हिंदी साहित्य

कामायनी में महाकाव्यात्मक लक्षण – जयशंकर प्रसाद

कामायनी में महाकाव्यात्मक लक्षण

Read: कामायनी में महाकाव्यात्मक लक्षण, आज के आर्टिकल में हम जयशंकर प्रसाद की चर्चित रचना कामायनी पर चर्चा करेंगे ,हम यह जानेंगे कि इस रचना में महाकाव्य के कौन -कौन से लक्षण है। कामायनी में महाकाव्यात्मक लक्षण मुख्यत:  कामायनी छायावाद की मूल कृति है। उसमें छायावादी काव्य-कृति के समस्त गुण अत्यन्त परिष्कृत रूप में मिलते …

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नाटक क्या है – हिंदी साहित्य का इतिहास – Hindi Sahitya

नाटक क्या है

आज के आर्टिकल में हम नाटक क्या है विषय पर विस्तार से बात करेंगे ,इसकी भूमिका को समझेंगे । नाटक क्या है (Natak kya hai) नाटक का उद्भव ⋅’नाटक’ शब्द संस्कृत की ’नट्’ धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है – ’अभिनव करना।’  दशरूपककार आचार्य धनंजय ने नाटक की परिभाषा इस प्रकार दी है …

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हिंदी साहित्यकार और उनके उपनाम – Hindi sahitya

हिंदी साहित्यकार और उनके उपनाम

आज की पोस्ट में हम हिंदी साहित्यकार और उनके उपनाम के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। जो परीक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। हिंदी साहित्यकार और उनके उपनाम प्रमुख रचनाकार उपनाम और उपाधियां विद्यापति—- कविशेखर, दसावधान, कविकंठहार, पंचानन, अबिनव जयदेव ,मैथिल कोकिल पुष्यदंत— हिंदी का भवभूति, भाखा की जड़, अभिमान मेरु, काव्यरत्नाकर,कविकुल तिलक अब्दुल हसन—–अमीर …

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Kahani Or Upnyas Me Anter – कहानी और उपन्यास में अंतर

Kahani Or Upnyas Me Anter

आज के आर्टिकल में हम कहानी व उपन्यास में अंतर (Kahani Or Upnyas Me Anter) को पढेंगे । कहानी और उपन्यास में अंतर संरचना की दृष्टि से उपन्यास और कहानी में यह अन्तर है कि उपन्यास घटना-प्रधान होता है और कहानी व्यंजना-प्रधान। कहानी के तथ्यों का वर्णन उपन्यास की भांति विस्तृत नहीं होता, कथित नहीं …

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Siyaram Sharan Gupt – सियाराम शरण गुप्त

Siyaram Sharan Gupt

आज की पोस्ट में हम चर्चित कवि सियाराम शरण गुप्त (Siyaram Sharan Gupt) के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे ,इनसे जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य जानने का प्रयास करेंगे | जन्मकाल- 1895 ई. मृत्युकाल- 1963 ई. जन्मस्थान- चिरगाँव (झाँसी) प्रमुख रचनाएँ- 1. मौर्य विजय- 1913 ई. 2. अनाथ- 1917 ई. 3. दूर्वादल- 1924 ई. 4. …

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हिंदी विकास में संस्थागत योगदान – Hindi Sahitya

हिंदी विकास में संस्थागत योगदान

आज की पोस्ट में हम उन प्रमुख संस्थाओं(हिंदी विकास में संस्थागत योगदान) की चर्चा करेंगे ,जिनका हिंदी भाषा प्रचार-प्रसार में योगदान था | काशी नागरी प्रचारिणी सभा (Kashi nagri parcharini sabha) राष्ट्रभाषा हिन्दी और राष्ट्र लिपि नागरी के प्रचार-प्रसार के राष्ट्रीय उद्देश्यों के लिए नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना 1893 ई. में वाराणसी में हुई। …

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हिन्दी भाषा की संवैधानिक स्थिति-Hindi Bhasha ka Vikas

हिन्दी भाषा की संवैधानिक स्थिति

आज की पोस्ट में हिंदी भाषा विकास टॉपिक के अंतर्गत हिन्दी भाषा की संवैधानिक स्थिति को अनुच्छेद 343से 351 तक समझाया गया है | हिन्दी भाषा की संवैधानिक स्थिति ✔️ संविधान के अनुच्छेद 343 से 351 तक संघ की भाषा, प्रादेशिक भाषाओं, न्यायालयों की भाषा के संबंध में उल्लेख किया गया है। 🔷 अनुच्छेद- 343ः …

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Nagari Pracharini Sabha || नागरी प्रचारिणी सभा

नागरी प्रचारिणी सभा (Nagari Pracharini Sabha)

दोस्तो आज की पोस्ट में हम नागरी प्रचारिणी सभा(Nagari Pracharini Sabha) की पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे ,आप अच्छे से इसे पढ़ें | नागरी प्रचारिणी सभा(Nagari Pracharini Sabha) ⇒ इसकी स्थापना 1893 ई. में काशी में निम्न तीन विद्वानों के प्रयासों से हुई थी – रामनारायण मिश्र डाॅ. श्यामसुन्दर दास शिवकुमार सिंह ट्रिक सूत्र – ’राम-श्याम-शिव’ …

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एक कहानी यह भी || आत्मकथा || मन्नू भंडारी || सारांश व प्रश्नोतर

एक _कहानी_यह_भी__मन्नू_भंडारी

दोस्तो आज की पोस्ट में मन्नू भंडारी द्वारा  रचित आत्मकथा एक कहानी यह भी का सारांश व महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर भी दिए गए है , जो किसी भी परीक्षा के लिए उपयोगी साबित होंगे एक कहानी यह भी (आत्मकथा)-मन्नू भंडारी  पाठ का सारांश आलोच्य आत्मकथा मन्नू भंडारी के बचपन और युवावस्था के जीवन के पारिवारिक व …

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नवगीत परंपरा || हिन्दी साहित्य || आधुनिक काल

नवगीत परंपरा (navgeet parmpra) हिन्दी में नवगीत की विशुद्ध चर्चा पहली बार राजेन्द्र प्रसाद सिंह द्वारा संपादित गीतांगिनी (1950) में हुई। इन्हें ही ’नवगीत’ की संज्ञा दी जानी चाहिए। गीतांगिनी के संपादकीय को नवगीत का घोषणा-पत्र माना जाना चाहिए। केदारनाथ अग्रवाल तथा ठाकुर प्रसाद सिंह को नवगीत के आरंभकर्ता का श्रेय दिया जाता है। नवगीत …

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