50 +Apathit Gadyansh – अपठित गद्यांश | Hindi Paragraph

आज के आर्टिकल में परीक्षा के लिए उपयोगी हिंदी गद्यांश/अपठित गद्यांश  (Hindi paragraph/Apathit Gadyansh in Hindi) दिए गए है ,आप इन्हें अच्छे से समझें ।

अपठित गद्यांश – Apathit Gadyansh

Table of Contents

Hindi paragraph

हिंदी अपठित गद्यांश-1 (Apathit Gadyansh-1)

मानव-जीवन के आदिकाल में अनुशासन की कोई संकल्पना नहीं थी और न आज की भाँति बङे-बङे नगर या राज्य ही थे। मानव जंगल में रहता था। ’जिसकी लाठी उसकी भैंस’ वाली कहावत उसके जीवन पर पूर्णतः चरितार्थ होती थी। व्यक्ति पर किसी भी नियम का बंधन या किसी प्रकार के कर्तव्यों का दायित्व नहीं था, किन्तु इतना स्वतंत्र और निरंकुश होते हुए भी मानव प्रसन्न नहीं था। आपसी टकराव होते थे, अधिकारों-कर्त्तव्यों में संघर्ष होता था और नियमों की कमी उसे खलती थी। धीरे-धीरे उसकी अपनी ही आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए समाज और राज्य का उद्भव और विकास हुआ।

अपने उद्देश्य की सिद्धि एवं आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मानव ने अन्ततः कुछ नियमों का निर्माण किया। उनमें से कुछ नियमों के पालन करवाने का अधिकार राज्य को और कुछ समाज को दे दिया गया। व्यक्ति के बहुमुखी विकास में सहायक होने वाले इन नियमों का पालन ही अनुशासन कहलाता है। अनुभव सबसे बङा शिक्षक होता है। समाज ने प्रारंभ में अपने अनुभवों से ही अनुशासन के इन नियमों को सीखा, विकसित किया और सुव्यवस्थित किया होगा।

1. इस गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक हो सकता है –
(अ) जीवन का उद्देश्य
(ब) अनुशासन की संकल्पना
(स) जिसकी लाठी उसकी भैंस
(द) आवश्यकता आविष्कार की जननी है                                               सही उत्तर-(ब)

2. ’अनुशासन’ से अभिप्रेत है –
(अ) शासन द्वारा निर्धारित नियमों की पहचान और परख
(ब) व्यक्ति द्वारा अपने बहुमुखी विकास के लिए बनाये गये सामाजिक नियमों का पालन
(स) प्रजा पर शासक का पूर्णरूप से नियंत्रण जिससे राजव्यवस्था सुचारु बन सके
(द) शासित द्वारा शासक के आदेशों का सम्यक् रूप से पालन                    सही उत्तर-(ब)

3. इस गद्यांश का प्रतिपाद्य है कि मनुष्य को –
(अ) आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पशु बल का प्रयोग करना चाहिए
(ब) अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए
(स) सामाजिक नियमों का पालन करना चाहिए
(द) स्वतंत्र और निरंकुश होना चाहिए                                                    सही उत्तर-(स)

4. आदिकाल से मानव प्रसन्न नहीं था, क्योंकि –
(अ) उस काल में सामाजिक नियमों का निर्धारण नहीं हुआ था
(ब) वह नगरों में न रहकर जंगलों में रहता था
(स) उसकी जीवन-आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पाती थी
(द) उसका जीवन और रहन-सहन सरल न था                                       सही उत्तर-(अ)

5. गद्यांश में रेखांकित शब्द से आशय ऐसे व्यक्ति से है –
(अ) जो किसी व्यवस्था को न माने
(ब) जिसका व्यवहार कुश जैसा न हो
(स) जो अहं भावना से ग्रस्त हो
(द) जो निरपराध एवं निरभिमान हो                                                     सही उत्तर-(अ)

हिंदी अपठित गद्यांश-2 (Apathit Gadyansh-2)

समय प्रकृति का दिया हुआ सबसे अधिक मूल्यवान उपहार है। उससे उत्तम कोई धन नहीं है। समय का सदा सदुपयोग करना चाहिए। बीता हुआ समय कभी लौटाया नहीं जा सकता है। जीवन में अनेक लोगों को शिकायत होती है कि समय नहीं था या वे कामना करते हैं कि काश मेरे पास कुछ समय ओर होता। बहुत से व्यक्ति समय निकलने पर पछताते हुए देखे जा सकते हैं। यह सत्य है कि इन लोगों को कुछ समय और मिल जाता तो परिणाम कुछ और ही होता लेकिन यह संभव नहीं है कि बीते हुए समय को फिर लौटाया जाये। यदि वे अपने कार्य को कुछ समय पहले ही शुरू कर देते तो फिर उन्हें पछताना नहीं पङता।

प्रत्येक सफल कार्य का विश्लेषण करने पर ज्ञात होगा कि समय के सदुपयोग ने उस कार्य की सफलता में सर्वाधिक योग दिया है। समय पर कार्य करने वाले व्यक्ति को कभी निराशा का मुँह नहीं देखना पङता है। समय पर पढ़ने वाला विद्यार्थी असफल नहीं होता है। समय पर किया गया हर कार्य सफलता में परिवर्तित हो जाता है जबकि समय बीतने पर विशेष प्रयत्नों के बाद भी उसे सिद्ध नहीं किया जा सकता है। समय के मूल्य को विपत्तिकाल में ही पहचाना जाता है। यदि समय रहते कार्य किया जाये तो विपत्ति को दूर से ही टाला जा सकता है। इसलिए समय के मूल्य को समझकर कार्य करना चाहिए। अपने जीवन में समय को नष्ट नहीं करना चाहिए।

1. इस अवतरण का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक है –
(अ) समय बङा बलवान
(ब) समय की मांग
(स) समय की ताकत
(द) समय ही धन है                                                                      सही उत्तर-(अ)

2. समय का मूल्य कब पहचाना जाता है?
(अ) आसन काल में
(ब) आपात काल में
(स) विपत्ति काल में
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं                                                         सही उत्तर-(स)

3. ’’समय पर कार्य करने वाला व्यक्ति कभी……. नहीं होता’’
(अ) ह्रास (ब) निराश
(स) उपयोगी (द) पश्चातापी                                                           सही उत्तर-(ब)

4. समय किसके द्वारा प्रदत्त मूल्यवान उपहार है –
(अ) प्रकृति (ब) मानव
(स) भगवान (द) वैज्ञानिक                                                           सही उत्तर-(अ)

हिंदी अपठित गद्यांश-3 (Apathit Gadyansh-3)

पाश्चात्य सभ्यता एवं संस्कृति में बहुत-सी अच्छी बातें होते हुए भी वह मूलतः अधिकार प्रधान, भोग प्रधान हैं। उसमें अपने सुख की प्रवृत्ति प्रधान है। इसलिए यहाँ प्रधान जोर शरीर-सुख-भोग तथा उसके निमित्त अगणित साधन जुटाने की ओर है, जबकि भारतीय संस्कृति अनेक बुराइयों के होते हुए भी मुख्यतः धर्म प्रधान, कर्तव्य प्रधान, त्याग और तपस्या प्रवृत्ति-मूलक संस्कृति है। विश्व-मानवता एवं संस्कृति का निर्माण तभी सम्भव है जब मनुष्य अपने शरीर का विचार इस सीमा तक न करे कि उस प्रयत्न में वह आत्मा, वह प्राण ज्योति ही तिरोहित हो जाए जिससे मानव, मानव है। स्पष्टतः भारतीय संस्कृति में, अहिंसक जीवन निर्माण की दूसरों के लिए जीने की सम्भवनाएं अधिक होने से गांधी जी की श्रद्धा थी भारतीय संस्कृति ही हमारे जीवन का दीप है और वह विश्व-संस्कृति या विश्व-मानवता की आधारशिला बन सकती है।

1. पाश्चात्य संस्कृति के सम्बन्ध में सत्य है –
(अ) वह भौतिकवादी संस्कृति है
(ब) वह शारीरिक सुख प्रदाता संस्कृति है
(स) वह भारतीय संस्कृति से उत्प्रेरित है
(द) यह यथार्थवादी संस्कृति है                                                   सही उत्तर-(अ)

2. इनमें से कौन-सा कथन सत्य है?
(अ) पाश्चात्य संस्कृति पूर्णतः निवृत्ति-मूलक है
(ब) पाश्चात्य एवं भारतीय संस्कृति में गुण-दोष विद्यमान है
(स) पाश्चात्य संस्कृति प्रवृत्ति एवं निवृत्ति मूलक का मिश्रण है
(द) भारतीय संस्कृति स्वार्थ एवं परार्थ भाव का मिश्रण है                सही उत्तर-(ब)

3. मानव, मानव नहीं रह जाता जब –
(अ) वह पाश्चात्य संस्कृति अपनाता है
(ब) वह मानवीय भोगवादिता को नकार देता है
(स) उसके भीतर भोगवादिता अत्यधिक बढ़ जाती है
(द) वह विश्व मानवता के विचार को त्याग देता है                          सही उत्तर-(स)

4. परदुखकातरता से सम्बन्धित कथन है –
(अ) अहिंसक प्रवृत्ति और दूसरों के लिए जीना
(ब) धर्म, कर्तव्य, त्याग एवं विश्व मानवता
(स) आत्मा एवं प्राण ज्योति का उत्कर्ष
(द) परोपकार हेतु सुख साधन जुटाना                                        सही उत्तर-(अ)

5. उपर्युक्त गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक है –
(अ) पाश्चात्य एवं भारतीय संस्कृति
(ब) भारतीय संस्कृति
(स) भारतीय संस्कृति, मानवीय संस्कृति
(द) भारतीय संस्कृति, सर्वश्रेष्ठ संस्कृति                                       सही उत्तर-(द)

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हिंदी अपठित गद्यांश-4 (Apathit Gadyansh-4)

राजा रवि वर्मा को बचपन से ही प्रकति से प्यार था। वे जब छोटे थे तभी वे अक्सर नीले आकाश को निहारा करते थे। नीला-नीला आकाश। उसमें हाथियों के झुंड की तरह डोलते बादल। रवि वर्मा को सूर्याेदय देखना बहुत भाता था। वे सुबह-सुबह उठकर आकाश में सूर्य का उदय होना देखते रहते। इसी तरह सूर्यास्त भी उन्हें आकर्षित करता था। संध्या होते ही वे एक स्थल पर बैठ जाते। पश्चिम में धीरे-धीरे उतरते सूर्य को देखते रहते। एक ओर बढ़ता अंधकार दूसरी ओर क्षितिज पर डूबते सूर्य की सिंदूरी ललाई। सूर्यास्त के समय आकाश में तरह-तरह के रंग जैसे बिखर पङते।

रवि वर्मा कभी-कभी सूर्याेदय और सूर्यास्त की भी तुलना करते। कितना अंतर है दोनों में। वे आश्चर्य करते। रात होती तो आकाश के मैदान में तारों की टोलियां आ धमकतीं। रवि वर्मा इन तारों को घंटों निहारा करते। प्रकृति उन्हें प्रफुल्लित करती। उन्हें कल्पना के लोक में ले जाती। यही कारण है कि रवि वर्मा जीवन भर प्रकृति से प्यार करते रहे। वे जानते थे कि प्रकृति से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। उससे बहुत कुछ पा सकते हैं। वे देखते थे कि उनके मामा प्रकृति से मिली चीजों से ही रंग बनाते हैं।

राजा रवि वर्मा फूलों से, वनस्पतियों से तरह-तरह के रंग बनाते थे। वे तरह-तरह के रंगों की मिट्टी भी एकत्र करवाते। फिर बङे मनोयोग से रंग बनाते।

1. राजा रवि वर्मा अक्सर नीले आकाश को देखा करते थे, क्योंकि –
(अ) उन्हें प्रकृति से प्यार था
(ब) उन्हें नीला रंग पसंद था
(स) उन्हें ऊपर देखने की आदत थी
(द) उन्हें अंधेरे से डर लगता था                                         सही उत्तर-(अ)

2. आकाश में तरह-तरह के रंग कब बिखर पङते थे?
(अ) प्रातःकाल (ब) सूर्यास्त के समय
(स) दोपहर के समय (द) ठीक 3 बजे दिन में                       सही उत्तर-(ब)

3. राजा रवि वर्मा को कल्पना-लोक में कौन ले जाती थी?
(अ) परियां (ब) तारों की टोलियां
(स) प्रकृति (द) डूबता हुआ सूर्य                                         सही उत्तर-(स)

4. राजा रवि वर्मा, रवि वर्मा के क्या थे?
(अ) चाचा (ब) मामा
(स) नाना (द) दादा                                                        सही उत्तर-(ब)

5. इस अनुच्छेद का उचित शीर्षक होगा?
(अ) सितारों की रातें (ब) नीला आकाश
(स) कल्पना (द) प्रकृति से प्यार                                       सही उत्तर-(द)

हिंदी अपठित गद्यांश-5 (Apathit Gadyansh-5)

वास्तव में हृदय वही है जो कोमल भावों और स्वदेश प्रेम से ओत प्रोत हो। प्रत्येक देशवासी को अपने वतन से प्रेम होता है। चाहे उसका देश सूखा, गर्म या दलदलों से युक्त हो। देश-प्रेम के लिए किसी आकर्षण की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि वह तो अपनी भूमि के प्रति मनुष्य मात्र की स्वाभाविक ममता है। मानव ही नहीं पशु-पक्षियों तक को अपना देश प्यारा होता है। संध्या-समय पक्षी अपने नीङ की ओर उङे चले जाते हैं। देश प्रेम का अंकुर सभी में विद्यमान है। कुछ लोग समझते हैं कि मातृभूमि के नारे लगाने से ही देश-प्रेम व्यक्त होता है। दिन भर वे त्याग, बलिदान और वीरता की कथा सुनाते नहीं थकते। लेकिन परीक्षा की घङी आने पर भाग खङे होते हैं। ऐसे लोग स्वार्थ त्यागकर, जान जोखिम में डालकर देश की सेवा क्यों करेंगे? आज ऐसे लोगों की आवश्यकता नहीं है।

1. देश-प्रेम का अभिप्राय है –
(अ) देश के प्रति कोमल भावों का उदय
(ब) अनथक प्रयत्न करके देश का निर्माण करना
(स) देशहित के लिए शत्रु से संघर्ष करना
(द) देश के प्रति व्यक्ति का स्वाभाविक ममत्व                       सही उत्तर-(द)

2. सच्चा देश-प्रेमी-
(अ) वीर सपूतों की कहानियां सुनाता है
(ब) मातृभूमि का जयघोष करता है
(स) परीक्षा की कसौटी पर खरा उतरता है
(द) अपनी भूमि देश के लिए दान कर देता है                        सही उत्तर-(स)

3. देश-प्रेम का अंकुर विद्यमान है –
(अ) सभी मानवों में (ब) सभी प्राणियों में
(स) सभी पक्षियों में (द) सभी पशुओं में                               सही उत्तर-(ब)

4. वही देश महान है जहां के लोग –
(अ) शिक्षित और प्रशिक्षित हैं
(ब) बेरोजगार तथा निरुद्यमी नहीं हैं
(स) कृषि और व्यापार से धनार्जन करते हैं
(द) त्याग और उत्सर्ग में सदा आगे रहते हैं                         सही उत्तर-(द)

5. संध्या समय पक्षी अपने घोंसलों में वापस चले जाते हैं, क्योंकि –
(अ) दिन-भर घूमकर वे थक जाते हैं
(ब) उन्हें रात को आराम करना होता है
(स) जानवर भी अपने निवास-स्थान को चले जाते हैं
(द) उन्हें अपना नीङ प्यारा होता है                                   सही उत्तर-(द)

Apathit Gadyansh in Hindi

हिंदी अपठित गद्यांश-6 (Apathit Gadyansh-6)

हमारे देश में प्रौढ़ समुदाय का एक बहुत बङा भाग निरक्षर एवं अशिक्षित है। उनकी यह अवस्था एक बहुत बङी समस्या प्रस्तुत करती है। प्रौढ़ शिक्षा के लिए हमारे यहाँ शिक्षकों का अभाव है। उम्र बढ़ जाने पर प्रौढ़ों में सीखने की इच्छा में भी कमी आ जाती है। कक्षा में बैठकर पढ़ने में संकोच होता है। समय अभाव के कारण भी प्रौढ़ शिक्षा लेने में कष्ट अनुभव करते हैं। हमारे किसान एवं कामगारों का जीवन बहुत ही कठिन एवं श्रम साध्य है। उन्हें भी आराम एवं मनोरंजन की आवश्यकता होती है जो प्रायः गाँवों में उपलब्ध नहीं है। प्रौढ़ शिक्षा केन्द्रों पर जो कुछ सिखाया तथा पढ़ाया जाता है। उसका उनके जीवन में कितना उपयोग हैं। प्रौढ़ शिक्षा का नवीनीकरण तथा उसकी उपयोगिता को सामाजिक बनाना आवश्यक है। किसानों को कृषि संबंधित नई जानकारी देना जरूरी है।

कामगारों को नए उद्योगों एवं तकनीकी शिक्षा आवश्यक है। प्रौढ़ शिक्षा को पढ़ाई के साथ-साथ कमाई से जोङना भी आवश्यक है। आज अधिकतर उद्योग एवं कारखाने नगरों में लगे हैं। सरकारी कामकाज के कार्यालय भी नगरों में है। अधिकतर गाँवों में परिवहन एवं संचार साधन भी नगरों में है। अधिकतर गाँवों में परिवहन एवं संचार साधन भी उपलब्ध नहीं है। साक्षरता एवं शिक्षा के प्रचार-प्रसार हेतु यह आवश्यक है कि उद्योग एवं सरकारी गाँवों की ओर चले। यदि ऐसा होता है तो एक नहीं अनेक हरित क्रांतियाँ देश को खुशहाल बनाएँगी।

1. प्रौढ़ किसानों को किस की आवश्यकता है?
(अ) नए बीजों की
(ब) उद्योग-धंधों की
(स) कृषि की नई तकनीक की
(द) हरित क्रांति की                                                सही उत्तर-(स)

2. हमारे देश का प्रौढ़ समुदाय –
(अ) शिक्षित है (ब) चालाक है
(स) किसान है (द) अशिक्षित है                                 सही उत्तर-(द)

3. प्रौढ़ शिक्षा में निम्न में से कौनसी जानकारी देना आवश्यक है?
(अ) शब्द ज्ञान (ब) तकनीकी
(स) संचार माध्यम (द) राजनीति                                सही उत्तर-(ब)

4. प्रौढ़ साक्षरता के लिए क्या आवश्यक है?
(अ) हरित क्रांति
(ब) संचार साधन
(स) शिक्षा
(द) उद्योग एवं सरकार का गाँवों की ओर जाना           सही उत्तर-(द)

हिंदी अपठित गद्यांश-7 (Apathit Gadyansh in Hindi-7)

आज के शिक्षाक्रम में चरित्र गठन का कोई स्थान नहीं है और न उसे कोई महत्त्व दिया जाता है। हमारी संस्कृति में गुरु और शिष्य का संबंध बहुत ही सुन्दर और मीठा हुआ करता था। इसका कारण यही था कि दोेनों का एक दूसरे पर विश्वास हुआ करता था। गुरु शिष्यों को पुत्रवत् मानते थे और उन पर स्नेह रखते थे। शिष्य गुरु को पितातुल्य और विश्वसनीय समझते थे। गुरु का शिष्य के जीवन पर गहरा प्रभाव पङा करता था और गुरु और शिष्य के बीच केवल व्यापारिक संबंध जिसमें पैसे के बदले कुछ पुस्तकें पढ़ा देने मात्र का एक सम्पर्क होता है, न रहकर आध्यात्मिक संबंध हो जाता था जो घनिष्ठ हुए बिना नहीं रह सकता था।

आज आये दिन समाचार-पत्रों में पढ़ने को मिलता है कि कहीं विद्यार्थियों ने शिक्षकों के विरुद्ध हङताल कर दी तो कहीं शिक्षकों में भी दल-बंदियाँ हो गई और विद्यार्थी भी कुछ एक दल में शामिल हो गये तथा एक या दूसरे का समर्थन करने लगे। हाल ही में एक भयंकर दुर्घटना भी पढ़ने में आई कि शिक्षक की परीक्षा संबंधी कङाई करने से असंतुष्ट होकर कुछ विद्यार्थियों ने शिक्षक के ही प्राण ले लिये। यदि कोई स्कूल का विद्यार्थी ऐसी बात करें तो वह समझ में आ सकती है पर जब किसी यूनिवर्सिटी या काॅलेज का विद्यार्थी ऐसे काम करता है तो यह चिंता का विषय हो जाता है। जहाँ तक समझ में आता है, इसका मौलिक कारण चरित्र गठन पर ध्यान न देना और छात्रों पर शिक्षक वर्ग के नैतिक प्रभाव का न होना ही है। यह समस्या साधारणतया सारे देश में विद्यमान है।

1. उक्त गद्यांश में लेखक ने किस विषय पर विचार प्रकट किए हैं –
(अ) प्राचीन शिक्षा की अच्छाईयों पर
(ब) गुरु के महत्त्व पर
(स) शिक्षा के व्यवसायीकरण पर
(द) शिक्षा में चरित्र-गठन के महत्त्व पर                         सही उत्तर-(द)

2. देश में शिक्षा से संबंधित किस समस्या पर ध्यान खींचा गया है –
(अ) विद्यार्थियों की हङताल करने की समस्या पर
(ब) बेरोजगारों की समस्या पर
(स) शिक्षा में नैतिकता के अभाव की समस्या पर
(द) शिक्षकों के द्वारा की जाने वाली दलबंदियों की समस्या पर             सही उत्तर-(स)

3. लेखक गुरु और शिष्यों के बीच किस तरह के संबंध पसंद करता है –
(अ) आध्यात्मिक संबंध
(ब) मित्रता के संबंध
(स) पारिवारिक संबंध
(द) व्यावसायिक संबंध                                                सही उत्तर-(अ)

4. भारतीय संस्कृति में गुरु और शिष्य के संबंध मधुर होते थे, क्योंकि –
(अ) गुरुजन केवल पुस्तकें मात्र नहीं पढ़ाते थे
(ब) समाज में गुरुजनों की पूजा की जाती थी
(स) प्राचीन काल में शिष्य अपने गुरुजनों को पितातुल्य मानते थे
(द) छात्रों व गुरुजनों के आपसी संबंध विश्वास पर आधारित थे                   सही उत्तर-(द)

5. उक्त गद्यांश के विषय से संबंधित सर्वाधिक उचित शीर्षक है –
(अ) छात्र असंतोष
(ब) शिक्षाक्रम में चरित्रगठन का महत्त्व
(स) आज की शिक्षा में हिंसा
(द) उच्च शिक्षा में हिंसा                                            सही उत्तर-(ब)

 

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हिंदी अपठित गद्यांश-8 (Apathit Gadyansh in Hindi-8)

जिन्दगी के असली मजे उनके लिए नहीं हैं, जो फूलों की छांह के नीचे खेलते और सोते हैं। बल्कि फूलों की छांह के नीचे अगर जीवन का कोई स्वाद छिपा है, तो वह भी उन्हीं के लिए है, जो दूर रेगिस्तान से आ रहे हैं, जिनका कंठ सूखा हुआ है, ओठ फटे हुए हैं और सारा बदन पसीने से तर है। पानी में जो अमृत-वाला तत्त्व है, उसे वह जानता है, जो धूप में खूब सूख चुका है, वह नहीं, जो रेगिस्तान में कभी पङा ही नहीं है।

1. प्रस्तुत गद्यांश किस लेखक द्वारा लिखा गया है –
(अ) रामधारी सिंह दिनकर
(ब) रामचंद्र शुक्ल
(स) गुलाब राय
(द) बालमुकुंद गुप्त                                               सही उत्तर-(द)

2. जिंदगी के असली मजे किनके लिए हैं –
(अ) जो आराम करते हैं
(ब) जो परिश्रम करते हैं
(स) जो शहर में रहते हैं
(द) जो पैसे वाले हैं                                                सही उत्तर-(ब)

3. गद्यांश में किस बात का महत्त्व बताया गया है –
(अ) प्रकृति (ब) जीवन
(स) श्रम (द) भाग्य                                                  सही उत्तर-(स)

4. ’जो धूप में खूब सूख चुका है’ से अभिप्राय है –
(अ) कङा परिश्रम करना (ब) धूप सेकना
(स) बीमार होना (द) रेगिस्तान में रहना                       सही उत्तर-(अ)

5. ’अमृतवाला तत्त्व’ का तात्पर्य है –
(अ) जीवन का सार
(ब) अमृत
(स) जीवन का रहस्य
(द) समुद्र से निकला हुआ अमृत                              सही उत्तर-(स)

हिंदी अपठित गद्यांश-9 (Apathit Gadyansh in Hindi-9)

पुरुषार्थ दार्शनिक विषय है, पर दर्शन का जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध है। वह थोङे-से विद्यार्थियों का पाठ्य विषय मात्र नहीं है। प्रत्येक समाज को एक दार्शनिक मत स्वीकार करना होता है। उसी के आधार पर उसकी राजनीतिक, सामाजिक और कौटुम्बिक व्यवस्था का व्यूह खङा होता है। जो समाज अपने वैयक्तिक और सामूहिक जीवन को केवल प्रतीयमान उपयोगिता के आधार पर चलाना चाहेगा उसको बङी कठिनाइयों का सामना करना पङेगा। एक विभाग के आदर्श दूसरे विभाग के आदर्श से टकराएँगे। जो बात एक क्षेत्र में ठीक जँचेगी वही दूसरे क्षेत्र में अनुचित कहलाएगी और मनुष्य के लिए अपना कर्तव्य स्थिर करना कठिन हो जाएगा। इसका परिणाम आज दिख रहा है। चोरी करना बुरा है, पर पराए देश का शोषण करना बुरा नहीं है। झूठ बोलना बुरा है, पर राजनीतिक क्षेत्र में सच बोलने पर अङे रहना मूर्खता है। घर वालों के साथ, देशवासियों के साथ और परदेशियों के साथ बर्ताव करने के लिए अलग-अलग आचारावालियाँ बन गई हैं। इससे विवेकशील मनुष्य को कष्ट होता है।

1. सामाजिक व्यवस्था को चलाने के लिए आवश्यकता होती है-
(अ) आचार संहिता बनाने की
(ब) विशेष दर्शन बनाने की✔️
(स) विरोधाभासों को दूर करने की
(द) एक सफल रणनीति बनाने की

2. समाज के लिए दर्शन महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि-
(अ) इससे समाज की व्यवस्था संचालित होती है✔️
(ब) इससे सामाजिक जीवन की उपयोगिता में वृद्धि होती है
(स) यह समाज को सही दृष्टि प्रदान करता है
(द) इससे राजनीति की रणनीति निर्धारित होती है

3. समाज में जीवन प्रतीयमान उपयोगिता के आधार पर नहीं चल सकता, क्योंकि-
(अ) सभी व्यक्तियों का जीवन-दर्शन भिन्न होता है
(ब) आचार संहिताएँ सभी के लिए अलग-अलग हैं
(स) एक ही बात भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में उचित या अनुचित हो सकती है✔️
(द) सभी मनुष्य विवेकशील नहीं होते

4. विवेकशील मनुष्य को कष्ट पहुँचाने वाले विरोधाभास हैं-
(अ) सभी व्यक्तियों पर एक ही दर्शन थोपने का प्रयास
(ब) परिवार, देश और विदेशी लोगों के लिए पृथक् आचार संहिता✔️
(स) समाज विशेष के लिए नैतिक मूल्य और नियमों का निर्धारण
(द) दर्शन के अनुसार राजनीतिक, सामाजिक तथा पारिवारिक-व्यवस्था का निर्धारण

5. प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक क्या हो सकता है?
(अ) समाज और दर्शन (ब) दर्शन और सामाजिक आचरण
(स) दर्शन और सामाजिक व्यवस्था✔️ (द) समाज में दर्शन का महत्त्व

6. ’अनुचित’ में कौन-सा उपसर्ग है?
(अ) अनु (ब) अन✔️
(स) अनुच (द) अनच

हिंदी गद्यांश-10 (Apathit Gadyansh in Hindi-10)

देश-प्रेम को किसी विशेष क्षेत्र एवं सीमा में नहीं बाँधा जा सकता। हमारे जिस कार्य से देश की उन्न्ति हो, वही देश-प्रेम की सीमा में आता है। अपने प्रजातन्त्रात्मक देश में, हम अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए ईमानदार एवं देशभक्त जनप्रतिनिधि का चयन कर देश को जाति, सम्प्रदाय तथा प्रान्तीयता की राजनीति से मुक्त कर इसके विकास में सहयोग कर सकते हैं। जाति-प्रथा, दहेज-प्रथा, अन्धविश्वास, छुआछूत इत्यादि कुरीतियाँ जो देश के विकास में बाधा हैं, इत्यादि को दूर करने में अपना योगदान कर हम देश-सेवा का फल प्राप्त कर सकते हैं। अशिक्षा, निर्धनता, बेरोजगारी, व्यभिचार एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेङकर हम अपने देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर कर सकते हैं। हम समय पर टैक्स का भुगतान कर देश की प्रगति में सहायक हो सकते है। इस तरह किसान, मजदूर, शिक्षक, सरकारी कर्मचारी, चिकित्सक, सैनिक और अन्य सभी पेशेवर लोगों के साथ-साथ देश के हर नागरिक द्वारा अपने कर्तव्यों का समुचित रूप से पालन करना ही सच्ची देश-भक्ति है।
नागरिकों में देश-प्रेम का अभाव राष्ट्रीय एकता में बङी बाधा के रूप में कार्य करता है, जबकि राष्ट्र की आन्तरिक शान्ति तथा सुव्यवस्था और दुश्मनों से रक्षा के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है। यदि हम भारतवासी किसी कारणवश छिन्न-भिन्न हो गए तो हमारे पारस्परिक फूट को देखकर अन्य देश हमारी स्वतन्त्रता को हङपने का प्रयास करेंगे। इस प्रकार अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा एवं राष्ट्र की उन्नति के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है और राष्ट्रीय एकता बनाए रखना तभी सम्भव है जब हम देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे। जो राष्ट्र संगठित होता है, उसे न कोई तोङ सकता है और न ही कोई उसका कुछ बिगाङ सकता है। वह अपनी एकता एवं सामूहिक प्रयास के कारण सदा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहता है।
अतः हमारा कर्तव्य है कि सब कुछ न्यौछावर करके भी हम देश के विकास में सहयोग दें ताकि अनेक राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं का सामना कर रहा हमारा देश निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर रहे। अन्ततः हम कह सकते हैं कि देश सर्वोपरि है, अतः इसके मान-सम्मान की रक्षा हर कीमत पर करना देशवासियों का परम कर्तव्य है।?

1. निम्नलिखित में से किसकी चर्चा देश-प्रेम के एक रूप के तौर पर नहीं की गई है?
(अ) अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए ईमानदार एवं देशभक्त जनप्रतिनिधि का चयन करना
(ब) देश को जाति, सम्प्रदाय तथा प्रान्तीयता की राजनीति से मुक्त करना
(स) अपने हित को सर्वोपरि समझना✔️
(द) अशिक्षा, निर्धनता, बेरोजगारी, व्यभिचार एवं भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेङना

2. राष्ट्रीय एकता में सबसे बङी बाधा क्या है?
(अ) देश-प्रेम
(ब) नागरिकों में देश-प्रेम का अभाव✔️
(स) अन्धविश्वास एवं छुआछूत
(द) जाति-प्रथा एवं दहेज-प्रथा

3. राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता क्यों है?
(अ) केवल स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए
(ब) जाति-प्रथा एवं दहेज-प्रथा की समाप्ति के लिए
(स) अन्धविश्वास एवं छुआछूत की समाप्ति के लिए
(द) स्वतन्त्रता की रक्षा एवं राष्ट्र की उन्नति के लिए ✔️

4. प्रस्तुत गद्यांश में किस पेशेवर की चर्चा नहीं की गई है?
(अ) चिकित्सक (ब) शिक्षक
(स) समाज सेवक✔️ (द) किसान

5. प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक निम्नलिखित में से कौन-सा होगा?
(अ) देश-प्रेम✔️ (ब) देश का विकास
(स) हमारा कर्तव्य (द) राष्ट्रीय एकता

6. ’इत्यादि’ का सन्धि-विच्छेद है-
(अ) इति + आदि✔️ (ब) इत्य + आदि
(स) इति + अदि (द) इती + आदि

7. प्रगति के पथ पर अग्रसर रहता है-
(अ) सुगठित राष्ट्र (ब) संगठित राष्ट्र
(स) सुव्यवस्थित राष्ट्र (द) अव्यवस्थित राष्ट्र✔️

8. सर्वोपरि है-
(अ) देश✔️ (ब) राज्य
(स) परिवार (द) व्यक्तिगत जीवन

9. ’अग्रसर’ का तात्पर्य है-
(अ) आगे की ओर बढ़ना✔️ (ब) आगे नहीं बढ़ना
(स) आगे होना (द) आज्ञाकारी होना

हिंदी गद्यांश-11 (Apathit Gadyansh in Hindi-11)

सत् और चरित्र इन दो शब्दों के मेल से सच्चरित्र शब्द बना है तथा इस शब्द में ता प्रत्यय लगने से सच्चरित्रता शब्द बना है तथा इस शब्द में ता प्रत्यय लगने से सच्चरित्रता शब्द की उत्पत्ति हुई है। सत् का अर्थ होता है अच्छा एवं चरित्र का तात्पर्य है आचरण, चाल-चलन, स्वभाव, गुण-धर्म इत्यादि। इस तरह सच्चरित्रता का तात्पर्य है अच्छा चाल-चलन, अच्छा स्वभाव, सदाचार इत्यादि। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है अतः परस्पर सहोपकारिता द्वारा ही उसका जीवन-यापन सम्भव है। इसके लिए व्यक्ति में ऐसे गुणों का होना आवश्यक है जिनके द्वारा वह समाज में शान्तिपूर्वक रहते हुए देश की प्रगति में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सके। काम, क्रोध, लोभ, सन्ताप, निर्दयता एवं ईष्र्या जैसे अवगुण मनुष्य के सामाजिक जीवन में अशान्ति उत्पन्न करते हैं। अतः ऐसे अवगुणों से युक्त व्यक्ति को दुराचारी संज्ञा दी जाती है जबकि इसके विपरीत निष्ठा, ईमानदारी, लगनशीलता, संयम, सहोपकारिता इत्यादि सच्चरित्रता की पहचान हैं। इन सबके अतिरिक्त उदारता, विनम्रता, सहिष्णुता, सत्यभाषण, उद्यमशीलता सच्चरित्रता की अन्य विशेषताएँ हैं।
किसी व्यक्ति का सच्चरित्र होना इस बात पर निर्भर नहीं करता है कि वह कितना पढ़ा-लिखा है। एक अनपढ़ व्यक्ति भी अपने मर्यादित एवं संयमपूर्ण जीवन से सच्चरित्र की संज्ञा पा सकता हैं जबकि एक उच्च शिक्षित व्यक्ति भी यदि भ्रष्टाचार में लिप्त हो तो उसे दुश्चरित्र ही कहा जाएगा। प्रायः देखने में आता है कि कुछ लोग गरीबों का शोषण ही नहीं करते बल्कि अपने धन, शक्ति या प्रभाव के अभिमान में चूर होकर उन पर कई प्रकार के जुल्म भी करने से नहीं चूकते। ऐसे लोग ही दुराचारी या दुश्चरित्र की श्रेणी में आते हैं।

1. परस्पर सहोपकारिता द्वारा ही मनुष्य का जीवन-यापन क्यों सम्भव है?
(अ) क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है✔️
(ब) क्योंकि इससे लोगों का कल्याण होता है
(स) क्योंकि इससे सच्चरित्रता में वृद्धि होती है
(द) क्योंकि इससे परस्पर प्रेम बढ़ता है

2. सच्चरित्रता की विशेषताओं के रूप में निम्नलिखित में से किसकी चर्चा नहीं की गई है?
(अ) विनम्रता (ब) सहोपकारिता
(स) आत्मबलिदान✔️ (द) लगनशीलता

3. प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक निम्नलिखित में से कौन-सा होगा?
(अ) उद्यमशीलता (ब) सच्चरित्रता✔️
(स) सहिष्णुता (द) त्याग

4. मनुष्य के सामाजिक जीवन में अशान्ति उत्पन्न करने वाले अवगुणों के रूप में निम्नलिखित में से किसकी चर्चा प्रस्तुत गद्यांश में नहीं की गई है?
(अ) क्रोध (ब) निर्दयता
(स) सन्ताप (द) मिथ्याभाषण✔️

5. निम्नलिखित में से दुश्चरित्र व्यक्ति कौन नहीं है?
(अ) गरीबों का शोषण करने वाला
(ब) लोगों पर जुल्म करने वाला
(स) मर्यादित जीवन जीने वाला✔️
(द) अभिमान में चूर व्यक्ति

6. ’सच्चरित्रता’ का सन्धि-विच्छेद है-
(अ) सत् + चरित्रतता
(ब) सच + चरित्रतता
(स) सत्य + चरित्रतता✔️
(द) सच्च  + चरित्रतता

हिंदी गद्यांश-12  (Apathit Gadyansh in Hindi-12)

ग्रामीण क्षेत्र के लिए अनेक रोजगारोन्मुख योजनाएँ चलाए जाने के बावजूद बेरोजगारी की समस्या का पूर्ण समाधान नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति के कई कारण है। कभी-कभी योजनाओं को तैयार करने की दोषपूर्ण प्रक्रिया के कारण इनका क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो पाता या ग्रामीणों के अनुकूल नहीं हो पाने के कारण भी कई बार ये योजनाएँ कारगर साबित नहीं हो पातीं। प्रशासनिक खामियों के कारण भी योजनाएँ या तो ठीक ढंग से क्रियान्वित नहीं होती या ये इतने देर से प्रारम्भ होती हैं कि इनका पूरा-पूरा लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पाता। इसके अतिरिक्त भ्रष्ट शासन तन्त्र के कारण जनता तक पहुँचने के पहले ही योजनाओं के लिए निर्धारित राशि में से दो-तिहाई तक बिचैलिए खा जाते हैं। फलतः योजनाएँ या तो कागज तक सीमित रह जाती हैं या फिर वे पूर्णतः निरर्थक साबित होती हैं।
बेरोजगारी एक अभिशाप है, इसके कारण देश की आर्थिक वृद्धि बाधित होती है। समाज में अपराध एवं हिंसा में वृद्धि होती है। और सबसे बुरी बात तो यह है कि बेरोजगार व्यक्ति को अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत रहते हुए अपने घर ही नहीं बाहर के लोगों द्वारा भी मानसिक रूप से प्रताङित होना पङता है। बेरोजगारी की समस्या का समाधान केवल सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हो सकता, क्योंकि सच्चाई यही है कि सार्वजनिक ही नहीं निजी क्षेत्र के उद्यमों की सहायता से भी हर व्यक्ति को रोजगार देना किसी भी देश की सरकार के लिए सम्भव नहीं। बेरोजगारी की समस्या का समाधान तभी सम्भव है जब व्यावहारिक एवं व्यावसायिक रोजगारोन्मुखी शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित कर लोगों को स्वरोजगार अर्थात् निजी उद्यम एवं व्यवसाय प्रारम्भ करने के लिए प्रेरित किया जाए।

1. बेरोजगारी की समस्या का पूर्ण समाधान नहीं होने के कारण के रूप में निम्नलिखित में से किसकी चर्चा नहीं की गई है?
(अ) प्रशासनिक खामियाँ
(ब) ग्रामीणों का अशिक्षित होना✔️
(स) योजनाओं को तैयार करने की दोषपूर्ण प्रक्रिया
(द) योजनाओं का ग्रामीणों के अनुकूल नहीं होना

2. योजनाओं का पूरा-पूरा लाभ ग्रामीणों को क्यों नहीं मिल पाता?
(अ) ठीक ढंग से क्रियान्वित नहीं होने के कारण✔️
(ब) आर्थिक अभाव के कारण
(स) गरीबी के कारण
(द) पारम्परिक कुरीतियों के कारण

3. किस कारण व्यक्ति को मानसिक रूप से प्रताङित होना पङता है?
(अ) बेरोजगारी के कारण✔️
(ब) गरीबी के कारण
(स) पारस्परिक कुरीतियों के कारण
(द) सरकारी योजनाओं के कारण

4. प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से लेखक क्या बताना चाहता है?
(अ) ग्रामीण क्षेत्र के बारे में
(ब) रोजगारोन्मुख योजनाओं के बारे में
(स) बेरोजगारी एवं इसके कुप्रभाव के बारे में✔️
(द) स्वरोजगार के बारे में

5. प्रस्तुत गद्यांश में किसके महत्त्व पर जोर दिया गया है?
(अ) बेरोजगारी (ब) रोजगारोन्मुख योजनाओं
(स) निजी उद्यम एवं स्वरोजगार✔️ (द) आर्थिक सम्पन्नता

6. ’रोजगारोन्मुखी’ का सन्धि-विच्छेद है-
(अ) रोजगार  + मुखी (ब) रोजगार + उन्मुखी✔️
(स) रोजगार + ओन्मुखी (द) रोजगारोत् + मुखी

7. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है?
(अ) लोगों को सामान्य शिक्षा देकर उन्हें अपना व्यवसाय शुरू करने को बाध्य किया जाना चाहिए
(ब) लोगों को व्यावसायिक शिक्षा देकर उन्हें अपना व्यवसाय करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है✔️
(स) सरकारी योजनाओं का पूरा-पूरा लाभ ग्रामीणों को मिलता है
(द) सभी सरकारी योजनाएँ कागज तक ही सीमित रह जाती हैं

8. बेरोजगारी और अपराध के सम्बन्ध के बारे में लेखक क्या कहना चाहता है?
(अ) बेरोजगारी के कारण ही समाज में अपराध एवं हिंसा में वृद्धि होती है
(ब) बेरोजगारी यदि नहीं हो तो समाज में अपराध एवं हिंसा कम हो जाएगा
(स) समाज में अपराध एवं हिंसा में वृद्धि का एक कारण बेरोजगारी भी है✔️
(द) उपरोक्त सभी

9. ’क्रियान्वयन’ का विशेषण है-
(अ) क्रियान्वित✔️ (ब) क्रियाशील
(स) कार्मिक (द) कर्मशील

हिंदी गद्यांश-13 (Gadyansh in Hindi-13)

भारत में वैश्वीकरण की आवश्यकता तब महसूस की गई जब 1991 में वित्तीय संकट के कारण इसे अपना सोना गिरवी रखकर विदेशों से ऋण लेना पङा। भारत में वैश्वीकरण को स्वीकृति देने के बाद से विदेशी निवेशकों ने भारत में अत्यधिक पूँजी निवेश किया है। इससे आयात-निर्यात को भी अत्यधिक बढ़ावा मिला है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी तथा ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में असाधारण प्रगति हुई है एवं इन क्षेत्रों के भारतीय विशेषज्ञों की माँग दुनिया भर में बढ़ी है। आज बङी संख्या में भारत के विशेषज्ञ विश्व के अनेक देशों में कार्यरत है।

संचार एवं सूचना क्रान्ति के कारण दुनिया आज ग्लोबल विलेज का रूप ले चुकी है। ऐसी स्थिति में सही तौर पर देखा जाए तो वैश्वीकरण समय की माँग है एवं आर्थिक प्रगति के दृष्टिकोण से यह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। वर्तमान समय में जटिल आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए विश्व का कोई भी देश सभी मामलों में पूर्णतया आत्मनिर्भर होने का दावा नहीं कर सकता, उसे किसी-न-किसी कारण से किसी अन्य देश पर अवश्य निर्भर रहना पङता है। यही कारण है कि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एवं सहयोग को बढ़ावा देकर तेजी से आर्थिक प्रगति हासिल करने के लिए वैश्वीकरण आवश्यक है।

वैश्वीकरण ने पूरे विश्व को आर्थिक सुधार का एक सुनहरा अवसर प्रदान किया है। भले ही इससे कुछ नुकसान सम्भव हैं किन्तु किसी भी देश का अन्य देशों के सहयोग के बिना अकेले प्रगति पथ पर अग्रसर रहना लगभग असम्भव है। अतः राष्ट्रीयता की भावना का सम्मान करते हुए यदि अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सौहार्द की भावना को बढ़ावा दिया जाए तो इससे निस्सन्देह विकासशील ही नहीं विकसित देशों को भी लाभ होगा। यदि आपस में व्यापार करने वाले देश एक-दूसरे को बाजार के दृष्टिकोण से न देखकर आर्थिक प्रगति हासिल करने के लिए सहयोगी के तौर पर देखें तो इससे न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होगा, बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सौहार्द में भी वृद्धि होगी।

1. विदेशी निवेशकों ने भारत में अत्यधिक पूँजी क्यों निवेश की है?
(अ) इसे वित्तीय संकट से उबारने के लिए
(ब) भारत की प्रगति को देखकर
(स) इसे आर्थिक मन्दी से उबारने के लिए
(द) वैश्वीकरण के कारण✔️

2. वैश्वीकरण से भारत को निम्नलिखित में से कौन-सा लाभ प्राप्त नहीं हुआ है?
(अ) ऑटोमोबाइल क्षेत्र में असाधारण प्रगति
(ब) आयात-निर्यात को भी अत्यधिक बढ़ावा मिला है
(स) फिल्म उद्योग को बढ़ावा मिला है✔️
(द) भारत के विशेषज्ञ विश्व के अनेक देशों में कार्यरत हैं

3. वैश्वीकरण के फलस्वरूप होने वाले परिणाम के रूप में निम्नलिखित में से किसकी चर्चा इस गद्यांश में नहीं की गई है?
(अ) वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार
(ब) अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सौहार्द में भी वृद्धि
(स) तेजी से अधिक प्रगति
(द) आध्यात्मिक शान्ति में वृद्धि ✔️

4. प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक निम्नलिखित में से कौन-सा होगा?
(अ) वैश्वीकरण✔️ (ब) आर्थिक मन्दी
(स) वित्तीय संकट (द) आर्थिक सुधार

5. प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार वैश्वीकरण क्यों आवश्यक नहीं है?
(अ) तेजी से आर्थिक प्रगति के लिए
(ब) अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सौहार्द के लिए
(स) किसी न किसी मामले में अन्य देश पर निर्भरता के कारण
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं✔️

6. ’राष्ट्रीयता’ शब्द है-
(अ) संज्ञा✔️ (ब) विशेषण
(स) क्रिया (द) क्रिया-विशेषण

हिंदी गद्यांश-14 (Gadyansh in Hindi-14)

निर्देश (प्र.सं. 55-60) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
अस्तित्ववादी विचारधारा का आधारभूत शब्द है अस्तित्व। इस विचारधारा के अनुयायियों का मत है कि सारे विचार और सिद्धान्त व्यक्ति के चिन्तन के परिणाम हैं अर्थात् पहले मानव या व्यक्ति अस्तित्व में आया तत्पश्चात् उसके द्वारा विभिन्न विचारों या सिद्धान्तों का निरूपण हुआ। अतः व्यक्ति का अस्तित्व ही प्रमुख है, उसके विचार या सिद्धान्त गौण है। स्पष्ट है कि अस्तित्ववाद में व्यक्ति की वैयक्तिक स्वतन्त्रता को सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है और यह विचारधारा वैज्ञानिकता एवं सामाजिकता को उतना महत्त्व नहीं देती। अस्तित्ववादियों की धारणा है कि प्रत्येक सिद्धान्त व्यक्ति की अपनी दृष्टि की उपज है, अतः वह व्यक्ति सापेक्ष है इसलिए किसी भी सिद्धान्त को सर्वांगीण, सार्वभौमिक एवं सार्वजनिक नहीं माना जा सकता है। दूसरे शब्दों में अस्तित्ववादी यह मानते हैं कि हर व्यक्ति को अपना सिद्धान्त स्वयं खोजना चाहिए, दूसरों द्वारा प्रतिपादित या निर्मित सिद्धान्तों को स्वीकार करना आवश्यक नहीं है। यही कारण है कि अस्तित्ववादियों के लिए सभी परम्परागत, सामाजिक, नैतिक एवं वैज्ञानिक सिद्धान्त अमान्य एवं अव्यावहारिक सिद्ध हो जाते हैं।
अस्तित्ववादी मानते हैं कि परिस्थितियों और भाग्य, बाह्य सत्ता और कर्मफल जैसी कोई चीज नहीं होती। उसके विचार से प्रत्येक व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है। वह अपनी परिस्थितियों को अनुकूल या प्रतिकूल स्वयं बनाता है, इसके लिए किसी अन्य को दोष देना अनुचित है।
अस्तित्ववादी ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं करते। वे स्पष्ट घोषणा करते हैं कि ईश्वर तो मर गया। ईश्वर के नाम पर लगाए गए विधि-निषेधों की ये अवहेलना करते हैं और इसलिए परम्परागत आस्थाओं, नैतिक नियमों, जीवन विश्वासों के घोर विरोधी है। ये वैयक्तिक स्वच्छन्दता, उपभोग की स्वतन्त्रता, उन्मुक्त भोग, नास्तिकता, असामाजिकता, आचार-विरोध के पक्षधर हैं।

1. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?
(अ) सारे विचार और सिद्धान्त व्यक्ति के चिन्तन के परिणाम हैं
(ब) व्यक्ति का अस्तित्व ही प्रमुख है
(स) अस्तित्ववादी ईश्वर की सत्ता में तो विश्वास करते नहीं हैं, किन्तु मन्दिर जाते हैं✔️
(द) अस्तित्ववादी विचारधारा का आधारभूत शब्द है अस्तित्व

2. परम्परागत आस्था में-
(अ) ईश्वर के नाम पर विधि-निषेध का पालन नहीं किया जाता है
(ब) ईश्वर के नाम पर विधि-निषेध का पालन किया जाता है✔️
(स) ईश्वर के नाम पर उन्मुक्त भोग में विश्वास किया जाता है
(द) ईश्वर में विश्वास नहीं किया जाता

3. प्रस्तुत गद्यांश द्वारा लेखक कहना चाहता है कि-
(अ) अस्तित्ववादी महान होते हैं
(ब) परम्परा में विश्वास रखने वाले लोग महान होते हैं
(स) अस्तित्ववादी विचारधारा क्या है✔️
(द) न तो अस्तित्ववादी सही हैं और न ही परम्परावादी

4. अस्तित्ववादियों के अनुसार जीवन में आई प्रतिकूल परिस्थितियों के लिए कौन दोषी है?
(अ) व्यक्ति स्वयं✔️ (ब) व्यक्ति का पङौसी
(स) हमारा समाज (द) हमारी राजनीति

5. प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक निम्नलिखित में से क्या होगा?
(अ) अस्तित्व (ब) ईश्वर का अस्तित्व
(स) अस्तित्ववाद✔️ (द) आस्तिकता-नास्तिकता

6. ’सापेक्ष’ का विपरीतार्थक शब्द है-
(अ) विपेक्ष (ब) निपेक्ष
(स) निरपेक्ष✔️ (द) आपेक्ष

7. ’नास्तिकता’ की तरह कौन-सा विशेषण शब्द प्रस्तुत गद्यांश में प्रयुक्त हुआ है?
(अ) असामाजिकता✔️ (ब) सामुदायिकता
(स) आर्थिकता (द) शैक्षणिकता

8. ’कर्मफल’ में कौन-सा समास है?
(अ) तत्पुरुष ✔️ (ब) कर्मधारय
(स) बहुब्रीहि (द) अव्ययीभाव

9. ’इस विचारधारा के अनुयायियों………….’ वाक्य में रेखांकित शब्द है।
(अ) अनिश्चयवाचक सर्वनाम (ब) निश्चयवाचक सर्वनाम✔️
(स) सम्बन्धवाचक सर्वनाम (द) प्रश्नवाचक सर्वनाम

हिंदी गद्यांश-15 (Gadyansh in Hindi-15)

दुनिया को जितना नुकसान दो विश्वयुद्धों से नहीं हुआ है उससे अधिक नुकसान यदि किसी कारण हुआ है तो वह है आतंकवाद। आतंकवाद की शुरुआत बहुत पहले हो चुकी थी और इसके उदाहरण विश्व इतिहास में भरे पङे हैं, किन्तु 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के न्यूयार्क स्थित व्यावसायिक केन्द्रों पर आतंकी हमले के बाद दुनिया को लगा कि आतंकवादी कितने भयानक कुकृत्यों को अन्जाम दे सकते हैं। इसके बाद पूरी दुनिया आतंकवाद से निपटने के लिए चिन्तित दिखाई पङने लगी। आज लगभग पूरा विश्व आतंकवाद की चपेट में है।
हिंसा के द्वारा जनमानस में भय या आतंक पैदा कर अपने उद्देश्यों को पूरा करना आतंकवाद है। यह उद्देश्य राजनीतिक, धार्मिक या आर्थिक ही नहीं सामाजिक या अन्य किसी भी प्रकार का हो सकता है। वैसे तो आतंकवाद के कई प्रकार हैं किन्तु इनमें से तीन ऐसे हैं जिनसे पूरी दुनिया अत्यधिक त्रस्त है। ये तीन आतंकवाद हैं- राजनीतिक आतंकवाद, धार्मिक कट्टरता एवं गैर-राजनीतिक या सामाजिक आतंकवाद। श्रीलंका में लिट्टे समर्थकों एवं अफगानिस्तान में तालिबानी संगठनों की गतिविधियाँ राजनीतिक आतंकवाद के उदाहरण हैं। जम्मू-कश्मीर एवं असोम में अलगाववादी गुटों द्वारा किए गए अपराधिक कृत्य भी राजनीतिक आतंकवाद के ही उदाहरण है। अलकायदा, लश्कर-ए-तएबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन धार्मिक कट्टरता की भावना से अपराधिक कृत्यों को अन्जाम देते हैं, अतः ऐसे आतंकवाद को धार्मिक कट्टरता की श्रेणी में रखा जाता है। अपनी सामाजिक स्थिति या अन्य कारणों से उत्पन्न सामाजिक क्रान्तिकारी विद्रोह को गैर-राजनीतिक आतंकवाद की श्रेणी में रखा जाता है। भारत में नक्सलवाद गैर-राजनीतिक आतंकवाद का उदाहरण हैं।
आतंकवादी हमेशा फैलाने के नये-नये तरीके आजमाते रहते हैं। भीङ भरे स्थानों, रेलवे स्टेशनों, बसों इत्यादि में बम विस्फोट करना, रेलवे दुर्घटना करवाने के लिए रेलवे लाईनों की पटरियों उखाङ देना, वायुयानों का अपहरण कर लेना, निर्दोष लोगों या राजनीतिज्ञों को बंदी बना लेना, बैंक डकैतियाँ करना इत्यादि कुछ ऐसी आतंकवादी गतिविधियाँ हैं जिनसे पूरा विश्व पिछले कुछ दशकों से त्रस्त रहा है।

1. दुनिया को अब तक सर्वाधिक नुकसान किससे हुआ है?
(अ) युद्ध से (ब) विश्वयुद्ध से
(स) आतंकवाद से✔️ (द) राजनीतिज्ञों से

2. निम्नलिखित में से किस संगठन को धार्मिक कट्टरता की श्रेणी में रखा जाता है?
(अ) अलकायदा✔️ (ब) लिट्टे
(स) तालिबान (द) नक्सलवादी समूह

3. पूरी दुनिया आतंकवाद से निपटने के लिए चिन्तित कब से दिखाई पङने लगी?
(अ) प्रथम विश्वयुद्ध के बाद से
(ब) द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से
(स) 11 सितम्बर, 2001 के बाद से✔️
(द) 2001 के बाद से

4. प्रस्तुत गद्यांश में निम्नलिखित में से किस देश की चर्चा नहीं की गई है?
(अ) अमेरिका (ब) श्रीलंका
(स) अफगानिस्तान (द) इजरायल✔️

5. ’आतंकवाद’ शब्द है-
(अ) संज्ञा✔️ (ब) विशेषण
(स) क्रिया (द) क्रिया-विशेषण

हिंदी गद्यांश-16 (Gadyansh in Hindi-16)

राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी अधिनियम के अन्तर्गत राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना का शुभारम्भ प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह द्वारा 2 फरवरी, 2006 को आन्ध्र प्रदेश के अनन्तपुर जिले से किया गया था। पहले चरण में वर्ष 2006-07 की अवधि में देश के 27 राज्यों के उन चुनिन्दा 200 जिलों में इस योजना का कार्यान्वयन किया गया था
जहाँ ग्रामीण बेरोजगारी की दर अधिक थी। वर्ष 2007-08 के दौरान इस योजना के दूसरे चरण का विस्तार 130 अन्य जिलों में किया गया। 1 अप्रैल, 2008 से इस योजना को सम्पूर्ण देश में लागू कर दिया गया है। यह योजना रोजगार के अन्य कार्यक्रमों से बिल्कुल अलग है क्योंकि यह मात्र एक योजना नहीं है बल्कि इसे अधिनियम के रूप में कानून का दर्जा प्रदान कर इसमें पंजीकृत लोगों को रोजगार की गारण्टी प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। 2 अक्टूबर, 2009 से राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम का नाम बदलकर महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम कर दिया गया है।
कर्म के बिना जीवन लक्ष्यों का प्राप्त करना सम्भव नहीं होता। प्रत्येक प्राणी का अपने जीवन की निरन्तरता के लिए कार्यशील रहना अनिवार्य है। इन दृष्टिकोणों से भी महात्मा गाँधी रोजगार गारण्टी अधिनियम अति महत्त्वपूर्ण है। कानूनन रोजगार की गारण्टी मिलने के बाद न केवल ग्रामीण विकास को गति मिली है बल्कि ग्रामीणों का शहर की ओर पलायन भी कम हुआ है। जल-प्रबन्धन, बाढ़-नियन्त्रण, भूमि-विकास, ग्रामीण सङक तथा बंजर भूमि विकास को भी इस योजना से गति प्राप्त हुई है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश के वास्तविक विकास के लिए इसके गाँवों का विकास आवश्यक है और गाँवों के विकास के लिए यह योजना ग्रामीण गरीबी, बेरोजगारी तथा आर्थिक विषमता जैसी समस्याओं को दूर करने में जिस तरह से सहायक सिद्ध हो रही है उससे यह स्पष्ट निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम देश के सन्तुलित विकास के रूप में शीघ्र ही दिखाई पङने लगेंगे। इस योजना की और अधिक सफलता के लिए ईमानदारी और निष्ठा के साथ इसका कार्यान्वयन किए जाने की आवश्यकता है।

1. गद्यांश में वर्णित रोजगार योजना गाँवों के विकासमें किस प्रकार सहायक सिद्ध हुई है?
(अ) इससे गाँवों में जल-प्रबन्धन में मदद मिली है
(ब) इससे गाँवों में बाढ़-नियन्त्रण में मदद मिली है
(स) इससे ग्रामीण गरीबी, बेरोजगारी तथा आर्थिक विषमता जैसी समस्याएँ दूर हुई हैं✔️
(द) कुछ कहा नहीं जा सकता

2. इस गद्यांश में लेखक ने किसका वर्णन किया है?
(अ) कर्म का
(ब) महात्मा गाँधी रोजगार गारण्टी अधिनियम का✔️
(स) रोजगार का
(द) रोजगार योजना की आवश्यकता का

3. किसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम देश के सन्तुलित विकास के रूप में शीघ्र ही दिखाई पङने लगेंगे?
(अ) भूमि-विकास के (ब) जल-प्रबन्धन के
(स) शहर की ओर पलायन के (द) ग्रामीण विकास के✔️

4. रोजगार की गारण्टी मिलने से निम्नलिखित में से कौन-सा लाभ नहीं हुआ है?
(अ) ग्रामीणों का शहर की ओर पलायन भी कम हुआ है
(ब) ग्रामीण विकास को गति मिली है
(स) आर्थिक विषमता को दूर करने में सहायता मिली है
(द) गाँवों का सम्पूर्ण विकास हुआ है✔️

5. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी देश के कितने जिलों में लागू की जा चुकी है?
(अ) देश के सभी जिलों में✔️
(ब) 27 राज्यों के चुनिन्दा 200 जिलों में
(स) 330 जिलों में
(द) 130 जिलों में

6. ’प्रावधान’ का तात्पर्य है-
(अ) प्रधान (ब) विधान✔️
(स) विधि (द) प्रबन्धन

7. ’कार्यशील’ की तरह कौन-सा विशेषण शब्द ठीक है?
(अ) कर्मशील (ब) गुणशील
(स) लगनशील✔️ (द) व्यवहारशील

8. ’इन दृष्टिकोणों से भी…………… वाक्य में रेखांकित शब्द है-
(अ) अनिश्चयवाचक सर्वनाम (ब) निश्चयवाचक सर्वनाम✔️
(स) सम्बन्धवाचक सर्वनाम (द) प्रश्नवाचक सर्वनाम

9. ’विषमता’ का विपरीतार्थक शब्द है-
(अ) समता✔️ (ब) प्रतिकूलता
(स) अविषमता (द) समता

हिंदी गद्यांश-17 (Gadyansh in Hindi-17)

हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
नदियाँ, पर्वत, हवा, पेङ से आती है बहार।
बचपन कोमल तन-मन लेकर,
आए अनुपम जीवन लेकर,
जग से तुम और तुमसे है ये प्यारा संसार,
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
वृन्द-लताएँ, पौधे, डाली
चारों ओर भरे हरियाली
मन में जगे उमंग यही है सृष्टि का उपहार,
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार,
मुश्किल से मिलता है जीवन,
हम सब इसे बनाएँ चन्दन
पर्यावरण सुरक्षित न हो तो है सब बेकार
हरा-भरा हो जीवन अपना स्वस्थ रहे संसार

1. ’हरा-भरा जीवन’ का अर्थ है-
(अ) खुशियों से परिपूर्ण जीवन
(ब) पेङ-पौधों से घिरा जीवन
(स) हरे रंगों से भरा जीवन
(द) हरियाली-युक्त जीवन✔️

2. कौन-सी चीजें बहार लेकर आती हैं?
(अ) पेङों की हवा (ब) नदियों की आवाज
(स) पहाङों की चोटियाँ ✔️ (द) समस्त प्राकृतिक उपादान

3. कवि ने सृष्टि का उपहार किसे कहा है?
(अ) पौधे व डालियाँ
(ब) वृन्द-लताएँ ✔️
(स) हरा-भरा जीवन
(द) प्राकृतिक सुन्दरता और उससे उत्पन्न होने वाली खुशी

4. कवि यह सन्देश देना चाहता है कि-
(अ) चन्दन के पेङ लगाने चाहिए
(ब) जीवन में सब बेकार है
(स) पर्यावरण-संरक्षण में ही जीवन सम्भव है
(द) प्रकृति में पेङ-पौधे, नदियाँ, पर्वत शामिल है✔️

5. ’जग से तुम और तुम से है ये प्यारा संसार’ पंक्ति के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि-
(अ) संसार का अस्तित्व व्यक्तियों से स्वतन्त्र है
(ब) व्यक्ति और संसार दोनों का अस्तित्व एक-दूसरे पर निर्भर करता है
(स) संसार चलाने के लिए व्यक्तियों की आवश्यकता होती है✔️
(द) व्यक्ति का अस्तित्व संसार से स्वतन्त्र है

6. ’अनुपम’ से अभिप्राय है-
(अ) जिसकी उपमा न दी जा सके
(ब) सुखद✔️
(स) आनन्द
(द) मनोहारी

हिंदी गद्यांश-18 (Gadyansh in Hindi-18)

चमकीले सूरज पर धब्बे शुरू से ही पाए जाते हैं। खगोलवेत्ताओं ने सैकङों वर्षों की खोज के बाद यह पाया था कि सूरज पर इन धब्बों का एक चक्र लगभग ग्यारह वर्ष का होता है, लेकिन पिछले लगभग दो साल से सूरज पर ये धब्बे दिखने बन्द हो गए हैं। इस से दुनिया भर के खगोल वैज्ञानिक चकित है।
नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक, ज्ञात स्मृति में ऐसा अब तक नहीं हुआ कि सूरज पर धब्बे बिल्कुल न दिखाई पङे हों। वे यदि इसे एक असाधारण घटना मान रहे हैं, तो यह अनायास नहीं है। सूरज से धब्बों के गायब होने का अर्थ है कि उसकी चुम्बकीय क्षमता खत्म हो रही है और वह सिकुङ रहा है। सूरज यदि अपनी चुम्बकीय क्षमता खो देगा, तो उससे पृथ्वी को होने वाली हानि की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है।
कुछ वैज्ञानिक जहाँ इस वजह से भीषण सौर तूफान आने की चेतावनी दे रहे हैं, वहीं कुछ का मानना है कि इससे पृथ्वी का तापमान इतना गिर जाएगा कि जीवन असम्भव हो जाएगा। प्रश्न यह है कि ऐसा क्यों हो रहा है?
नासा के वैज्ञानिक डेविड हेथवे और उनकी टीम ने अध्ययन के बाद पाया कि गैस के जो दो बेल्ट सूरज की परिक्रमा करते हैं, हाल के वर्षों में उनमें से एक की गति तेज हो गई है। इससे ग्लोबल वार्मिंग की बहस ने भी नया रूप ले लिया है।
पर्यावरणविदों का एक बङा वर्ग अब तक सूरज को ही ग्लोबल वार्मिंग की वजह बताता रहा है, लेकिन सूरज का हाल देखकर लगता है कि वह खुद प्रकृति में आ रहे परिवर्तन का शिकार हो रहा है। यह भी सम्भव है कि सूरज के भीतर हो रहे परिवर्तन का पृथ्वी पर तत्काल कोई असर न दिखाई पङे, लेकिन मौजूदा घटना ने वैज्ञानिकों को चिन्तित तो कर ही दिया है।
1. दुनिया भर के खगोल वैज्ञानिक क्यों चकित हैं?
(अ) सूरज पर पाए जाने वाले धब्बों से
(ब) धब्बों के ग्यारह वर्ष के चक्र से✔️
(स) दो साल से सूरज पर स्थित धब्बे दिखने बन्द होने से
(द) सूरज की चुम्बकीय क्षमता खत्म होने से

2. इस गद्यांश में लेखक ने किसका वर्णन करना चाहा है?
(अ) सूरज के चक्रों का
(ब) सूरज में हो रहे परिवर्तनों का✔️
(स) सूरज में हो रहे परिवर्तनों के कारणों का
(द) नासा के वैज्ञानिकों का

3. सूरज यदि अपनी चुम्बकीय क्षमता खो देगा तो इसका क्या परिणाम होगा?
(अ) होने वाले परिणाम की सिर्फ कल्पना की जा सकती है
(ब) पृथ्वी पर निश्चित रूप से भीषण सौर तूफान आएँगे
(स) पृथ्वी का तापमान बढ़ जाएगा✔️
(द) पृथ्वी का तापमान स्थिर रहेगा

4. हाल के वर्षों में किसमें तेजी आई है?
(अ) सूरज की गति में
(ब) धब्बों की गति में
(स) सूरज की परिक्रमा करने वाले बेल्ट में
(द) सूरज की परिक्रमा करने वाले बेल्ट की गति में✔️

5. पृथ्वी पर जीवन असम्भव क्यों हो जाएगा?
(अ) सूरज के धब्बों के गायब होने से
(ब) सूरज की चुम्बकीय क्षमता खत्म होने से✔️
(स) पृथ्वी का तापमान गिरने से
(द) भीषण सौर तूफान आने से

6. ’खगोल’ का तात्पर्य है-
(अ) अन्तरिक्ष✔️ (ब) भूगोल
(स) खग विद्या (द) गोल पक्षी

7. ’अध्ययन’ का सन्धि-विच्छेद है-
(अ) अध + अयन (ब) आधा + अयन
(स) अधि + अयन✔️ (द) अध + आयन

8. ’सूरज पर धब्बे बिल्कुल न दिखाई पङें हों’ में रेखांकित शब्द में कौन-सा कारक है?
(अ) अपादान✔️ (ब) अधिकरण
(स) कर्ता (द) सम्प्रदान

9. ’जो दो बेल्ट सूरज की परिक्रमा करते हैं…………वाक्य में रेखांकित शब्द है।
(अ) सम्बन्धवाचक सर्वनाम (ब) अनिश्चयवाद सर्वनाम✔️
(स) निश्चयवाचक सर्वनाम (द) निजवाचक सर्वनाम

हिंदी गद्यांश-19 (Gadyansh in Hindi-19)

प्रगतिवाद का सम्बन्ध जीवन और जगत के प्रति नये दृष्टिकोण से है। इस भौतिक जगत को सम्पूर्ण सत्य मानकर, उसमें रहने वाले मानव समुदाय के मंगल की कामना से प्रेरित होकर प्रगतिवादी साहित्य की रचना की गई है। जीवन के प्रति लौकिक दृष्टि इस साहित्य का आधार है और सामाजिक यथार्थ से उत्पन्न होता है, लेकिन उसे बदलने और बेहतर बनाने की कामना के साथ। प्रगतिवादी कवि न तो इतिहास की उपेक्षा करता है, न वर्तमान का अनादर, न ही वह भविष्य के रंगीन सपने बुनता है। इतिहास को वैज्ञानिक दृष्टि से जाँचते-परखते हुए, वह वर्तमान को समझने की कोशिश करता है और उसी के आधार पर भविष्य के लिए अपना मार्ग चुनता है। यही कारण है कि प्रगतिवादी काव्य में ऐतिहासिक चेतना अनिवार्यतः विद्यमान रहती है। प्रगतिवादी कवि की दृष्टि सामाजिक यथार्थ पर केन्द्रित रहती है, वह अपने परिवेश और प्रकृति के प्रति गहरे लगाव से प्रेरित होता है तथा जीवन के प्रति उसका दृष्टिकोण सकारात्मक होता है। मानव को वह सर्वोपरि मानता है।
प्रगतिवादी कवि के पास सामाजिक यथार्थ को देखने की विशेष दृष्टि होती है। एक वर्ग चेतना प्रधान दृष्टि। नागार्जुन यदि दुखरन झा जैसे प्राइमरी स्कूल के अल्पवेतन भोगी मास्टर का यथार्थ चित्रण करते हैं, तो सामाजिक विषमता के यथार्थ को ध्यान में रखते हुए। इस सरल यथार्थ को कविता में व्यक्त करने के लिए यथार्थ रूपांे की समझ जरूरी है। कवि का वास्तव बोध और वस्तुपरक निरीक्षण दोनों पर ध्यान जाना चाहिए।
प्रगतिशील चेतना के कवि की दृष्टि सामाजिक यथार्थ के अनेक रूपों की ओर जाती है। कवि सामाजिक विषमता को उजागर करता हुआ कभी अपना विक्षोभ व्यक्त करता है, तो कभी अपना सात्विक क्रोध। कभी वह अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध सिंह गर्जना करता है, तो कभी शोषण और दमन के दृश्य देखकर अपना दुःख व्यक्त करता है।
प्रगतिवादी चेतना के कवि को प्रकृति और परिवेश के प्रति कवि का लगाव भी ध्यान आकृष्ट करता है। प्रगतिवादी कवि प्रकृति में जिस जीवन सक्रियता का आभास पाता है, उसके लिए एक प्रकार का स्थानिक लगाव जरूरी है।

1. प्रगतिवादी कवि किससे जुङाव महसूस करता है?
(अ) भौतिक सुख-सुविधाओं से (ब) प्रकृति से✔️
(स) इन दोनों से (द) इनमें से कोई नहीं

2. लेखक क्या कहना चाहता है?
(अ) प्रगतिवादी कवि महान होते हैं
(ब) मनुष्य की प्रगति के लिए प्रगतिशीलता अनिवार्य है
(स) प्रगतिवाद क्या है और प्रगतिवादी कवि के दृष्टिकोण क्या होते हैं✔️
(द) प्रगतिवादी चेतना के द्वारा सृष्टि का भला कैसे किया जा सकता है

3. कौन-सा कथन असत्य है?
(अ) प्रगतिवाद का सम्बन्ध जीवन और जगत के प्रति नये दृष्टिकोण से है
(ब) प्रगतिवादी कवि समाज का यथार्थ चित्रण करता है
(स) प्रगतिवाद क्या है और प्रगतिवादी कवि के दृष्टिकोण क्या होते हैं✔️
(द) प्रगतिवाद चेतना के द्वारा सृष्टि का भला कैसे किया जा सकता है

4. प्रगतिवादी काव्य में ऐतिहासिक चेतना विद्यमान रहने का क्या कारण है?
(अ) प्रगतिवादी कवि इतिहास की तो उपेक्षा नहीं करता है, किन्तु वर्तमान का अनादर करता है
(ब) प्रगतिवादी कवि भविष्य के रंगीन सपने बुनता है✔️
(स) प्रगतिवादी कवि इतिहास को वैज्ञानिक दृष्टि से जाँच-परख कर वर्तमान के बारे मे लिखता है
(द) प्रगतिवादी कवि भविष्य के प्रति चिन्तित नहीं रहता, वह इतिहास के प्रति चिन्तित रहता है

5. प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक निम्नलिखित में से क्या होगा?
(अ) प्रगति (ब) प्रगतिवाद✔️
(स) प्रगति के प्रयास (द) मानव एवं प्रगति

6. ’अत्याचार’ का सन्धि-विच्छेद है-
(अ) अत्य + आचार (ब) अति + आचार✔️
(स) अत्य + अचार (द) अत्या + चारे

7. ’स्थानिक’ की तरह कौन-सा विशेषण शब्द प्रस्तुत गद्यांश में प्रयुक्त नहीं हुआ है?
(अ) भौतिक (ब) लौकिक
(स) आर्थिक✔️ (द) सामाजिक

8. ’सात्विक’ है-
(अ) क्रिया (ब) संज्ञा
(स) विशेषण✔️ (द) सर्वनाम

9. ’दमन’ का तात्पर्य है-
(अ) दबाया जाना✔️ (ब) दमा की बीमारी
(स) दाब (द) दबाव

हिंदी गद्यांश-20 (Hindi Apathit Gadyansh-20)

एक नये भौगोलिक अध्ययन का दावा है कि प्रशान्त महासागर में निचले समुद्र तल में पङने वाले कई द्वीप डूब रहे हैं बल्कि उनका विस्तार हो रहा है। अध्ययन के अनुसार तुवालू, किरिबास और माइक्रोनेशिया गणराज्य ऐसे द्वीपीय देश हैं जिनका आकार मूँगे की चट्टानों और समुद्र के भीतर कणों आदि जमा होने से बनी अवसादी चट्टानों के कारण बढ़ गया है।
इस अध्ययन से यह अनुमान लगाया गया है कि इन द्वीपों का अस्तित्व अगले सौ वर्षों तक भी बना रहेगा। हालाँकि भले ही ये द्वीप ना डूबें लेकिन आगे चलकर ऐसे द्वीप बसने लायक रहेंगे कि नहीं, यह निश्चित नहीं है।
हाल के समय में निचले समुद्र तल में पङने वाले प्रशासन महासागर के कई द्वीपों के निवासियों को ये चिन्ता सता रही है कि समुद्र का जलस्तर बढ़ने से उनका द्वीप नक्शे से गायब हो जाएगा। इस अध्ययन के दौरान 27 द्वीपों का पिछले 60 वर्षों का लेखा-जोखा लिया गया जिसके लिए पुरानी तस्वीरों और उपग्रह से लिए गए चित्रों का सहारा लिया गया। भूगर्भशास्त्रियों ने पाया कि 80 प्रतिशत द्वीप जैसे थे वैसे ही रहे या उनका आकार बढ़ गया और उनमें भी कुछ तो बहुत ही अधिक बढ़ गए।
अध्ययन दल में शामिल ओकलैण्ड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक प्रोफेसर पाॅल केन्व का कहना है कि इन द्वीपों का अस्तित्व समाप्त हो जाए, इसका खतरा निकट भविष्य में बिल्कुल नहीं है। उन्होंने कहा, इन देशों के बारे में वो निराशाजनक सोच बिल्कुल गलत है। हमारे पास इस बात के प्रमाण हैं कि ये द्वीप अगले सौ साल तक रहेंगे। तो उनको अपने देश से भागने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन ये पता चलने के बावजूद कि आगे चलकर ये द्वीप लोगों के रहने लायक भी नहीं रहेंगे, वैज्ञानिकों का मानना है कि समुद्र का जलस्तर बढ़ने से इन द्वीपों पर रहने वाले लोगों के जन-जीवन पर व्यापक असर पङ सकता है।

1. प्रशान्त महासागर में निचले समुद्र तल में पङने वाले कई द्वीपों का विस्तार कैसे हो रहा है?
(अ) समुद्री जीव-जन्तुओं के कारण
(ब) द्वीप पर रहने वाले लोगों के कारण
(स) मूँगे की चट्टानों और समुद्र के भीतर कणों आदि के जमा होने से✔️
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं

2. प्रस्तुत गद्यांश में निम्नलिखित में से किस देश की चर्चा नहीं की गई है?
(अ) माइक्रोनेशिया गणराज्य (ब) इण्डोनेशिया✔️
(स) तुवालू (द) किरिबास

3. प्रशान्त महासागर के कई द्वीपों के निवासी क्यों चिन्तित हैं?
(अ) समुद्र का जल स्तर बढ़ने से✔️
(ब) समुद्री जीव-जन्तुओं से
(स) समुद्र के भीतर कणों आदि के जमा होने से
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं

4. प्रस्तुत गद्यांश में चर्चित द्वीपांे के कब तक बने रहने की सम्भावना है?
(अ) अगले दो सौ वर्षों तक (ब) ये शीघ्र विलुप्त हो जाएँगे
(स) अगले दस वर्षों तक (द) अगले सौ वर्षों तक✔️

5. भूगर्भशास्त्रियों  ने किसका अध्ययन किया?
(अ) प्रशान्त महासागर का (ब) द्वीपों का✔️
(स) चट्टानों का (द) समुद्र के जल स्तर का

6. ’अस्तित्व’ शब्द है-
(अ) संज्ञा✔️ (ब) सर्वनाम
(स) विशेषण (द) क्रिया

हिंदी गद्यांश-21 (Hindi Apathit Gadyansh-21)

स्पीति हिमाचल प्रदेश के लाहुल-स्पीति जिले की तहसील है। लाहुल-स्पीति का यह योग भी आकस्मिक ही है। इनमें बहुत योगायोग नहीं है। ऊँचे दर्रों और कठिन रास्तों के कारण इतिहास में भी रहा है। अलंघ्य भूगोल यहाँ इतिहास का एक बङा कारक है। अब जबकि संचार में कुछ सुधार हुआ है तब भी लाहुल-स्पीति का योग प्रायः ’वायरलेस सेट’ के जरिए है जो केलंग और काजा के बीच खङकता रहता है। फिर भी केलंग के बादशाह को भय लगा रहता है कि कहीं काजा का सूबेदार उसकी अवज्ञा तो नहीं कर रहा हैं? कहीं बगावत तो नहीं करने वाला है? लेकिन सिवाय वायरलेस सेट पर सन्देश भेजने के वह कर भी क्या सकता है? वसन्त में भी 170 मील जाना-आना कठिन है। शीत में प्रायः असम्भव है।
प्राचीनकाल में शायद स्पीति भारतीय साम्राज्यों का अनाम अंग रही है। जब ये साम्राज्य टूटे तो यह स्वतन्त्र रही है। फिर मध्य युग में प्रायः लद्दाख मण्डल और कभी कश्मीर मण्डल, कभी बुशहर मण्डल, कभी कूल्लू मण्डल, कभी ब्रिटिश भारत के तहत रही है। इसकी स्वायत्तता भूगोल ने सिरजी है। भूगोल ही इसकी रक्षा करता है। भूगोल ही इसका संहार भी करता है।
पहले कभी उन राजाओं का कोई हरकारा आता था तो उसके आते-जाते वह अल्प वसन्त बीत जाता था। कभी कोई जोरावर सिंह जैसा आता था तो स्पीति का तरीका वही था जो तुपचिलिंग गोनपा में मैंने देखा। जब डायनामाइट का विस्फोट हुआ तो लाहुली हदस कर, आँख बन्द कर, चाँग्मा का तना पकङ या एक-दूसरे को पकङकर बैठ गए। जब धमाका गुजर गया तो फिर डरते-डरते आँख खोलकर उठे। जोरावर सिंह के आक्रमण के समय स्पीति के लोग घर छोङकर भाग गए। उसने स्पीति को और वहाँ के विहारों को लूटा। यह अप्रतिकार शायद स्पीति की सुरक्षा की पद्धति है।

1. लाहुली किसे कहा गया है?
(अ) लाहुल के निवासियों को✔️ (ब) हिमाचल प्रदेश के निवासियों को
(स) पहाङी लोगों को (द) इनमें से कोई नहीं

2. लाहुल और स्पीति के आपस में जुङने का माध्यम है-
(अ) टेलीविजन (ब) मोबाइल
(स) वायरलेस सेट✔️ (द) ये सभी

3. लाहुल-स्पीति का भूगोल अलंघ्य क्यों है?
(अ) क्योंकि केलंग का बादशाह खतरनाक है
(ब) क्योंकि काजा का सूबेदार किसी से नहीं डरता
(स) क्योंकि यहाँ ऊँचे दर्रे और कठिन रास्ते हैं
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं

4. कौन-सा कथन असत्य है?
(अ) स्पीति हमेशा स्वतन्त्र रहा है
(ब) शीत ऋतु में लाहुल-स्पीति के बीच की दूरी तय करना असम्भव है
(स) स्पीति के लोगों ने हमेशा आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया✔️
(द) डायनामाइट के विस्फोट से स्पीति के निवासी डर गए

5. ’अप्रतिकार’ का अर्थ है-
(अ) एकता का अभाव (ब) प्रतिरोध करना
(स) बदला नहीं लेना✔️ (द) प्रतिरोध के लिए उत्सुक

6. प्रस्तुत गद्यांश में किस ऋतु की चर्चा नहीं की गई है?
(अ) शीत (ब) वसन्त
(स) ग्रीष्म✔️ (द) इनमें से कोई नहीं

7. ’’उसने स्पीति को और वहाँ के विहारों को लूटा।’’ इस वाक्य में रेखांकित शब्द है-
(अ) सम्बन्धवाचक सर्वनाम✔️ (ब) पुरुषवाचक सर्वनाम
(स) निजवाचक सर्वनाम (द) अनिश्चयवाचक सर्वनाम

8. ’अलंघ्य’ का तात्पर्य है-
(अ) जिसे लांघा नहीं जा सके✔️ (ब) अलग-थलग
(स) अलग (द) अलगाव

9. स्पीति की स्वायत्तता, इसकी और इसके संहार का कारण है-
(अ) स्पीतिवासियों का शान्तिप्रिय होना
(ब) स्पीति का भूगोल✔️
(स) स्पीति का शानदार इतिहास
(द) स्पीति का वैभव

हिंदी गद्यांश-22 (Hindi Apathit Gadyansh-22)

सन् 1936 के लगभग की बात है। मैं पूर्वक्रमानुसार कौशाम्बी गया हुआ था। वहाँ का काम निबटाकर सोचा कि दिनभर के लिए पसोवा हो आऊँ। ढाई मील तो है। सौभाग्य से गाँव में कोई सवारी इक्के पर आई थी। उस इक्के को ठीक कर लिया और पसोवे के लिए रवाना हो गया। पसोवा एक बङा जैन तीर्थ है। वहाँ प्राचीन काल से प्रतिवर्ष जैनों का एक बङा मेला लगता है जिसमें दूर-दूर से हजारों जैन यात्री आकर सम्मिलित होते हैं। यह भी कहा जाता है कि इसी स्थान पर एक छोटी-सी पहाङी थी जिसकी गुफा में बुद्धदेव व्यायाम करते थे। वहाँ एक विषधर सर्प भी रहता था।
यह भी किंवदन्ती है कि इसी के सन्निकट सम्राट अशोक ने एक स्तूप बनवाया था जिसमें बुद्ध के थोङे से केश और नखखण्ड रखे गए थे। पसोवेे में तूप और व्यायामशाला के तो कोई चिह्न अब शेष नहीं रह गए, परन्तु वहाँ एक पहाङी अवश्य है। पहाङी का होना इंगित करता है कि यह स्थान वही है।
मैं कहीं जाता हूँ तो छूँछे हाथ नहीं लौटता। यहाँ कोई विशेष महत्त्व की चीज तो नहीं मिली पर गाँव के भीतर कुछ बढ़िया मृण्मृर्तियाँ, सिक्के और मनके मिल गए। इक्के पर कौशाम्बी लौटा। एक दूसरे रास्ते से। एक छोटे-से गाँव के निकट पत्थरों के ढेर के बीच, पेङ के नीचे, एक चतुर्मुख शिव की मूर्ति देखी। वह वैसे ही पेङ के सहारे रखी थी जैसे उठाने के लिए मुझे ललचा रही हो। अब आप ही बताइए, मैं करता ही क्या? यदि चन्द्रायण व्रत करती हुई बिल्ली के सामने एक चूहा स्वयं आ जाए तो बेचारी को अपना कर्तव्य पालन करना ही पङता है। इक्के से उतरकर इधर-उधर देखते हुए उसे चुपचाप इक्के पर रख लिया। 20 सेर वजन में रही होगी। ’न कूकुर भूँका, न पहरू जागा।’ मूर्ति अच्छी थी। पसोवे से थोङी सी चीजों के मिलने की कमी इसने पूरी कर दी। उसे लाकर नगरपालिका में संग्रहालय से सम्बन्धित एक मण्डप के नीचे अन्य मूर्तियों के साथ रख दिया।

1. कौशाम्बी है-
(अ) एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ (ब) एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल
(स) पसोवा से ढाई मील दूर✔️ (द) इनमें से कोई नहीं

2. लेखक ने चतुर्मुख शिव की मूर्ति कहाँ देखी?
(अ) कौशाम्बी में
(ब) पसोवा में
(स) न तो कौशाम्बी में न ही पसोवा में
(द) किसी गाँव में✔️

3. ’छूँछे हाथ नहीं लौटना’ का तात्पर्य है-
(अ) छुआछूत वाले हाथ के साथ नहीं लौटना
(ब) खाली हाथ नहीं लौटना✔️
(स) छूकर लौटना
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं

4. ’चतुर्मुख’ में कौन-सा समास है?
(अ) द्विगु✔️ (ब) द्वन्द्व
(स) तत्पुरुष (द) कर्मधारय

5. ’यहाँ कोई विशेष महत्त्व………कुछ बढ़िया मृण्मूर्तियाँ……..’वाक्य में रेखांकित शब्द है-
(अ) अनिश्चयवाचक सर्वनाम✔️ (ब) निश्चयवाचक सर्वनाम
(स) सम्बन्धवाचक सर्वनाम (द) पुरुषवाचक सर्वनाम

6. ’किंवदन्ती’ का तात्पर्य है-
(अ) क्यों बोलते हो (ब) कभी बोला गया था
(स) कहा जाता है✔️ (द) सुना है

हिंदी गद्यांश-23 (Hindi Apathit Gadyansh-23)

आचार्य शुक्ल हिन्दी आलोचना और साहित्य के आधार स्तम्भ हैं। उन्होंने हिन्दी आलोचना को आधुनिक बनाने में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। शास्त्र और द्विवेदी युगीन कोरे रचनाकर से सन्दर्भ से हटकर उन्होंने रचना को अपने विवेचन का केन्द्र बिन्दु बनाया, जिसके लिए इतिवृत्त कथन से आगे संश्लिष्ट छायावादी विधान में अपने को प्रस्तुत किया। रामचन्द्र शुक्ल न संस्कृत के पाण्डित थे और न उनके पास अंग्रेजी की डिग्री थी। अपनी मानसिकता बनाने में उन पर कोई दबाव न था, यों इन दोनों प्रतिष्ठित भाषाओं का ज्ञान उन्हें था कि उनसे काम भर की सामग्री बराबर ले सकते थे। अंग्रेजी में तो वे तत्कालीन प्रसिद्ध पत्रों में लिखते भी थे और उससे उन्होंने अनुवाद भी कई प्रकार के किए थे। अंग्रेजी के अलावा कुछ थोङा अनुवाद बंगला से किया था, पर संस्कृत-ज्ञान उनका शायद ऐसा व्यवस्थित न था कि वहाँ से कुछ अनुवाद करते।
आचार्य शुक्ल की सबसे बङी विशेषता यह है कि उन्होंने अपने आलोचनात्मक लेखन के इतिहास में कहीं साहित्येत्तर मानदण्ड स्वीकार नहीं किए। उनकी प्रिय रचना तुलसी कृत रामचरितमानस रही। अधिकतर उसी में से उन्होंने अपने काव्य-मूल्य विकसित किए, जिस रचना के बारे में स्वयं कवि ने कहा है, ’’एहि महैं रघुपति नाम उदार।’’ विलक्षण बात यह है कि इसके बावजूद अध्यात्म को काव्य और कला के विवेचन में कहीं प्रासंगिक नहीं माना अपने प्रसिद्ध आलोचनात्मक निबन्ध काव्य में लोकमंगल ही साधनावस्था में वे लिखते हैं, ’’अध्यात्म शब्द ही मेरी समझ और कला के क्षेत्र में कोई कहीं जरूरत नहीं है।’’ दूसरी ओर निरे उपयोगितावाद क लोकमंगल की साधनावस्था में वे लिखते हैं, ’’अध्यात्म शब्द की मेरी समझ में काव्य और कला के क्षेत्र में कोई कहीं जरूरत नहीं है।’’ दूसरी ओर निरे उपयोगितावाद की कसौटी भी वे अस्वीकार कर देते हैं। अपने चिन्तन के केन्द्रीय निबन्ध ’कविता क्या है’ में वे स्पष्ट कहते हैं, ’’सुन्दर और कुरूप काव्य में दो ही पक्ष है भला-बुरा, शुभ-अशुभ, पाप-पुण्य, मंगल-अमंगल, उपयोगी-अनुपयोगी।’’ इस प्रकार अध्यात्म और उपयोगितावाद दोनों ओर के दबाव से रचना को मुक्त करके, उसे उन्होंने स्वायत्त रूप में प्रतिष्ठित किया। इस प्रकार आचार्य शुक्ल के काव्य विवेचन में रचना की स्वायत्त सत्ता है, न वह अध्यात्म से बाँधित है और न उपयोगितावाद से। पर दूसरी ओर वह अपने रचनाकार और समज से स्वतन्त्र नहीं है।

1. यदि काव्य का एक पक्ष सुन्दर है, तो दूसरा पक्ष-
(अ) बुरा (ब) अमंगल
(स) अनुपयोगी (द) कुरूप✔️

2. शुक्ल जी के चिन्तन का केन्द्रीय निबन्ध है-
(अ) कुटज (ब) कविता क्या है✔️
(स) दोनों (द) इनमें से कोई नहीं

3. रामचन्द्र शुक्ल-
(अ) अंग्रेजी के विद्वान थे
(ब) संस्कृत के विद्वान थे✔️
(स) को अंग्रेजी एवं संस्कृत की कामचलाऊ जानकारी थी
(द) अंग्रेजी एवं संस्कृत से लगाव नहीं रखते थे

4. कौन-सा कथन असत्य है?
(अ) रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी आलोचना को आधुनिक बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई
(ब) शुक्ल जी की प्रिय रचना ’रामचरितमानस’ थी
(स) शुक्ल जी हिन्दी के अतिरिक्त किसी भी भाषा में लिखने में अक्षम थे✔️
(द) शुक्ल जी अपने समकालीन पत्र-पत्रिकाओं में भी लिखते थे

5. शुक्ल जी ने अपने अधिकतिर काव्यमूल्य किससे विकसित किए?
(अ) अपने परिश्रम (ब) रामचरितमानस✔️
(स) तुलसीदास (द) सूरदास

6. ’साधनावस्था’ का सन्धि-विच्छेद है-
(अ) साधन + अवस्था (ब) साधना + अवस्था✔️
(स) साधना + आवस्था (द) साधना + वस्था

7. रामचन्द्र शुक्ल किस भाषा में लिखते थे?
(अ) हिन्दी में (ब) संस्कृत में
(स) हिन्दी एवं अंग्रेजी में✔️ (द) हिन्दी एवं संस्कृत में

8. ’लोकमंगल’ में कौन-सा समास है?
(अ) बहुब्रीहि (ब) तत्पुरुष ✔️
(स) कर्मधारय (द) द्वन्द्व

9. शुक्ल जी ने रचना को स्वायत्त रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए क्या किया?
(अ) उसे अध्यात्म और उपयोगितावाद के दबाव से मुक्त किया✔️
(ब) उसमें रामचरितमानस की बातें लिखी
(स) तुलसीदास जी से सहयोग लिया
(द) सूरदास जी से सहायता प्राप्त का

हिंदी गद्यांश-24 (Hindi Apathit Gadyansh-24)

यह सर्वविदित है कि मानवता का सबसे घोर शत्रु विज्ञान नहीं वरन् युद्ध है, विज्ञान मात्र विद्यमान सामाजिक शक्तियांे को प्रतिबिम्बित करता है, स्पष्टता विज्ञान शान्ति के दौर में रचनात्मक होता है और युद्धकाल में यही विनाश का रूप ले लेता है, प्रायः विज्ञान द्वारा प्रदत्त अस्त्र युद्ध के लिए जिम्मेदार नहीं है, हालाँकि वे युद्ध को अत्यधिक भयावह बना सकते हैं, अभी तक ये अस्त्र हमें विनाश के कगार तक ले आए हैं। अतः हमारी मुख्य समस्या विज्ञान को प्रतिबन्धित करना नहीं बल्कि युद्ध रोकना है। बल प्रयोग के स्थान पर विधि एवं राष्ट्रों के पारस्परिक सम्बन्धों में अराजकता के स्थान पर अन्तर्राष्ट्रीय सरकार की स्थापना करना है। ऐसे प्रयास में सभी लोगों की भागीदारी आवश्यक है जिनमें वैज्ञानिक भी शामिल हैं। अब हमारे समक्ष यह प्रश्न मुँह खोले खङा है क्या शिक्षा एवं सहिष्णुता, सौहार्द एवं रचनात्मक सोच हमारी विनाशकारी क्षमताओं के साथ जारी प्रतिस्पद्र्धा में कभी जीत सकती है?
यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर किसी भी कीमत पर हमें इस पीढ़ी में अवश्य ही ढूँढ़ना होगा। विज्ञान को हमें समाधान ढूँढ़ने में सहायता करनी होगी, परन्तु प्रमुख निर्णय की क्षमता हम सभी को स्वयं विकसित करनी होगी।

1. मानवता का वास्तविक शत्रु विज्ञान नहीं बल्कि युद्ध है, क्योंकि-
(अ) विज्ञान मात्र अस्त्रों का आविष्कार करता है जिससे युद्ध लङे जाते हैं
(ब) विज्ञान युद्धकाल में विनाशकारी हो जाता है
(स) विज्ञान द्वारा आविष्कृत अस्त्र ही युद्ध के असली कारण हैं
(द) विज्ञान द्वारा आविष्कृत अस्त्र मात्र ही युद्ध के कारण नहीं हैं, यद्यपि इनके द्वारा घोर विनाश निश्चित है✔️

2. युद्ध रोका जा सकता है यदि-
(अ) विज्ञान को समूल विनाश की अनुमति न दी जाए
(ब) विधि एवं अन्तर्राष्ट्रीय कूटनीति द्वारा हम बल प्रयोग एवं अराजकता के ऊपर नियन्त्रण पा सके✔️
(स) विज्ञान की सुविधाओं का प्रयोग मात्र युद्धकाल में ही हो
(द) विज्ञान द्वारा आविष्कृत अस्त्र घोषित करने के लिए प्रयुक्त न हों

3. प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार हमारी समस्या है-
(अ) विज्ञान को सामाजिक शक्तियों का प्रतिबिम्ब बनाने से रोकना
(ब) वैज्ञानिक गतिविधियों को सर्वत्र प्रतिबन्धित करना
(स) युद्ध समाप्ति सुनिश्चित करना✔️
(द) वैज्ञानिकों को विनाशकारी गतिविधियों से रोकना

4. विनाशकारी प्रवृत्तियों को नियन्त्रित करने हेतु क्या आवश्यक है?
(अ) सामाजिक शक्तियों को प्रोत्साहित करना
(ब) शिक्षा और सौहार्द
(स) अन्तःदृष्टि एवं रचनात्मक-चिन्तन
(द) ब एवं स दोनों✔️

5. ’’विनाश की दहलीज पर खङा करना’’ का क्या तात्पर्य है?
(अ) मृत्यु और विनाश के समीप ले जाना✔️
(ब) नये भविष्य की दहलीज पर ले जाना
(स) विध्वंसकारी गतिविधियों में प्रवृत्त होना
(द) रहस्यमय भाग्य बतलाना

6. ’युद्धकाल’ में कौन-सा समास है?
(अ) कर्मधारय (ब) तत्पुरुष ✔️
(स) द्वन्द्व (द) बहुब्रीहि

हिंदी गद्यांश-25 (Hindi Apathit Gadyansh-25)

मोतीलाल चट्टोपाध्याय चैबीस परगना जिले में काँचङपाङा के पास मामूदपुर के रहने वाले थे। उनके पिता बैकुण्डनाथ चट्टोपाध्याय सम्भ्रान्त राढ़ी ब्राह्मण परिवार के एक स्वाधीनचेता और निर्भीक व्यक्ति थे और वह युग था प्रबल प्रताप जमींदारों के अत्याचार का, लेकिन वे कभी किसी से दबे नहीं। उन्होंने सदा प्रजा का ही पक्ष लिया। इसीलिए एक दिन उनके क्रोध का शिकार हो गए। सुना गया कि एक दिन जमींदार ने उन्हें बुलाकर किसी मुकदमे में गवाही देने के लिए कहा। उन्होंने उत्तर दिया, ’’मैं गवाही कैसे दे सकता हूँ? उसके बारे में मैं कुछ भी नहीं जानता।’’
जमींदार ने कहा, ’’गवाही देने के लिए जानना जरूरी नहीं है।’’
झूठी गवाह आज भी दी जाती है। उस दिन भी दी जाती थी, लेकिन बैकुण्ठनाथ ने साफ इन्कार कर दिया। प्रबल प्रतापी जमींदार क्रुद्ध हो उठा।
कारण कुछ और भी हो सकता है। एक दिन अचानक वे घर से गायब हो गए। मोतीलाल तब बहुत छोटे थे। शिशु पुत्र को गोद में चिपकाए बैकुण्ठनाथ की पत्नी रात भर पति की राह देखती रही, लेकिन वे नहीं लौटे। सवेरा होते-होते एक आदमी ने आकर कहा, ’’बहू माँ…….बहू माँ, अनर्थ हो गया। बैकुण्ठनाथ को किसी ने मार डाला। उनका शव स्नानघाट पर पङा है।’’
बहू माँ की जैसे चीख निकल गई। हतप्रभ-विमूढ़ उन्होंने बालक को कसकर छाती से लगा लिया। वह न बोल सकती थीं और न बेहोश हो सकती थी। जमींदार का इतना आतंक था कि वह चिल्लाकर रो भी नहीं सकती थीं। उसका अर्थ होता, पुत्र से भी हाथ धो बैठना। गाँव के बङे-बूढ़ों की सलाह के अनुसार उसने जल्दी-जल्दी पति की अन्तिम क्रिया समाप्त की और रातोंरात देवानन्दपुर अपने भाई के पास चली गईं।

1. बैकुण्ठनाथ ने मुकदमे की गवाही देने से इन्कार क्यों कर दिया?
(अ) क्योंकि वे जमींदार का विरोध करना चाहते थे
(ब) क्योंकि वे मुकदमे के बारे में कुछ नहीं जानते थे और उन्हें जमींदार से डर नहीं लगता था
(स) क्योंकि वे गवाही देना नहीं जानते थे ✔️
(द) क्योंकि उन्हें मुकदमे में कोई रुचि नहीं थी

2. जमींदार के क्रोध का क्या कारण था?
(अ) बैकुण्ठनाथ का गवाही देने से इन्कार करना✔️
(ब) बैकुण्ठनाथ द्वारा जमींदार का अनादर करना
(स) बैकुण्ठनाथ द्वारा रिश्वत की बात कहना
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं

3. अपने पति की मृत्यु के बाद भी बहू माँ क्यों नहीं रोई?
(अ) क्योंकि वह अपने पुत्र को नहीं खोना चाहती थी✔️
(ब) क्योंकि उसे अपने पति से कोई मतलब नहीं था
(स) वह मृत्यु के बाद रोने-धोने में विश्वास नहीं करती थी
(द) वह एक सहनशील स्त्री थी

4. मोतीलाल के मामा कहाँ रहते थे?
(अ) कोलकाता में (ब) दिसपुर में
(स) काँचङपाङा में (द) देवानन्दपुर में✔️

5. कौन-सा कथन असत्य है?
(अ) झूठी गवाही आज भी दी जाती है
(ब) झूठी गवाही पहले भी दी जाती है
(स) निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि बैकुण्ठनाथ को मारने में जमींदार का ही हाथ था✔️
(द) काँचङपाङा में जमींदार का आतंक था

6. ’हाथ धो बैठना’ का अर्थ है-
(अ) हाथ धेाकर बैठना (ब) खो देना✔️
(स) हाथ धोना और बैठना (द) हाथ धोने के लिए बैठना

7. ’स्नानघाट’ में कौन-सा समास है?
(अ) तत्पुरुष ✔️ (ब) कर्मधारय
(स) द्वन्द्व (द) बहुब्रीहि

8. ’एक दिन अचानक वे घर से गायब हो गए।’ इस वाक्य में रेखांकित शब्द है-
(अ) निजवाचक सर्वनाम (ब) पुरुषवाचक सर्वनाम✔️
(स) अनिश्चयवाचक सर्वनाम (द) निजवाचक सर्वनाम

9. ’हतप्रभ’ का तात्पर्य है-
(अ) हताहत (ब) हतोत्साह
(स) हैरान✔️ (द) हिम्मत

हिंदी गद्यांश-26 (Hindi Apathit Gadyansh-26)

मैंने आज तक जिन अत्यन्त सच्चे एवं महान व्यक्तियों से मुलाकात की है, उनमें से एक सरदार दयाल सिंह मजीठिया थे। शायद उन्हें समझना एवं उनके हृदय की गहराइयों तक पहुँचना कठिन था, क्योंकि उनकी ख्याति एक तरह की अल्पभाषित प्रकृति की थी, जो उनकी प्रकृति में छिपे स्वर्ण को लोगों की निगाह से ओझल रखती थी। मैं जिस कार्य के लिए उनके पास गया था, उसमें उन्होंने अपनी सक्रियता स्वयं की दर्शाई। मैंने उनसे लाहौर में एक समाचार-पत्र शुरू करने के लिए आग्रह किया। मैंने उनके लिए कलकत्ता में ट्रिब्यून समाचार-पत्र के लिए पहला प्रेस खरीदा और उन्होंने मुझे पहले सम्पादक का चुनाव करने की जिम्मेदारी सौंपी। मैंने उस पद के लिए ढ़ाका के शीतला कान्त चटर्जी के नाम की सिफारिश की और पहले सम्पादक के रूप में उनके सफल कैरियर ने मेरे चुनाव को बहुत अधिक न्यायोचित ठहराया। उनकी निर्भीकता, प्रत्येक वस्तु की गहराई से परख करने, बुद्धि और इससे भी बढ़कर, अपने उद्देश्य के प्रति उनकी सर्वोकृष्ट ईमानदारी, जो भारतीय पत्रकारिता की सबसे पहली और अन्तिम योग्यता है, ने शीघ्र ही उन्हें उन लोगों की श्रेणी की प्रथम पंक्ति में ला खङा किया, जो अपनी लेखनी को अपने देश के हित की रक्षा करने के लिए चलाते हैं। ट्रिब्यून शीघ्र ही लोक-भावना का एक सशक्त माध्यम बन गया, शायद अब यह पंजाब में सर्वाधिक प्रभावशाली भारतीय जर्नल है और इसका सम्पादन एक ऐसे महापुरुष द्वारा किया जा रहा है, जो अपने कैरियर के शुरुआती दिनों में मेरे साथ बंगाली के कार्यकर्ता के रूप में संलग्न रहे।

1. सरदार दयाल सिंह मजीठिया कौन थे?
(अ) एक सम्पादक
(ब) ट्रिब्यूल समाचार-पत्र के मालिक✔️
(स) एक पत्रकार
(द) स्वतन्त्रता सेनानी

2. ट्रिब्यून समाचार-पत्र के पहले सम्पादक कौन थे?
(अ) सरदार दयाल सिंह मजीठिया
(ब) महात्मा गाँधी
(स) शीतला कान्त चटर्जी✔️
(द) जवाहरलाल नेहरू

3. लोक-भावना का एक सशक्त माध्यम कौन बना?
(अ) ट्रिब्यून✔️
(ब) समाचार-पत्र
(स) सरदार दयाल सिंह मजीठिया
(द) लेखक

4. प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार भारतीय पत्रकारिता की सबसे पहली और अन्तिम योग्यता है?
(अ) अपने देश के हित की रक्षा
(ब) अपने उद्देश्य के प्रति ईमानदारी✔️
(स) निःस्वार्थ सेवा-भावना
(द) निर्भीकता

5. पहले सम्पादक का चुनाव करने की जिम्मेदारी किसकी थी?
(अ) लेखक की✔️ (ब) सरदार दयाल सिंह मजीठिया की
(स) ट्रिब्यून की (द) इनमें से कोई नहीं

6. ’महापुरुष’ में कौन-सा समास है?
(अ) कर्मधारय ✔️ (ब) तत्पुरुष
(स) द्वन्द्व (द) अव्ययीभाव

हिंदी गद्यांश-27 (Hindi Apathit Gadyansh-27)

जाकिर साहब से मिलने के लिए समय प्राप्त करने में देर नहीं लगती थी। एक बार मेरी एक सहेली ऑस्ट्रेलिया से भारत की यात्रा करने आई। अपने देश में वे भारतीयों की शिक्षा के लिए धन एकत्र किया करती थी। एक भारतीय को उन्होंने गोद भी ले लिया था। जाकिर साहब ने तुरन्त मिलने का समय दिया और देर तक बैठ उनसे, उनके कार्य, उनकी यात्रा के बारे में सुनते रहे। हिन्दी सीखने के बारे में एक बार जब उनसे प्रश्न किया गया, तो उन्होंने कक्षा ’’मेरे परिवार के एक बच्चे ने जब गाँधीजी से ऑटोग्राफ माँगा, तो उन्होंने अपने हस्ताक्षर उर्दू में किए। उसी दिन से मैंने अपने मन में निश्चय कर लिया कि हिन्दी भाषियों को अपने हस्ताक्षर हिन्दी में ही दिया करुँगा। एक बार रामलीला में जनता ने उनसे रामचन्द्रजी का तिलक करने के लिए कहा। जाकिर साहब ने खुशी से तिलक कर दिया। कुछ उर्दू अखबारों ने ऐतराज किया। जाकिर साहब ने जवाब दिया ’इन नादानों को मालूम नहीं है कि मैं भारत का राष्ट्रपति हूँ किसी खास धर्म का नहीं।’
1. सहेली ने ऑस्ट्रेलिया में किसे गोद लिया?
(अ) भारतीय बच्चे को✔️ (ब) जाकिर साहब के बच्चे को
(स) किसी को गोद नहीं लिया (द) इनमें से कोई नहीं

2. जब बच्चे द्वारा गाँधीजी से ऑटोग्राफ माँगा गया, तो उन्होंने किस भाषा में हस्ताक्षर किए?
(अ) हिन्दी में (ब) अंग्रेजी में
(स) उर्दू में✔️ (द) पंजाबी में

3. रामलीला में रामचन्द्र का तिलक करना किस बात का प्रतीक है?
(अ) सर्व धर्म समान न होना (ब) सभी धर्मों के प्रति आदर✔️
(स) साम्प्रदायिक भावना (द) धार्मिक भावना

4. ऐतराज शब्द का शब्दार्थ है-
(अ) विपत्ति (ब) सम्पत्ति
(स) आपत्ति✔️ (द) समारोह

5. सहेली ऑस्ट्रेलिया में क्या काम करती थी?
(अ) हिन्दी का प्रचार
(ब) छात्रों को पढ़ाना
(स) भारतीयों  की शिक्षा के लिए पैसे एकत्र करना✔️
(द) ऑस्ट्रेलिया का दौरा करती थी

6. ’धर्म’ का विलोम शब्द है-
(अ) पाप (ब) कुशासन
(स) अधर्म✔️ (द) अन्याय

7. जाकिर हुसैन कौन थे?
(अ) ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमन्त्री (ब) भारत के राष्ट्रपति
(स) भारत के प्रधानमन्त्री✔️ (द) इनमें से कोई नहीं

8. ’गोद लेना’ का अर्थ है-
(अ) अपनी सन्तान बना लेना✔️ (ब) गोद में खिलाना
(स) हाथों में भर लेना (द) इनमें से कोई नहीं

9. लेखिका की सहेली निम्नलिखित में से किस देश से सम्बन्धित है?
(अ) ऑस्ट्रिया (ब) न्यूजीलैण्ड
(स) ऑस्ट्रेलिया✔️ (द) सिंगापुर

हिंदी गद्यांश-28 (Hindi paragraph-28)

नन्हीं-सी नदी हमारी टेढ़ी-मेढ़ी धार, गर्मियों में घुटने भर भिगों कर जाते पार।
पार जाते ढोर-डंगर बैलगाङी चालू, ऊँचे है किनारे इसके, पाट इसका ढालू।
पेटे में झकाझक बालू कीचङ का न नाम, काँस फूले एक पार उजले जैसे घाम।
दिन भर किचपिच-किचपिच करती मैना डार-डार, रातों को हुआँ-हुआँ कर उठते सियार।
– रवीन्द्रनाथ ठाकुर

1. शब्द ’ढोर-डंगर से तात्पर्य है-
(अ) ग्रामवासी (ब) तैराक
(स) पक्षी (द) मवेशी✔️

2. नन्हीं-सी नदी के किनारे कैसे हैं?
(अ) चिकने (ब) उजले
(स) ऊँचे✔️ (द) कीचङ से भरे हुए

3. कविता का उपयुक्त शीर्षक हो सकता है-
(अ) वर्षा ऋतु (ब) हमारी नदी✔️
(स) बसन्त ऋतु (द) हमारा गाँव

4. शब्द ’धाम’ का अर्थ क्या होगा?
(अ) निवास (ब) धूप✔️
(स) दिन (द) आश्रम

5. ’किचपिच-किचपिच करती मैना’ से तात्पर्य है?
(अ) मैना का शोर मचाना (ब) मैना का चहकना✔️
(स) मैना का गाना गाना (द) इनमें से कोई नहीं

6. कवि ने ’काँस’ की तुलना किससे की है?
(अ) पानी (ब) नदी
(स) धूप✔️ (द) रेत

हिंदी गद्यांश-29 (Hindi paragraph-29)

दैन्य दुःख अपमान ग्लानि
चिर क्षुसित पिपासा, मृत अभिलाषा
बिना आय की क्लांति बन रही
उसके जीवन की परिभाषा
जङ अनाज के ढेर सदृश ही
वह दिन-भर बैठा गद्दी पर
बात बात पर झुठ बोलता
काॅडी-की स्पर्धा में मर-मर।
फिर भी क्या कुटुम्ब पलता है?
रहते स्वच्छ सुधर सब परिजन?
बना पा रहा है वह पक्का घर?
मन में सुख है? जुटता है धन?
खिसक गई कन्धों से कथङी
ठिठुर रहा सब सर्दी से तन,
सोच रहा बस्ती का बनिया
घोर विवशता का निज कारण।

1. इस पद्यांश में किस समस्या का वर्णन किया गया है?
(अ) बाल मजदूरी (ब) आतंकवाद
(स) प्रदूषण (द) गरीबी✔️

2. इस पद्यांश में ’बस्ती के बनिए’ की समानता किससे स्थापित की गई है?
(अ) कथङी से✔️ (ब) धन से
(स) कौङी से (द) जङ अनाज के ढेर से

3. ’मृत’ का विलोम है-
(अ) स्वस्थ (ब) सन्तोष
(स) जीवन (द) जीवित✔️

4. इनमें से कौन-सा शब्द ’अभिलाषा’ का पर्याय नहीं है?
(अ) मनोरथ (ब) आकांक्षा
(स) लालसा (द) दंभ✔️

5. ’जङ’ का विलोम होता है-
(अ) पेङ (ब) चेतन✔️
(स) खुशी (द) स्वच्छ

6. अपमान में उपसर्ग है-
(अ) मान (ब) सम्मान✔️
(स) अ (द) अप

हिंदी गद्यांश-30 (Hindi paragraph-30)

देशभक्ति के गीतों की परम्परा में महेन्द्र कपूर का नाम महत्त्वपूर्ण है। जब भी हम महेन्द्र कपूर का जिक्र करते हैं, तो हमारे मन में उनकी छवि देशराग के एक अहम् गायक के रूप में कौंधती है। यह सच है कि देशभक्ति और परम्परागत मूल्यों के जितने लोकप्रिय अनूठे गाने महेन्द्र कपूर ने गाए हैं उतनी संख्या में उतने श्रेष्ठ गाने दूसरे गायक ने नहीं गाए होंगे। महेन्द्र कपूर के नाम का स्मरण करते ही हमारे जेहन में एक ऐसे गायक की छवि कौंध जाती है तो मद्धिम स्वरों में भी उतनी ही खूबसूरती से गाता है जितना की ऊँचे सुरो में। एक ऐसा गायक जिसका नाम लेते ही हमारे मन में एक साथ तमाम वे गीत आने-जाने लगते हैं जिनका देश से वास्ता होता है, जिनका मान-मर्यादा से वास्ता होता है, जिनका संस्कारों से वास्ता होता है। महेन्द्र कपूर न सिर्फ गायक बल्कि एक ऐसी शख्सियत हैं जिनकी छवि बेहद सहज और शालीन इन्सान की है। वे बेहद अनुशासन के साथ अपने सुरों को साधते हैं। सचमुच वे दिलांे को जीत लेते हैं, जब वे गर्व से कहते हैं-जीते हैं तुमने देश तो क्या हमने तो दिलों को जीता है।
1. अनुशासन में उपसर्ग है-
(अ) शासन (ब) सन
(स) अन् (द) अनु✔️

2. महेन्द्र कपूर की छवि किस प्रकार की है?
(अ) सहज व्यक्त (ब) शालीन व्यक्ति
(स) देशभक्ति गीत✔️ (द) इनमें से कोई नहीं

3. वे गीत जिनका देश से वास्ता होता है, कहलाते हैं-
(अ) राष्ट्रीय गीत (ब) कोमल स्वर
(स) देशभक्ति गीत✔️ (द) इनमें से कोई नहीं

4. शब्द ’देशभक्त’ में प्रयुक्त समास है-
(अ) अव्ययीभाव (ब) कर्मधारय
(स) द्वन्द्व (द) तत्पुरुष ✔️

5. इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए-
(अ) गायक (ब) महेन्द्र कपूर
(स) यशस्वी गायक (द) देशभक्त गायक✔️

6. ’मद्धिम स्वर’ का तात्पर्य है-
(अ) धीमे स्वर (ब) गम्भीर स्वर
(स) ढीले स्वर (द) कोमल स्वर✔️

7. ’शख्सियत’ का तात्पर्य है-
(अ) आदमीयत (ब) इन्सानियत
(स) व्यक्तित्व✔️ (द) मानवीयता

8. महेन्द्र कपूर ने किस तरह के गाने गाए हैं?
(अ) परम्परागत (ब) संस्कारों से युक्त
(स) रूमानी (द) देशभक्ति से ओतप्रोत✔️

9. ’जिक्र’ का प्रर्याय होगा-
(अ) वर्णन (ब) विवरण
(स) चर्चा✔️ (द) अवसर

हिंदी गद्यांश-31 (Hindi paragraph-31)

सिमी एक मादा पिल्ला थी। वह बङी आकर्षक थी। आशा को वह एक पार्क में रोती हुई मिली थी। जब उसने उसे ऊपर उठाया तो सिमी ने रोना बन्द कर दिया और उसे देखने लगी। आशा को उसका देखना अच्छा लगा और उसने उसे घर ले जाने का निश्चय कर लिया। उसकी माँ ने भी इस विचार को मान लिया। उन दोनों ने उसका नाम रखा ’सिमी’ और उसे खुशी-खुशी घर ले आए।
अभी तक उस मादा पिल्ले को किसी ने कुछ नहीं सिखाया था। इसलिए आशा ने सोचा कि वह उसे सिखाएगी। अगली सुबह वह सिमी को बाहर ले गई और उसे कुछ बातें सिखाई। सिखाने वाले को कुछ कठोर होना ही पङता है। इसलिए जब उसने बात नहीं मानी तो उसने उसे दण्ड दिया और जब वह जो चाहती, कर दिखाया तो उसे इनाम दिया। एक सप्ताह के भीतर ही सिमी एक अच्छी सभ्य पिल्ला बन गई।

1. पिल्ले का नाम ’सिमी’ किसने रखा?
(अ) आशा की सहेली ने (ब) पिल्ले की माँ ने
(स) आशा और उसकी माँ ने✔️ (द) आशा ने

2. पिल्ले को सभ्य बनने में कितना समय लगा?
(अ) एक दिन (ब) दो सप्ताह
(स) एक सप्ताह (द) दो दिन

3. पंक्ति ’सिखाने वाले को कुछ कठोर होना ही पङता है’ में कठोर शब्द से पर्याय है-
(अ) आकर्षक (ब) शिक्षक
(स) अनुशासित✔️ (द) मजबूत

4. ’आकर्षक’ शब्द का समानार्थी शब्द है-
(अ) मनपसन्द (ब) लुभावना✔️
(स) सुन्दर (द) सभ्य

5. शब्द ’सुबह’ का पर्यायवाची है-
(अ) भोर (ब) प्रातःकाल
(स) सूर्योदय (द) ये सभी✔️

6. आशा सिमी को घर ले आई, क्योंकि उसे-
(अ) उस पर तरस आ गया
(ब) एक पिल्ले की जरूरत थी
(स) उसका देखना अच्छा लगा✔️
(द) कुत्तों की चाहत थी

7. ’’उसने बात नहीं मानी’’ यहाँ ’उसने’ का अर्थ है-
(अ) पिल्ले ने✔️ (ब) आशा की माँ ने
(स) आशा ने (द) कहानी सुनाते वाले ने

8. ’इनाम’ विपरीतार्थक शब्द क्या है?
(अ) दण्ड✔️ (ब) डाँट-फटकार
(स) प्रोत्साहन (द) भेंट

9. ’’वह जो चाहती थी, कर दिखाया………उपरोक्त के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ठीक है?
(अ) अनुकरण (ब) उठाना
(स) प्रदर्शन (द) आज्ञापालन✔️

हिंदी गद्यांश-32 (Hindi paragraph-32)

एक पढ़क्कू बङे तेज थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे,
जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नई बात गढ़ते थे।
एक रोज वे पङे फ्रिक में समझ नहीं कुछ पाए,
’’बैल घूमता है कोल्हू में कैसे बिना चलाए।’’
कई दिनों तक रहे सोचते, मालिक बङा गजब है?
सिखा बैल को रक्खा इसने, निश्चय कोई ढब है।
आखिर, एक रोज मालिक से पूछा उसने ऐसे,
’’अजी, बिना देखे, लेते तुम जान भेद यह कैसे?

1. ’ढब’ शब्द का पर्यायवाची है-
(अ) क्रिया (ब) रीति✔️
(स) तुच्छ (द) भेद

2. पढ़क्कू बहुत तेज थे, क्योंकि वह-
(अ) बहुत बुद्धिमान थे (ब) बहुत शैतान थे
(स) तर्कशास्त्र पढ़ते थे✔️ (द) नई बात गढ़ते थे

3. आपके अनुसार, इस कविता का नायक कौन है?
(अ) मालिक (ब) बैल
(स) पढ़क्कू✔️ (द) इनमें से कोई नहीं

4. ’फिक्र’ शब्द का सही अर्थ नहीं है-
(अ) फेर (ब) चिन्ता
(स) सोच (द) भ्रम✔️

5. ’तर्कशास्त्र’ में प्रयुक्त समास है-
(अ) अव्ययीभाव (ब) तत्पुरुष ✔️
(स) कर्मधारय (द) बहुब्रीहि

6. ’निश्चय’ का विपरीतार्थक शब्द है-
(अ) सम्भव (ब) मुश्किल
(स) असम्भव (द) अनिश्चय ✔️

हिंदी गद्यांश-33 (Hindi paragraph-33)

हमारी आन का झण्डा, भरा अभिमान है इसमें
हमारे प्राण का झण्डा, भरा बलिदान है इसमें।
हमारी प्रेरणा का बल, सबल यह राष्ट्र का गौरव।
इसी हित शंख फूँका था, हिमालय शृंग से भैरव।
हरा है देश का अंचल, भरा है धवल गंगाजल।
राष्ट्र के केसरी हैं हम, अशोक चक्र के संबल।
अहिंसा, सत्य, निष्ठा का तिरंगा मर्म बतलाता
उचित है देश-सेवा और समन्वय कर्म, समझाता।
कभी दुनिया में औरों का नहीं हम छीन कर खाएँ
हमारे देश का झण्डा कभी झुक नहीं पाए।

1. ’कभी दुनिया में औरों का नहीं हम छीनकर खाएँ’-
(अ) हम ईमानदारी से जीवन बिताएँ
(ब) हम अपने कमाए धन पर सन्तोष करें✔️
(स) किसी पर अन्याय न करें
(द) दूसरे के धन पर लालची दृष्टि न रखें

2. ’गौरव’ शब्द का पर्यायवाची है-
(अ) गौर वर्ण (ब) गोरापन
(स) पार्वती (द) सम्मान✔️

3. राष्ट्रीय झण्डा प्रतीक नहीं है-
(अ) स्वाभिमान का (ब) बलिदान का✔️
(स) आन का (द) अहंकार का

4. झण्डे को प्रेरणा का बल किसलिए कहा गया है?
(अ) देशवासियों में प्रेम-भाव जगाने के कारण
(ब) उन्हें सत्कार्यों की प्रेरणा देने के कारण
(स) राष्ट्रहित के भाव जगाने के कारण✔️
(द) हिमालय के शिखर से प्रेरणा के वचन कहने के कारण

5. ’हरा है देश का अंचल’ पंक्ति में ’हरा’ शब्द वाचक है-
(अ) देश की समृद्धि का (ब) देश के प्राकृतिक सौन्दर्य का
(स) खेतांे की हरियाली का✔️ (द) राष्ट्रीय गौरव का

6. संबल में उपसर्ग है-
(अ) बल (ब) स✔️
(स) सब (द) इनमें से कोई नहीं

हिंदी गद्यांश-34 (Hindi paragraph-34)

तुम सुबह से रात तक अपने आस-पास अनेक परिवर्तन होते हुए देखते हो। ये परिवर्तन तुम्हें घर, विद्यालय, खेल के मैदान अथवा किसी अन्य स्थान पर दिखाई देते हैं। उदाहरण के लिए, तुम्हें कुछ ऐसे परिवर्तन दिखाई देते है, जैसे मौसम में आकस्मिक परिवर्तन, वर्षा, पौधों पर फूल आना, बीजों का अंकुरित होना, फलों का पकना, वस्त्रों का सूखना, दिन-रात में परिवर्तन, बर्फ का पिघलना, पानी का भाप बनना, ईंधन का जलना, चावल को पकाना, दूध से दही का बनना, लोहे में जंग लगना, आतिशबाजी का जलना आदि। परिवर्तन से वस्तुओं में विभिन्न प्रकार के प्रत्यावर्तन भी हो सकते हैं: जैसे स्थिति, आकृति, आकार, रंग, अवस्था, तापमान, बनावट तथा संरचना में बदलाव। परिवर्तन का सदैव कोई-न-कोई कारण होता है।

1. उपरोक्त गद्यांश के लिए कौन-सा शीर्षक सबसे अधिक उपयुक्त है?
(अ) परिवर्तन के कारण ✔️
(ब) हमारे आस-पास होने वाले परिवर्तन
(स) वस्तुओं की आकृति में प्रत्यावर्तन
(द) विभिन्न प्रकार के प्रत्यावर्तन

2. ’विद्यालय शब्द में प्रयुक्त समास है-
(अ) दीर्घ✔️ (ब) गुण
(स) यण (द) वृद्धि

3. ’दिन-रात’ में प्रयुक्त समास है-
(अ) अव्ययीभाव (ब) कर्मधारय
(स) द्वन्द्व✔️ (द) द्विगु

4. दूध का पर्यायवाची है-
(अ) सलिल (ब) पय
(स) नीर (द) क्षीर✔️

5. अचानक घटित होने वाला-
(अ) अद्वितीय (ब) उपरोक्त
(स) आकस्मिक✔️ (द) अपरिहार्य

6. ’’तुम अपने आस-पास अनेक परिवर्तन देखते हो।’’ इस वाक्य में ’अपने आस-पास’ से तात्पर्य है-
(अ) केवल घर (ब) केवल विद्यालय
(स) केवल खैन का मैदान (द) सभी स्थान✔️

7. इस गद्यांश में जिन परिवर्तनों का सल्लेख किया गया है उनमें ऐसे कारकों को सम्मिलित नहीं किया है, जैसे-
(अ) स्थिति और आकृति (ब) आकार एवं रंग
(स) बनावट और संरचना (द) कीमत और मूल्य ✔️

8. परिवर्तन सम्भव नहीं है-
(अ) यदि वह आकस्मिक हो
(ब) जब तक उसके लिए कोई भुगतान न किया गया हो
(स) जब कोई कारण न हों✔️
(द) जब तक उसकी माँग न हो

9. हमारे आस-पास होने वाले परिवर्तनों में से नीचे किसका उल्लेख नहीं किया गया है?
(अ) धातु में जंग लगना (ब) नदी का मार्ग✔️
(स) पानी का भाप बनना (द) भोजन पकाना

हिंदी गद्यांश-35 (Hindi paragraph-35)

1732 ई. में जब मुगल शासक मुहम्मद शाह था, जयसिंह को मालवा का शासक बनाया गया। उसे नियुक्त करने का उद्देश्य मराठों को मालवा से भागना था, लेकिन जयसिंह इस कार्य को करने में विफल रहा और जयपुर लौट गया। इसी समय मराठों ने मालवा पर आक्रमण कर, उसे अपने अधिकार में कर लिया। इस प्रदेश को सुव्यवस्थित रखने के लिए पेशवा ने जागीर प्रथा प्रारम्भ की तथा स्थानीय सरदारों को जागीरें प्रदान की। इसी समय सिन्धिया को उज्जैन, आनन्दराव पवार को धार, होल्कर को मालवा तथा तुकोजी को देवास की जागीरें प्रदान की गईं। इस प्रकार सिन्धिया, होल्कर तथा पवार की नवीन रियासतों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ। ये नवीन रियासत मालवा क्षेत्र के नवयुग के पथ प्रदर्शक बने। इन रियासतों ने मालवा की सांस्कृतिक चेतना को भी प्रभावित किया। 1741 ई. के बाद मुगल साम्राज्य का सम्बन्ध सदा के लिए मालवा से समाप्त हो गया।

1. कौन मलावा में नवयुग के पथ प्रदर्शक बने?
(अ) मुगल शासक (ब) नवीन रियासत✔️
(स) अंग्रेजी कम्पनी (द) अफीम की खेती

2. शब्द ’विफल’ का विपरीतार्थक शब्द है-
(अ) सफल✔️ (ब) फल
(स) असफल (द) निष्फल

3. ’प्रथा’ शब्द से तात्पर्य है-
(अ) नीति (ब) रीति✔️
(स) व्यवस्था (द) नियुक्ति

4. सुव्यवस्थित में प्रयुक्त उपसर्ग है-
(अ) सुव्य (ब) सु✔️
(स) सुव (द) इनमें से कोई नहीं

5. नवीन रियासतें किस क्षेत्र की पथ प्रदर्शक बनीं?
(अ) मालवा✔️ (ब) उज्जैन
(स) जयपुर (द) झाँसी

6. मुगल शासक मुहम्मद शाह ने 1732 ई. में किसे मालवा का शासक नियुक्त किया है?
(अ) जसवन्त सिंह (ब) उदयसिंह
(स) जयसिंह✔️ (द) मानसिंह

7. मालवा पर अधिकार करने के बाद पेशवा ने वहाँ कौन-सी प्रथा प्रारम्भ की?
(अ) इक्ता प्रथा (ब) जमींदारी प्रथा
(स) सैन्य अधिकार प्रथा (द) जागीर प्रथा✔️

8. मालवा में पेशवा ने किसे जागीर प्रदान नहीं की?
(अ) सिन्धिया (ब) होल्कर
(स) पवार (द) भोंसले✔️

9. किस वर्ष मुगलों का सम्बन्ध मालवा के सदा के लिए समाप्त हो गया?
(अ) 1765 ई. (ब) 1741 ई.✔️
(स) 1556 ई. (द) 1947 ई.

हिंदी गद्यांश-36 (Hindi paragraph-36)

नये समाज के लिए, नये जवान है।
नवीन योजना लिए, नया विहान हैै।
रश्मियाँ जगी, जगी युगीन चेतना।
प्राण-प्राण में लिए उमंग भावना।
हिन्द के सभी सशक्त नौजवान है।
प्रान्त, क्षेत्र, वाद के भाव हों कभी।
हम भाई-भाई एक हैं, अलग नहीं कभी।
एक मानव जाति की सन्तान है सभी।
गाँव-गाँव के विहाग राम में बँधे।
राम-राज्य के विचार कर्म से सधे।
बाजुओं के जारे का हमें गुमान है।

1. देशवासियों में अलगाव की समाप्ति का उपाय है-
(अ) पारस्परिक मेल-मिलाप
(ब) वैचारिक समानता✔️
(स) प्रान्तीय एवं क्षेत्रीयता की समाप्ति
(द) उन्नति के समान अवसर

2. भारतीयों को गर्व है-
(अ) भाषा का (ब) रामराज्य का
(स) भुजाओं के बल का (द) एकता का✔️

3. ’रामराज्य’ का अर्थ है-
(अ) सबको समान सुख✔️ (ब) वैचारिक सम्पन्नता
(स) शैक्षिक शक्ति (द) सम्पन्नता

4. ’नया विहान’ का अभिप्राय है-
(अ) नया देश (ब) नया युग✔️
(स) नई सभ्यता (द) नई संस्कृति

5. नया विहान देश में क्या लाया है?
(अ) नई रोशनी
(ब) अन्धकार का विनाश
(स) नये आविष्कार
(द) योजनाएँ ✔️

6. गुमान का समानार्थक है-
(अ) घमण्ड✔️ (ब) क्रोध
(स) नाराजगी (द) भला

हिंदी गद्यांश-37 (Hindi paragraph-37)

संकटों से वीर घबराते नहीं
आपदाएँ देख छिप जाते नहीं।
लगए गए जिस काम में पूरा किया,
काम करके व्यर्थ पछताते नहीं।
हो सरल अथवा कठिन हो रास्ता
कर्मवीरों को न इससे वास्ता।
बढ़ चले तो अन्त तक ही बढ़ चले
कठिनतर गिरिशृंग ऊपर चढ़ गए।
कठिन पंथ को देख मुस्काते सदा
संकटों के बीच वे गाते सदा।
है असम्भव कुछ नहीं उनके लिए
सरल सम्भव कर दिखाते वे सदा।
यह असम्भव कायरों का शब्द है
कहा था नेपोलियन ने एक दिन।
सच बताऊँ जिन्दगी ही व्यर्थ है
दर्प बिन, उत्साह बिन और शक्ति बिन।

1. कवि के अनुसार किस विशेषता की कमी होने पर जीवन व्यर्थ है?
(अ) उत्साह और शक्ति की✔️ (ब) कायरता की
(स) चापलूसी की (द) इनमें से कोई नहीं

2. ’गिरिशृंग’ शब्द का अर्थ है-
(अ) कर्मवीर (ब) मातृभूमि
(स) उच्चतम पर्वत श्रेणी✔️ (द) आपदा

3. पद्यांश में कौन-सा ’रस’ का प्रयोग हुआ है?
(अ) शृंगार रस (ब) वीर रस✔️
(स) वात्सल्य रस (द) इनमें से कोई नहीं

4. इस पद्यांश का उचित शीर्षक है-
(अ) संकट (ब) कर्मवीर✔️
(स) असम्भव (द) आपदा

5. वीरों की एक विशेषता है-
(अ) हर कार्य को असमय समझते हैं
(ब) उनमें स्वाभिमान की कमी होती है
(स) वे संकटों से वीरतापूर्वक मुकाबला करते हैं
(द) उनमें उत्साह की कमी होती है

6. ’कठिन’ का विलोम है-
(अ) सरल✔️ (ब) दुर्गम
(स) पत्थर (द) आसानी

हिंदी गद्यांश-38 (Hindi paragraph-38)

वैज्ञानिक प्रयोग की सफलाता ने मनुष्य की बुद्धि का अपूर्व विकास कर दिया है। द्वितीय महायुद्ध में एटम बम की शक्ति ने कुछ क्षणों में ही जापान की अजेय शक्ति को पराजित कर दिया। इस शक्ति की युद्धकालीन सफलता ने अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस आदि सभी देशों को ऐसे शास्त्रास्त्रों के निर्माण की प्रेरणा दी कि सभी भयंकर और सर्वविनाशकारी शस्त्र बनाने लगे। अब सेना को पराजित करने तथा शत्रु देश पर पैदल सेना द्वारा आक्रमण करने के लिए शस्त्र निर्माण के स्थान पर देश के विनाश करने की दिशा में शस्त्रास्त्र बनने लगे हैं। इन हथियारों का प्रयोग होने पर शत्रु देशों की अधिकांश जनता और सम्पत्ति थोङे समय में ही नष्ट की जा सकेगी। चूँकि ऐसे शस्त्रास्त्र प्रायः सभी स्वतन्त्र देशों के संग्रहालयों में कुछ-न-कुछ आ गए हैं। अतः युद्ध की स्थिति में उनका प्रयोग भी अनिवार्य हो जाएगा, जिससे बङी जनसंख्या प्रभावति हो सकती है। इसीलिए निशस्त्रीकरण की योजनाएँ बन रही हैं। अतः युद्ध की स्थिति में उनका प्रयोग भी अनिवार्य हो जाएगा, जिससे बङी जनसंख्या प्रभावित हो सकती है। इसीलिए निशस्त्रीकरण की योजनाएँ बन रही हैं। शस्त्रास्त्रों के निर्माण की जो प्रक्रिया अपनाई गई, उसी के कारण आज इतने उन्नत शस्त्रास्त्र बन गए हैं, जिनके प्रयोग से व्यापक विनाश आसन्न दिखाई पङता है। अब भी परीक्षणों की रोकथाम तथा बने शस्त्रों का प्रयोग रोकने के मार्ग खोजे जा रहे है। इन प्रयासों के मूल में एक भयंकर आतंक और विश्व-विनाश का भय कार्य कर रहा है।

1. एटम बम और अपार शक्ति का प्रथम अनुभव कैसे हुआ?
(अ) जापान में हुई भयंकर विनाशलीला से✔️
(ब) जापान की अजेय शक्ति की पराजय से
(स) अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस की प्रतिस्पर्धा से
(द) अमेरिका की विजय से

2. बङे-बङे देश आधुनिक विनाशकारी शस्त्रास्त्र क्यों बना रहे हैं?
(अ) अपनी-अपनी सेनाओं में कमी करने के उद्देश्य से
(ब) अपने संसाधनों का प्रयोग करने के उद्देश्य से
(स) अपना-अपना सामरिक व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से
(द) पारस्परिक भय के कारण✔️

3. आधुनिक युद्ध भयंकर व विनाशकारी होते हैं क्योंकि-
(अ) दोनों देशों के शस्त्रास्त्र इन युद्धों में समाप्त हो जाते हैं
(ब) अधिकांश जनता और उनकी सम्पत्ति नष्ट हो जाती हैं✔️
(स) दोनों देशों में महामारी और भुखमरी फैल जाती हैं
(द) दोनों देशों की सेनाएँ इन युद्धों में मारी जाती हैं

4. अजेय से तात्पर्य है-
(अ) जिसे हराया जा सके
(ब) जो शक्तिशाली हो
(स) जिसे जीता जा सके
(द) जिसे जीता न जा सके✔️

5. शब्द ’संग्रहालय’ में प्रयुक्त सन्धि है-
(अ) दीर्घ✔️ (ब) गुण
(स) यण (द) वृद्धि

6. निम्न गद्यांश में सर्वविनाशकारी शस्त्र किसे कहा गया है?
(अ) मिसाइल (ब) एटम बम✔️
(स) आधुनिक अस्त्र (द) इनमें से कोई नहीं

7. ’अधिकांश’ शब्द का समानार्थी है-
(अ) बहुत अधिक (ब) अधिक-से-अधिक✔️
(स) कम (द) इनमें से कोई नहीं

8. इस गद्यांश का मूल कथ्य क्या है?
(अ) आतंक और सर्वनाश का भय
(ब) विश्व में शस्त्रास्त्रों की होङ
(स) द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका
(द) निशस्त्रीकरण और विश्व शान्ति✔️

9. भयंकर विनाशकारी आधुनिक शस्त्रास्त्रों को बनाने की प्रेरणा किसने दी?
(अ) अमेरिका ने
(ब) अमेरिका की विजय ने

 

(स) जापान पर गिराए गए एटम-बम ने✔️
(द) बङे देशों की पारस्परिक प्रतिस्पर्धा न

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