आज के आर्टिकल में हम हिंदी शिक्षण विधियों में अनुकरण शिक्षण विधि (Anukaran Shikshan Vidhi) के बारे में विस्तार से पढेंगे।
अनुकरण शिक्षण विधि
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अनुकरण का अर्थ है कि किसी आदर्श की नकल करना।
अनुकरण विधि में बालक अपने शिक्षक का अनुकरण कर लिखना, पढ़ना व नवीन रचना करना सीखता है। इस विधि में शिक्षक बालक को प्रारम्भ में अक्षर ज्ञान कराना प्रारम्भ करता है। इस विधि में बालक अनुकरण करके सीखता है इस लिए इस विधि को अनुकरण विधि कहा जाता है। इस विधि के अन्तर्गत बालक शिक्षक के उच्चारण को सुनकर वाचन करना सीखते हैं। पहले शिक्षक बोलता है, फिर बच्चे उसका अनुसरण करते है। इस विधि के आधार पर ही शुद्ध उच्चारण को ही भाषा शिक्षक का सर्वश्रेष्ठ गुण माना जाता हैं।
अनुकरण तीन प्रकार का होता है-
1. लिखित अनुकरण:
लेखन हेतु दो प्रकार का अनुकरण होता है –
(अ) रूपरेखा अनुकरण- मुद्रित पुस्तिकाएँ जिनमें अक्षर या वाक्य बिन्दू रूप में लिखे होते है। बालक उन बिन्दुओं पर पेन्सिल या बालपैन फेरता है और अभ्यास करके अक्षरों या शब्दों को लिखना सीख जाता है, जैसे क्।
(ब) स्वतंत्र अनुकरण- अध्यापक श्यामपट्ट पर, स्लेट पर या अभ्यास पुस्तिका पर अक्षर लिख देता है और बालक से कहता है कि वह नीचे स्वयं उसी प्रकार के अक्षर लिखे जैसे- ‘क’ को देखकर बालक भी ऐसा ही लिखने का प्रयास करें।
2. उच्चारण अनुकरण:
उच्चारण अनुकरण प्राथमिक स्तर पर छात्रों को शुद्ध बोलना सीखाने हेतु उपयोगी है। इस पद्धति में अध्यापक एक-एक शब्द कहता जाता है और बालक उस शब्द की ध्वनि का अनुकरण करते चलते है। अनुकरण विधि उन भाषाओं के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है जहाँ पर एक अक्षर की एक से अधिक ध्वनियों होती है अथवा जहाँ पर लिखा कुछ जाता है और पढ़ा कुछ जाता है।
3. रचना अनुकरण विधि:
⇒माध्यमिक स्तर पर छात्रों को रचना जैसे- प्रार्थना पत्र, निबंध आदि सीखानें हेतु उपयोगी है।
⇒ छात्र दिये हुए विषय पर उसी के अनुरूप रचना करने का प्रयास करते हैं, उदाहरणार्थ दीपावली का लेख बताकर होली पर लेख लिखवाना।
⇒ यह विधि पूर्णतः अमनोवैज्ञानिक।
⇒ इसमें छात्रों की भाषा तो अपनी होती है किन्तु शैली के लिए उन्हें आदर्श रचना पर ही निर्भर रहना पङता है।
⇒ यह विधि उच्च कक्षाओं के लिए ही उपयुक्त हो सकती है।
विशेषताएँ:
⇒ अनुकरण वाचन के बाद उच्चारण अभ्यास करवाया जाता है।
⇒ बुनियादी शिक्षा में अनुकरणात्मक विधि सफलतम विधि है।
⇒ अनुकरणात्मक विधि में अध्यापक को अच्छे आदर्श प्रस्तुत करने होते है।
⇒ अनुकरण विधि में बालक अपने शिक्षक का अनुकरण कर लिखना, पढ़ना व नवीन रचना करना सीखता है।
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