं परिभाषा – Alankar ki Paribhasha

अलंकार शब्द दो शब्दों के योग से मिलकर बना है- ‘अलम्’ एवं ‘कार’ , जिसका अर्थ है- आभूषण या विभूषित करने वाला

काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व को अलंकार(Alankar) कहते हैं। दूसरे शब्दों में जिन उपकरणों या शैलियों से काव्य की सुंदरता बढ़ती है, उसे अलंकार(Alankar) कहते हैं।

अलंकारों की विशेषताएँ – Alankar ki Visheshta

  • अलंकार काव्य सौन्दर्य का मूल है।
  • अलंकारों का मूल वक्रोक्ति या अतिशयोक्ति है।
  • अलंकार और अलंकार्य में कोई भेद नहीं है।
  • ⋅अलंकार काव्य का शोभाधायक धर्म है।
  • अलंकार काव्य का सहायक तत्त्व है।
  • स्वभावोक्ति न तो अलंकार है तथा न ही काव्य है अपितु वह केवल वार्ता है।
  • ध्वनि, रस, संधियों, वृत्तियों, गुणों, रीतियों को भी अलंकार नाम से पुकारा जा सकता है।
  • अलंकार रहित उक्ति शृंगाररहिता विधवा के समान है।

अलंकार के प्रकार – Alankar ke Prakar

अलंकार के प्रकार

 

1. शब्दालंकार – Shabdalankar

जहाँ शब्दों के कारण काव्य की शोभा बढ़ती है, वहाँ शब्दालंकार होता है। इसके अंतर्गत अनुप्रास,यमक,श्लेष और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार आते हैं।

2. अर्थालंकार – Arthalankar

जहाँ अर्थ के कारण काव्य की शोभा में वृध्दि होती है, वहाँ अर्थालंकार होता है। इसके अंतर्गत उपमा,उत्प्रेक्षा,रूपक,अतिशयोक्ति, अन्योक्ति, अपन्हुति, विरोधाभास आदि अलंकार शामिल हैं।

3. उभयालंकार – Ubhaya alankar

जहाँ अर्थ और शब्द दोनों के कारण काव्य की शोभा में वृध्दि हो, उभयालंकार होता है । इसके दो भेद हैं-

  • संकर
  • संसृष्टि
अलंकार के भेद
अलंकार के भेद

शब्दालंकार के प्रकार – Shabdalankar ke Bhed

  • अनुप्रास अलंकार
  • यमक अलंकार
  • श्लेष अलंकार
  • प्रश्न अलंकार
  • वीप्सा अलंकार

1.अनुप्रास अलंकार किसे कहते है – Anupras alankar kise kahate hain

जहाँ काव्य में किसी वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।

अनुप्रास अलंकार के उदाहरण – Anupras alankar ke udaharan

”तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।”

यहाँ पर ‘त’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हुआ है। इसी प्रकार अन्य उदाहरण निम्नांकित हैं-

‘चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही हैं जल-थल में।’

यहाँ पर ‘च’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हुआ है।

बंदउँ गुरु पद पदुम परागा।
सुरुचि सुवास सरस अनुरागा।।’

यहाँ पर ‘स’ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हुआ है।

रघुपति राघव राजा राम।
पतित पावन सीताराम।।

यहाँ पर ‘र ‘ वर्ण की आवृत्ति चार बार एवं ‘प ‘ वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हुआ है।

2. यमक अलंकार किसे कहते है – Yamak alankar kise kahate hain

जिस काव्य में एक शब्द एक से अधिक बार आए किन्तु उनके अर्थ अलग-अलग हों, वहाँ यमक अलंकार होता है।

यमक अलंकार के उदाहरण – Yamak alankar ke udaharan

कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
या खाए बौरात नर या पाए बौराय।।

इस पद में ‘कनक’ शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले ‘कनक’ का अर्थ ‘सोना’ तथा दूसरे ‘कनक’ का अर्थ ‘धतूरा’ है।

अन्य उदाहरण-

माला फेरत जुग गया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दे,मन का मनका फेर।।

इस पद में ‘मनका ‘ शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले ‘मनका ‘ का अर्थ ‘माला की गुरिया ‘ तथा दूसरे ‘मनका ‘ का अर्थ ‘मन’ है।

ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी
ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाती हैं।

इस पद में ‘घोर मंदर ‘ शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले ‘घोर मंदर ‘ का अर्थ ‘ऊँचे महल ‘ तथा दूसरे ‘घोर मंदर ‘ का अर्थ ‘कंदराओं से ‘ है।

कंद मूल भोग करैं कंदमूल भोग करैं
तीन बेर खाती ते बे तीन बेर खाती हैं।

इस पद में ‘कंदमूल ‘ और ‘ बेर’ शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। पहले ‘कंदमूल ‘ का अर्थ ‘फलों से’ है तथा दूसरे ‘कंदमूल ‘ का अर्थ ‘जंगलों में पाई जाने वाली जड़ियों से ‘ है। इसी प्रकार पहले ‘ तीन बेर’ से आशय तीन बार से है तथा दूसरे ‘तीन बेर’ से आशय मात्र तीन बेर ( एक प्रकार का फल ) से है ।

भूखन शिथिल अंग, भूखन शिथिल अंग
बिजन डोलाती ते बे बिजन डोलाती हैं।

तो पर वारों उर बसी, सुन राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसी, ह्वै उरबसी समान।।

देह धरे का गुन यही, देह देह कछु देह ।
बहुरि न देही पाइए, अबकी देह सुदेह ।।

मूरति मधुर मनोहर देखी।
भयउ विदेह -विदेह विसेखी।।

सूर -सूर तुलसी शशि।

बरछी ने वे छीने हाँ खलन के

चिरजीवी जोरी जुरै क्यों न सनेह गंभीर।
को घाटी ये वृषभानुजा वे हलधर के वीर।।

यहां पर वृषभानुजा के दो अर्थ – 1. वृषभानु की पुत्री – राधिका २. वृषभा की अनुजा – गाय
इसी प्रकार हलधर के भी दो अर्थ है – 1. हलधर अर्थात बलराम 2. हल को धारण करने वाला – बैल

’’सारंग ले सारंग उड्यो, सारंग पुग्यो आय।
जे सारंग सारंग कहे, मुख को सारंग जाय।।’’

3. श्लेष अलंकार किसे कहते है – Shlesh alankar kise kahate hain

श्लेष का अर्थ – चिपका हुआ। किसी काव्य में प्रयुक्त होनें वाले किसी एक शब्द के एक से अधिक अर्थ हों, उसे श्लेष अलंकार कहते हैं। इसके दो भेद हैं- शब्द श्लेष और अर्थ श्लेष।

शब्द श्लेष- जहाँ एक शब्द के अनेक अर्थ होता है , वहाँ शब्द श्लेष अलंकार होता है। .

श्लेष अलंकार के उदाहरण – Shlesh Alankar ke Udaharan

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुस, चून।।

यहाँ दूसरी पंक्ति में ‘पानी’ शब्द तीन अर्थों में प्रयुक्त हुआ है।
मोती के अर्थ में – चमक, मनुष्य के अर्थ में- सम्मान या प्रतिष्ठा तथा चून के अर्थ में- जल

अर्थ श्लेष- जहाँ एकार्थक शब्द से प्रसंगानुसार एक से अधिक अर्थ होता है, वहाँ अर्थ श्लेष अलंकार होता है।

नर की अरु नल-नीर की गति एकै कर जोय
जेतो नीचो ह्वै चले, तेतो ऊँची होय।।

इसमें दूसरी पंक्ति में ‘ नीचो ह्वै चले’ और ‘ऊँची होय’ शब्द सामान्यतः एक अर्थ का बोध कराते है, किन्तु नर और नलनीर के प्रसंग में भिन्न अर्थ की प्रतीत कराते हैं।

जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय ।
बारे उजियारो करे, बढ़ै अंधेरो होय ।

यहाँ बारे का अर्थ ‘लड़कपन’ और ‘जलाने से है और’ बढे’ का अर्थ ‘बड़ा होने’ और ‘बुझ जाने’ से है

‘‘चरण धरत चिन्ता करत भावत नींद न सोर।
सुबरण को ढूँढ़त फिरै, कवि कामी अरु चोर।।’’

4. प्रश्न अलंकार किसे कहते है – Prshan alankar kise kahate hain

जहाँ काव्य में प्रश्न किया जाता है, वहाँ प्रश्न अलंकार होता है।

जैसे-

जीवन क्या है? निर्झर है।
मस्ती ही इसका पानी है।

5.वीप्सा अलंकार या पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार किसे कहते है  – Vipsa alankar kise kahate hain

घबराहट, आश्चर्य, घृणा या रोचकता किसी शब्द को काव्य में दोहराना ही वीप्सा या पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

उदाहरण :

मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।

विहग-विहग
फिर चहक उठे ये पुंज-पुंज
कल- कूजित कर उर का निकुंज
चिर सुभग-सुभग।

जुगन- जुगन समझावत हारा , कहा न मानत कोई रे ।

लहरों के घूँघट से झुक-झुक , दशमी शशि निज तिर्यक मुख ,
दिखलाता , मुग्धा- सा रुक-रुक ।

अर्थालंकार के प्रकार – Arthalankar ke bhed

  • उपमा अलंकार
  • रूपक अलंकार
  • उत्प्रेक्षा अलंकार
  • अतिशयोक्ति अलंकार
  • अन्योक्ति अलंकार
  • अपन्हुति अलंकार
  • व्यतिरेक अलंकार
  • संदेह अलंकार
  • विरोधाभास अलंकार
  • वक्रोक्ति अलंकार
  • भ्रांतिमान अलंकार
  • ब्याजस्तुति अलंकार
  • ब्याजनिन्दा अलंकार
  • विशेषोक्ति अलंकार
  • विभावना अलंकार
  • मानवीकरण अलंकार
  • समासोक्ति अलंकार

1. उपमा अलंकार किसे कहते है – Upma alankar kise kahate hain

काव्य में जब दो भिन्न वस्तुओं में समान गुण धर्म के कारण तुलना या समानता की जाती है, तब वहाँ उपमा अलंकार होता है।

उपमा के अंग – Upma alankar ke ang

उपमा के 4 अंग हैं।

i. उपमेय- जिसकी तुलना की जाय या उपमा दी जाय। जैसे- मुख चन्द्रमा के समान सुंदर है। इस उदाहरण में मुख उपमेय है।

ii. उपमान- जिससे तुलना की जाय या जिससे उपमा दी जाय। उपर्युक्त उदाहरण में चन्द्रमा उपमान है।

iii. साधारण धर्म- उपमेय और उपमान में विद्यमान समान गुण या प्रकृति को साधारण धर्म कहते है। ऊपर दिए गए उदाहरण में ‘सुंदर ‘ साधारण धर्म है जो उपमेय और उपमान दोनों में मौजूद है।

iv. वाचक –समानता बताने वाले शब्द को वाचक शब्द कहते हैं। ऊपर दिए गए उदाहरण में वाचक शब्द ‘समान’ है। (सा , सरिस , सी , इव, समान, जैसे , जैसा, जैसी आदि वाचक शब्द हैं )

उल्लेखनीय- जहाँ उपमा के चारो अंग उपस्थित होते हैं, वहाँ पूर्णोपमा अलंकार होता है। जब उपमा के एक या एक से अधिक अंग लुप्त होते हैं, तब लुप्तोपमा अलंकार होता है।

उपमा अलंकार के उदाहरण – Upma alankar ke udaharan

1. पीपर पात सरिस मन डोला।
2. राधा जैसी सदय-हृदया विश्व प्रेमानुरक्ता ।
3. माँ के उर पर शिशु -सा , समीप सोया धारा में एक द्वीप ।
4. सिन्धु सा विस्तृत है अथाह,
एक निर्वासित का उत्साह ।
5. ”चरण कमल -सम कोमल ”

2. रूपक अलंकार किसे कहते है – Rupak Alankar kise kahate hain

जब उपमेय में उपमान का निषेध रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है। दूसरे शब्दों में जब उपमेय और उपमान में अभिन्नता या अभेद दिखाते हैं, तब रूपक अलंकार होता है।उदाहरण-

रूपक अलंकार के उदाहरण – Rupak alankar ke udaharan

चरण-कमल बंदउँ हरिराई।

राम कृपा भव-निशा सिरानी

बंदउँ गुरुपद पदुम- परागा।
सुरुचि सुवास सरस अनुरागा।।

चरण सरोज पखारन लागा ।

‘‘उदित उदयगिरि मंच पर, रघुवर बाल-पतंग।
बिकसे संत सरोज सब, हरषे लोचन-भृंग।।’’

 ‘‘बीती विभावरी जाग री।
अम्बर-पनघट में डूबो रही तारा-घट उषा नागरी।।’’

 ‘‘नारि-कुमुदिनी अवध सर रघुवर विरह दिनेश।
अस्त भये प्रमुदित भई, निरखि राम राकेश।।’’

 ‘‘रनित भृंग घंटावली, झरत दान मधुनीर।
मंद-मंद आवतु चल्यो, कुंजर कुंज समीर।।’’

 ‘‘छंद सोरठा सुंदर दोहा। सोई बहुरंग कमल कुल सोहा।।
अरथ अनूप सुभाव सुभासा। सोई पराग मकरंद सुवासा।।’’

 ‘‘बढ़त-बढ़त सम्पत्ति सलिल मन सरोज बढ़ि जाय।
घटत-घटत फिरि ना घटै, तरु समूल कुम्हलाय।।’’

 ‘‘जितने कष्ट कंटकों में है, जिनका जीवन सुमन खिला।
गौरव ग्रंथ उन्हें उतना ही, यत्र तत्र सर्वत्र मिला।।’’

3. उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते है – 

जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। उत्प्रेक्षा के लक्षण– मनहु, मानो, जनु, जानो, ज्यों,जान आदि।

उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण – Utpreksha alankar ke udaharan

 लता भवन ते प्रकट भे,तेहि अवसर दोउ भाइ।
मनु निकसे जुग विमल विधु, जलद पटल बिलगाइ।।

 दादुर धुनि चहु दिशा सुहाई।
वेद पढ़हिं जनु बटु समुदाई।।

 मेरे जान पौनों सीरी ठौर कौ पकरि कौनों ,
घरी एक बैठि कहूँ घामैं बितवत हैं ।

 मानो तरु भी झूम रहे हैं, मंद पवन के झोकों से ।

4. अतिशयोक्ति अलंकार किसे कहते है – Atishyokti alankar kise kahate hain

काव्य में जहाँ किसी बात को बढ़ा चढ़ा के कहा जाए, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।

अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण – Atishyokti alankar ke udaharan

 हनुमान की पूँछ में, लगन न पायी आग।
लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग।।

 आगे नदिया पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।।

 देखि सुदामा की दीन दसा,
करुना करिकै करणानिधि रोए।
पानी परात को हाथ छुयौ नहिं ,
नैनन के जल सों पग धोए।

 जनु अशोक अंगार दीन्ह मुद्रिका डारि तब।

मनो झूम रहे हैं तरु भी मंद पवन के झोकों से।

5. अन्योक्ति अलंकार किसे कहते है – Anyokti alankar kise kahate hain

जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।

अन्योक्ति अलंकार के उदाहरण – Anyokti alankar ke udaharan

 नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

 इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

 माली आवत देखकर कलियन करी पुकार।
फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। (संसार की नश्वरता)

 केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर।
अब ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।।

6. अपन्हुति अलंकार किसे कहते है ?

अपन्हुति का अर्थ है छिपाना या निषेध करना।काव्य में जहाँ उपमेय को निषेध कर उपमान का आरोप किया जाता है,वहाँ अपन्हुति अलंकार होता है।

अपन्हुति अलंकार के उदाहरण- Apanhuti alankar ke udaharan

 यह चेहरा नहीं गुलाब का ताजा फूल है।

 नये सरोज, उरोजन थे, मंजुमीन, नहिं नैन।
कलित कलाधर, बदन नहिं मदनबान, नहिं सैन।।

 सत्य कहहूँ हौं दीन दयाला।
बंधु न होय मोर यह काला।।

7. व्यतिरेक अलंकार किसे कहते है – 

जब काव्य में उपमान की अपेक्षा उपमेय को बहुत बढ़ा चढ़ा कर वर्णन किया जाता है, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।

व्यतिरेक अलंकार के उदाहरण  – vyatirek alankar ke udaharan

 जिनके जस प्रताप के आगे ।
ससि मलिन रवि सीतल लागे।

8. संदेह अलंकार किसे कहते है – Sandeh alankar kise kahate hain

जब उपमेय में उपमान का संशय हो तब संदेह अलंकार होता है। या जहाँ रूप, रंग या गुण की समानता के कारण किसी वस्तु को देखकर यह निश्चित न हो कि वही वस्तु है और यह संदेह अंत तक बना रहता है, वहाँ सन्देह अलंकार होता है।

संदेह अलंकार के उदाहरण – Sandeh alankar ke udaharan

 कहूँ मानवी यदि मैं तुमको तो ऐसा संकोच कहाँ?
कहूँ दानवी तो उसमें है यह लावण्य की लोच कहाँ?
वन देवी समझूँ तो वह तो होती है भोली-भाली।।

 विरह है या वरदान है।

 सारी बिच नारी है कि नारी बिच सारी है।
कि सारी ही की नारी है कि नारी ही की सारी है।

 कहहिं सप्रेम एक-एक पाहीं।
राम-लखन सखि होहिं की नाहीं।।

9. विरोधाभास अलंकार किसे कहते है – Virodhabhas alankar kise kahate hain

जहाँ बाहर से विरोध दिखाई दे किन्तु वास्तव में विरोध न हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है 

विरोधाभास अलंकार के उदाहरण – Virodhabhas alankar ke udaharan

 ना खुदा ही मिला ना बिसाले सनम।
ना इधर के रहे ना उधर के रहे।।

 जब से है आँख लगी तबसे न आँख लगी।

 या अनुरागी चित्त की , गति समझे नहिं कोय।
ज्यों- ज्यों बूड़े स्याम रंग, त्यों-त्यों उज्ज्वल होय।।

 सरस्वती के भंडार की बड़ी अपूरब बात ।
ज्यों खरचै त्यों- त्यों बढे , बिन खरचे घट जात ॥

 शीतल ज्वाला जलती है, ईंधन होता दृग जल का। यह व्यर्थ साँस चल-चलकर,करती है काम अनिल का।.

10. वक्रोक्ति अलंकार किसे कहते है – 

जहाँ किसी उक्ति का अर्थ जान बूझकर वक्ता के अभिप्राय से अलग लिया जाता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।

वक्रोक्ति अलंकार के उदाहरण – Vakrokti alankar ke udaharan

 कौ तुम? हैं घनश्याम हम ।
तो बरसों कित जाई।

 मैं सुकमारि नाथ बन जोगू।
तुमहिं उचित तप मो कहँ भोगू।।

इसके दो भेद है- (i) श्लेष वक्रोक्ति (ii) काकु वक्रोक्ति

11. भ्रांतिमान अलंकार किसे कहते है – 

जहाँ प्रस्तुत को देखकर किसी विशेष साम्यता के कारण किसी दूसरी वस्तु का भ्रम हो जाता है, वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होता है।

भ्रांतिमान अलंकार के उदाहरण – Bhrantiman alankar ke udaharan

चंद के भरम होत मोड़ है कुमुदनी।

 नाक का मोती अधर की कान्ति से,
बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से,
देखकर सहसा हुआ शुक मौन है,
सोचता है, अन्य शुक कौन है।

 चाहत चकोर सूर ऒर , दृग छोर करि।
चकवा की छाती तजि धीर धसकति है।

बादल काले- काले केशों को देखा निराले।
नाचा करते हैं हरदम पालतू मोर मतवाले।।

12. ब्याजस्तुति अलंकार किसे कहते है – Byaj stuti alankar kise kahate hain

काव्य में जहाँ देखने, सुनने में निंदा प्रतीत हो किन्तु वह वास्तव में प्रशंसा हो,वहाँ ब्याजस्तुति अलंकार होता है।

दूसरे शब्दों में – काव्य में जब निंदा के बहाने प्रशंसा किया जाता है , तो वहाँ ब्याजस्तुति अलंकार होता है ।

ब्याजस्तुति अलंकार के  उदाहरण : Byaj stuti alankar ke udaharan

गंगा क्यों टेढ़ी -मेढ़ी चलती हो?
दुष्टों को शिव कर देती हो ।
क्यों यह बुरा काम करती हो ?
नरक रिक्त कर दिवि भरती हो ।

स्पष्टीकरण – यहाँ देखने ,सुनने में गंगा की निंदा प्रतीत हो रहा है किन्तु वास्तव में यहाँ गंगा की प्रशंसा की जा रही है , अतः यहाँ ब्याजस्तुति अलंकार है ।

रसिक शिरोमणि, छलिया ग्वाला ,
माखनचोर, मुरारी ।
वस्त्र-चोर ,रणछोड़ , हठीला ‘
मोह रहा गिरधारी ।

स्पष्टीकरण – यहाँ देखने में कृष्ण की निंदा प्रतीत होता है , किन्तु वास्तव में प्रशंसा की जा रही है । अतः यहाँ व्याजस्तुति अलंकार है ।

जमुना तुम अविवेकनी, कौन लियो यह ढंग ।
पापिन सो जिन बंधु को, मान करावति भंग ।।

स्पष्टीकरण – यहाँ देखने में यमुना की निंदा प्रतीत होता है , किन्तु वास्तव में प्रशंसा की जा रही है । अतः यहाँ व्याजस्तुति अलंकार है ।

13. ब्याजनिन्दा अलंकार किसे कहते है ?

काव्य में जहाँ देखने, सुनने में प्रशंसा प्रतीत हो किन्तु वह वास्तव में निंदा हो,वहाँ ब्याजनिंदा अलंकार होता है।

दूसरे शब्दों में – काव्य में जब प्रशंसा के बहाने निंदा किया जाता है , तो वहाँ ब्याजनिंदा अलंकार होता है ।

उदाहरण  :

तुम तो सखा श्यामसुंदर के ,

सकल जोग के ईश ।

स्पष्टीकरण – यहाँ देखने ,सुनने में श्रीकृष्ण के सखा उध्दव की प्रशंसा प्रतीत हो रहा है ,किन्तु वास्तव में उनकी निंदा की जा रही है । अतः यहाँ ब्याजनिंदा अलंकार हुआ ।

समर तेरो भाग्य यह कहा सराहयो जाय ।
पक्षी करि फल आस जो , तुहि सेवत नित आय ।

स्पष्टीकरण – यहाँ पर समर (सेमल ) की प्रशंसा करना प्रतीत हो रहा है किन्तु वास्तव में उसकी निंदा की जा रही है । क्योंकि पक्षियों को सेमल से निराशा ही हाथ लगती है ।

राम साधु तुम साधु सुजाना ।
राम मातु भलि मैं पहिचाना ।।

14. विशेषोक्ति अलंकार किसे कहते है – Visheshokti alankar kise kahate hain

काव्य में जहाँ कारण होने पर भी कार्य नहीं होता, वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है।

विशेषोक्ति अलंकार के उदाहरण  – Visheshokti alankar ke udaharan

न्हाये धोए का भया, जो मन मैल न जाय।
मीन सदा जल में रहय , धोए बास न जाय।।

नेहु न नैननि कौ कछु, उपजी बड़ी बलाय।
नीर भरे नित प्रति रहै , तऊ न प्यास बुझाय।।

मूरख ह्रदय न चेत , जो गुरु मिलहिं बिरंचि सम ।
फूलहि फलहि न बेत , जदपि सुधा बरसहिं जलद ।

स्पष्टीकरण – उपर्युक्त उदाहरण में कारण होते हुए भी कार्य का न होना बताया जा रहा है ।

15. विभावना अलंकार किसे कहते है – Vibhavana alankar kise kahate hain

जहाँ कारण के न होते हुए भी कार्य का होना पाया जाय , वहां विभावना अलंकार होता है ।

विभावना अलंकार के उदाहरण – Vibhavana alankar ke udaharan

 बिनु पग चलै सुनै बिनु काना।
 कर बिनु करम करै विधि नाना।।
 

आनन रहित सकल रस भोगी ।
 बिनु बानी बकता बड़ जोगी।।

स्पष्टीकरण – उपर्युक्त उदाहरण में कारण न होते हुए भी कार्य का होना बताया जा रहा है । बिना पैर के चलना , बिनाकान के सुनना, बिना हाथ के नाना कर्म करना , बिना मुख के सभी रसों का भोग करना और बिना वाणी के वक्ता होना कहा गया है । अतः यहाँ विभावना अलंकार है ।

निंदक नियरे राखिए , आँगन कुटी छबाय।
बिन पानी साबुन निरमल करे स्वभाव।।

16. मानवीकरण अलंकार किसे कहते है – Manvikaran alankar kise kahate hain

जब काव्य में प्रकृति को मानव के समान चेतन समझकर उसका वर्णन किया जाता है , तब मानवीकरण अलंकार होता है 

मानवीकरण अलंकार के उदाहरण – Manvikaran alankar ke udaharan

1. है विखेर देती वसुंधरा मोती सबके सोने पर ,
रवि बटोर लेता उसे सदा सबेरा होने पर ।

2. उषा सुनहले तीर बरसाती
जय लक्ष्मी- सी उदित हुई ।

3. केशर -के केश – कली से छूटे ।

4. दिवस अवसान का समय
मेघमय आसमान से उतर रही
वह संध्या-सुन्दरी सी परी धीरे-धीरे।

17.समासोक्ति अलंकार किसे कहते है – 

जहाँ पर कार्य, लिंग या विशेषण की समानता के कारण प्रस्तुत के कथन में अप्रस्तुत व्यवहार का समावेश होता है अथवा अप्रस्तुत का स्फुरण होता हे तो वहाँ समासोक्ति अलंकार माना जाता है।
समासोक्ति में प्रयुक्त शब्दों से प्रस्तुत अर्थ के साथ-साथ एक अप्रस्तुत अर्थ भी सूचित होता है जो यद्यपि प्रसंग का विषय नहीं होता है, फिर भी ध्यान आकर्षित करता है।

समासोक्ति अलंकार उदाहरण – Samasokti alankar ke udaharan

1. ‘‘कुमुदिनी हुँ प्रफुल्लित भई, साँझ कलानिधि जोई।’’
यहाँ प्रस्तुत अर्थ है- ‘‘संध्या के समय चन्द्र को देखकर कुमुदिनी खिल उठी।’’
अर्थ – इस अर्थ के साथ ही यहाँ यह अप्रस्तुत अर्थ भी निकलता है कि संध्या के समय कलाओं के निधि अर्थात् प्रियतम को देखकर नायिका प्रसन्न हुई।
2. ‘‘चंपक सुकुमार तू, धन तुव भाग्य विसाल।
तेरे ढिग सोहत सुखद, सुंदर स्याम तमाल।।’’
3. ‘‘नहिं पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहि काल।
अली कली ही सों बिन्ध्यो, आगे कौन हवाल।।’’
यहाँ भ्रमर के कली से बंधने के प्रस्तुत अर्थ के साथ-साथ राजा के नवोढ़ा रानी के साथ बंधने का अप्रस्तुत अर्थ भी प्रकट हो रहा है। अतः यहाँ समासोक्ति अलंकार है।
4. ‘‘जब तुहिन भार से चलता था धीरे धीरे मारुत सुकुमार।
तब कुसुमकुमारी देख-देख, उस पर जाती निस्सार।।’’

अलंकार के प्रश्न – Alankar ke question

1. ’’ध्वनि-मयी कर के गिरी कंदरा।
कलित-कानन केलि निकुंज को।’’
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है ?
(अ) छेकानुप्रास (ब) वृत्त्यनुप्रास ✔️
(स) लाटानुप्रास (द) यमक

2. रंभा भूमत हौ कहा, कुछक दिन के हेत।
तुमते केते है गए, और है हैं यदि खेत।
उपुयक्त पंक्तियों में अलंकार है ?
(अ) वक्रोक्ति (ब) विरोधाभास
(स) लोकोक्ति (द) अन्योक्ति ✔️

3. बङे न हूते गुनन बिनु विरद बङाई पाए।
कहत धतूरे सों कनक गहनो गढ़ो न जाए।
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है ?
(अ) अतिशयोक्ति (ब) प्रतिवस्तूपमा
(स) अर्थान्तरन्यास✔️ (द) विरोधाभास

4. बढ़त-बढ़त सम्पत्ति सलिल मन-सरोज बढ़ जाए।
घटत-घटत फिर ना घटै करु समूल कुम्हिलाय।।
उपुर्यक्त पंक्तियों में अलंकार है ?
(अ)यमक (ब) विरोधाभास
(स) श्लेष (द) रूपक ✔️

5. अब अलि रही गुलाब में, अपत कटीली डार।
उपर्युक्त पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) उपमा (ब) उत्प्रेक्षा
(स) अन्योक्ति ✔️ (द) अतिशयोक्ति

6. तू रूप में किरन में, सौदर्य है सुमन में।
पंक्ति में अलंकार है-
(अ) विभावना (ब) रूपक
(स) यथासंख्य (द) उल्लेख ✔️

7. माया महाठगिनि हम जानी।
तिरगुन फांस लिए कर डौले, बोलै मधुरी बानी।
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है ?
(अ) श्लेष ✔️ (ब) यमक
(स) रूपक (द) अन्योक्ति

8. पट-पीत मानहुं तङित रुचि, सुचि नौमि जनक सुतावंर।
पंक्ति में अलंकार निहित है ?
(अ) उपमा ✔️ (ब) रूपक
(स) उत्प्रेक्षा (द) उदाहरण

9. गर्व करउ रघुनन्दन जिन मन माँह,
देखउ आपन मूरति सिय के छाँह।
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है ?
(अ) व्यतिरेक (ब) रूपक
(स) अतिशयोक्ति (द) प्रतीप ✔️

10. ’कमल-नैन’ में अलंकार है ?
(अ) रूपक✔️ (ब) उपमा
(स) उत्प्रेक्षा (द) श्लेष

महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर अलंकार – Alankar ke question answer

11. नहिं पराग नहिं मधुर, मधु, नहिं विकास बेहि काल।
अली कली ही सों बध्यो, आगे कौन हवाल।।
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है ?
(अ) रूपक (ब) विशेषोक्ति
(स) अन्योक्ति ✔️ (द) अतिशयोक्ति

12. भरतहि होई न राजमदु विधि हरि हर पाद पाई।
कबहुँ कि काँजी सीकरनि छीर सिंधु बनसाई।।
इसमें अलंकार निहित है ?
(अ) उदाहरण (ब) दृष्टान्त ✔️
(स) निदर्शना (द) व्यतिरेक

13. माला फेरत युग गया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका छाङि दे, मन का मनका फेर।।
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है ?
(अ) अनुप्रास (ब) श्लेष
(स) यमक ✔️ (द) रूपक

14. सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात।
मनहुँ नील मनि सैल पर आतप परयो प्रभात।।
इसमें अलंकार निहित है ?
(अ) यमक (ब) उत्प्रेक्षा ✔️
(स) रूपक (द) श्लेष

15. मुख बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ- में अलंकार है ?
(अ) उपमा ✔️ (ब) उत्प्रेक्षा
(स) उपमेयोपमा (द) रूपक

16. मेखलाकार पर्वत अपार
अपने सहस्त्र दृग सुमन फाङ,
अवलोक रहा था बार-बार
नीचे जल मं निज महाकार।
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है ?
(अ) उपमा (ब) रूपक ✔️
(स) उत्प्रेक्षा (द) यमक

17. निरजीवौ जोरी जुरै, क्यों न सनेह गंभीर।
को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के बीर।।
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है ?
(अ) यमक (ब) रूपक
(स) श्लेष ✔️ (द) उत्प्रेक्षा

18. सब प्राणियों  के मत्तमनोमयूर आ नचा रहा।
उपर्युक्त पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) उपमा (ब) रूपक ✔️
(स) श्लेष (द) उत्प्रेक्षा

19. वह इष्ट देव के मंदिर की पूजा-सी,
वह दीप शिखा-सी शांत भाव में लीन
वह टूटे तरू की छूटी लता-सी दीन,
दलित भारत की विधवा है- में अलंकार है ?
(अ) उपमा ✔️ (ब) रूपक
(स) उत्प्रेक्षा (द) यमक

20. राम-नाम अवलंबु बिनु, परमाथ की आस,
अरसत बारिद बूंद गहि, चाहत चढ़न अकास।
इसमें अलंकार निहित है ?
(अ) रूपक (ब) उत्प्रेक्षा ✔️
(स) उपमा (द) अतिशयोक्ति

अलंकार सम्बंधित प्रश्न

21. वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे।
इसमें अलंकार निहित है ?
(अ) छेकानुप्रास (ब) वृत्यनुप्रास
(स) लाटानुप्रास ✔️ (द) यमक

22. तरनि तनुजा तट तमाल तरुवर बहु छाए- में अलंकार है ?
(अ) अनुप्रास ✔️ (ब) यमक
(स) उत्प्रेक्षा (द) उपमा

23. मखमल के झूले पर पङे हाथी -सा टीला।
उपर्युक्त पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) रूपक (ब) उपमा ✔️
(स) उत्प्रेक्षा (द) उल्लेख

24. अति मलीन, वृषभानु कुमारी।
अधमुख रहित, उरध नहीं चितवत्,
ज्यांे गथ हारे थकित जुआरी।
छूटे चिकुर बदन कुम्हिलानो, ज्यों
नलिनी हिसकर की मारी।।
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है ?
(अ) अनुप्रास (ब) उत्प्रेक्षा
(स) रूपक (द) उपमा ✔️

25. पीपर पात सरिस मन डोला- में अलंकार निहित
है ?
(अ) उपमा ✔️ (ब) उत्प्रेक्षा
(स) रूपक (द) उल्लेख

26. तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती हैं- में अलंकार निहित है ?
(अ) अनुप्रास (ब) श्लेष
(स) यमक ✔️ (द) अन्योक्ति

27. बीती विभावरी जाग री।
अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घट उषा-नागरी।
उपर्युक्त पंक्ति में अलंकार है-
(अ) उपमा (ब) उत्प्रेक्षा
(स) रूपक ✔️ (द) उपमेयोपमा

28. चर मरर खुल गए अरर रवस्फुटों से- में अलंकार है ?
(अ) अनुप्रास ✔️ (ब) श्लेष
(स) यमक (द) उत्प्रेक्षा

29. बाँधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से।
मणिवाले फणियों का मुख, क्यों भरा हुआ हीरों से।।
उपर्युक्त पंक्तियों में अलंकार है ?
(अ) रूपक (ब) अतिशयोक्ति ✔️
(स) श्लेष (द) विरोधाभास

30. कनक-कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय।
उपर्युक्त पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) उपमा (ब) यमक ✔️
(स) अनुप्रास (द) श्लेष

Alankar ke objective question

31. ज्यों-ज्यों बूङे स्याम रंग, त्यौं-त्यौं उज्ज्वल होय।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) उत्प्रेक्षा (ब) विरोधाभास ✔️
(स) उपमा (द) यमक

32. चरण-कमल बन्दौ हरि राई।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) श्लेष (ब) उपमा
(स) रूपक ✔️ (द) अतिशयोक्ति

33. तापस बाला-सी गंगा कूल।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) श्लेष (ब) उत्प्रेक्षा
(स) रूपक (द) उपमा ✔️

34. नवल सुन्दर श्याम शरीर।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) उल्लेख ✔️ (ब) उपमा
(स) रूपक (द) अतिशयोक्ति

35. ऊंचे घोर मन्दर के अंदर रहनवारी,
ऊंचे घोर मन्दर के अंदर रहती है।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) यमक ✔️ (ब) उपमा
(स) श्लेष (द) रूपक

36. यह देखिए, अरविंद से शिशुवृंद कैसे सो रहे।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) उत्प्रेक्षा (ब) उपमा ✔️
(स) रूपक (द) यमक

37. हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग।
लंका सिगरी जल गई, गए निसाचर भाग।।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) श्लेष (ब) रूपक
(स) अतिशयोक्ति ✔️ (द) विरोधाभास

38. मो सम कौन कुटिल खल कामी।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) वक्रोक्ति ✔️ (ब) उत्प्रेेक्षा
(स) उपमा (द) इनमें से कोई नहीं

39. रहिमन जो गति दीप की, कुल कपूल गति सोय।
बारे उजियारे लगै, बढ़ै अंधेरो होय।।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) उपमा (ब) रूपक
(स) यमक (द) श्लेष ✔️

40. संदेसनि मधुवन-कूप भरे।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) रूपक (ब) वक्राक्ति
(स) अन्योक्ति (द) अतिशयोक्ति ✔️

Alankar mcq question

41. रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती मानूस चून।।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) श्लेष (ब) उत्प्रेक्षा
(स) रूपक (द) अनुप्रास

42. जहाँ उपमेय में उपमान की समानता की संभावना व्यक्त की जाती है, वहाँ अलंकार होता है ?
(अ) उत्प्रेक्षा ✔️ (ब) उपमा
(स) रूपक (द) सन्देह

43. उपमेय पर उपमान का अभेद आरोप होने पर होता है:
(अ) उपमालंकार (ब) रूपकालंकार ✔️
(स) श्लेषालंकार (द) उत्प्रेक्षालंकार

44. जहाँ उपमेय का निषेध करके उपमान का आरोप किया जाय, वहाँ होता है ?
(अ) रूपक अलंकार (ब) उत्प्रेक्षा अलंकार
(स) अपह्नुति अलंकार ✔️ (द) उपमा अलंकार

45. निम्नलिखित में से कौन सादृश्यमूलक अलंकार नहीं है ?
(अ) उपमा (ब) रूपक
(स) विशेषोक्ति ✔️ (द) उत्प्रेक्षा

46. किस पंक्ति में ’अपह्नुति’ अलंकार है ?
(अ) इसका मुख चन्द्रमा के समान है।
(ब) चन्द्र इसके मुख के समान है।
(स) इसका मुख ही चन्द्र है।
(द) यह चन्द्र नहीं मुख है। ✔️

47. ’रावण सिर सरोज बनचारी।
चलि रघुवीर सिली-मुख धारी।’
सिली-मुख में अलंकार है ?
(अ) श्लेष (ब) लाटानुप्रास
(स) वृत्यनुप्रास (द) उपमा ✔️

48. ’उषा सुनहले तीर बरसती
जयलक्ष्मी सी उदित हुई।’
इसमें अलंकार है:
(अ) मानवीकरण ✔️ (ब) दृष्टान्त
(स) सन्देह (द) विरोधाभास

49. ’उसी तपस्वी से लम्बे थे देवदार दो-चार खङे’-में अलंकार है ?
(अ) श्लेष (ब) अतिशयोक्ति
(स) परिसंख्या ✔️ (द) प्रतीप

50. ’बिनु पद चलै सुनै बिनु काना।
कर बिनु कर्म करै विधि नाना।’
इस चैपाई में अलंकार है:
(अ) विषम (ब) विभावना ✔️
(स) असंगति (द) तद्गुण

अलंकार के अभ्यास प्रश्न

51. ’अब अलि रही गुलाब में, अपत कँटीली डार’ में कौनसा अलंकार है ?
(अ) उपमा ✔️ (ब) उत्प्रेक्षा
(स) अन्योक्ति (द) अतिशयोक्ति

52. नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहीं विकास इहि काल।
अली कली ही सौं बिध्यौं, आगे कौन हवाल।।
प्रस्तुत पंक्तियों में कौनसा अलंकार है ?
(अ) रूपक (ब) विशेषोक्ति
(स) अन्योक्ति ✔️ (द) अतिशयोक्ति

53. ’’खिली हुई हवा आई फिरकी सी आई, चल गई’’- में अलंकार है ?
(अ) संभावना (ब) उत्प्रेक्षा
(स) उपमा (द) अनुप्रास ✔️

54. ’’पापी मनुज भी आज मुख से, राम नाम निकालते’’ -इस काव्य-पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) विभावना (ब) उदाहरण
(स) विरोधाभास ✔️ (द) दृष्टान्त

55. ’’काली घटा का घमंड घटा’’
उपर्युक्त पंक्ति में कौनसा अलंकार है ?
(अ) यमक ✔️ (ब) उपमा
(स) उत्प्रेक्षा (द) रूपक

56. कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय।
वा खाए बौराए जग, या पाए बौराय ।।
ऊपर के दोहे में ’कनक’ का क्या अर्थ है ?
(अ) कण (ब) सोना
(स) धतूरा एवं सोना ✔️ (द) धतूरा

57. दुपहर दिवस जानि घर सूनो ढूँढ़ि-ढँढोरि आपही आयो- में अलंकार है ?
(अ) यमक (ब) अनुप्रास ✔️
(स) उपमा (द) रूपक

58. कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) रूपक (ब) उपमा ✔️
(स) यमक (द) श्लेष

59. पुष्प-पुष्प में तद्रांलस लालसा खींच लूँगा मैं।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) श्लेष (ब) पुनरावृति
(स) उपमा ✔️ (द) रूपक

60. दिन में रास्ता भूल जाएगा सूरज।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) उपमा (ब) अतिशयोक्ति ✔️
(स) रूपक (द) श्लेष

61. सावन के अंधहि ज्यों सूझत रंग हरो।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) उपमा (ब) रूपक
(स) श्लेष (द) उत्प्रेक्षा ✔️

62. देख लो साकेत नगरी है यही स्वर्ग से मिलने गगन जा रही है।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) रूपक (ब) अतिशयोक्ति ✔️
(स) उपमा (द) श्लेष

63. कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) रूपक (ब) उपमा ✔️
(स) यमक (द) श्लेष

64. दिन में रास्ता भूल जाएगा सूरज।
पंक्ति में अलंकार है ?
(अ) उपमा (ब) अतिशयोक्ति ✔️
(स) रूपक (द) श्लेष

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7 thoughts on “Alankar in Hindi – अलंकार सम्पूर्ण परिचय | काव्यशास्त्र”

  1. Isme prateep alankar or drashtant alankar to apne bataye hi nhi bo mere lia very important hai

  2. AADITYA KUMAR MISHRA

    अति सुंदर प्रस्तुति के लिए आभार

  3. धन्यवाद …आपकी सभी अलंकार की जानकारी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण थी जो आपके द्वारा में प्राप्त हुई।
    और आपके आशीर्वाद के लिए धन्यवाद।

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