दीपक अलंकार: जिस अलंकार में एक ही साधारण धर्म द्वारा उपमेय या उपमान को इंगित किया जाए , वहाँ दीपक अलंकार(Deepak Alankar) होता है अर्थात प्रस्तुत और अप्रस्तुत में साधारण धर्म एक ही प्रयुक्त होता है। यह एक अर्थालंकार है।
आज की पोस्ट में हम अलंकारों की कड़ी में दीपक अलंकार(Deepak Alankar) की विस्तार से चर्चा करेंगे ,एवं महत्त्वपूर्ण उदाहरणों को जानेगें।
दीपक अलंकार – Deepak Alankar
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लक्षण – ’’अप्रस्तुतयोर्दीपकं तु विनगद्यते।’’
परिभाषा :
जब किसी पद में उपमेय (प्रस्तुत पदार्थ) तथा उपमान (अप्रस्तुत पदार्थ) दोनों के लिए एक ही साधारण धर्म होता है तो वहाँ दीपक अलंकार होता है।
उदाहरण :
कामिनी कन्त सों, जामिनी चन्द सों,
दामिनी पावस मेघ घटा सों
जाहिर चारिहु ओर जहान लसै,
हिन्दवान खुमान शिवा सों।
स्पष्टीकरण – यहाँ प्रस्तुत पदार्थ या उपमेय (हिन्दू सम्राट शिवाजी से शोभित संसार) तथा अप्रस्तुत पदार्थ या उपमानों (कामिनी, यामिनी, दामिनी, मेघ आदि) के लिए एक ही साधारण धर्म (लसै-सुशोभित होना) का प्रयोग हुआ है, अतः यहाँ दीपक अलंकार है।
दीपक अलंकार के उदाहरण – Deepak Alankar ka Udaharan
2. ’’भूपति सोहत दान सों, फल फूलन उद्यान।’’
स्पष्टीकरण – यहाँ भूपति (प्रस्तुत) और उद्यान (अप्रस्तुत) दोनों के लिए एक ही साधारण धर्म (सोहत) का प्रयोग हुआ है, अतः यहाँ दीपक अलंकार है।
3. देखैं तें मन भरै, तन की मिटे न भूख।
बिन चाखै रस नहीं मिले, आम कामिनी ऊख।।
स्पष्टीकरण – यहाँ उपमेय (कामिनी) तथा उपमान (आम व ईख) के लिए एक ही साधारण धर्म (बिन चाखे रस नहिं मिले) का प्रयोग हुआ है, अतः यहाँ दीपक अलंकार है।
4. सरसिज से है सर की शोभा, नयनों से तेरे आनन की।।
स्पष्टीकरण – अर्थात् जैसे कमल से तालाब सुशोभित होता है, वैसे ही आँखों से तुम्हारा मुख (सुशोभित है) यहाँ उपमेय (आनन) तथा उपमान (सर) दोनों के लिए एक साधारण धर्म (शोभा) का प्रयोग होने के कारण यहाँ दीपक अलंकार है।
5. इंदु की छवि में, तिमिर के गर्भ में
अनिल की ध्वनि में, सलील की बीची में
एक उत्सुकता विचरती थी सरल
सुमन की स्थिति में, लता के अधर में।
स्पष्टीकरण – यहाँ इंदु की छवि में, तिमिर के गर्भ में, अनिल की ध्वनि में, सलील की बीची की स्थिति में सुमन की स्थिति और लता के अधर में एक ही धर्म ‘एक उत्सुकता विचरती थी सरल’ होने से दीपक अलंकार है।
दीपक अलंकार के अन्य उदाहरण :
6. सुर, महिसुर हरिजन अरु गाई।
हमरे कुल इन्ह पर न सुराई।।
7. फल से सोहत तीर्थ थल, जल से सोहत कूप।
रस से सोहत सुमन जल, बल से सोहत भूप।।
निष्कर्ष :
आज के आर्टिकल में हमनें काव्यशास्त्र के अंतर्गत दीपक अलंकार (Deepak Alankar) को पढ़ा , इसके उदाहरणों को व इसकी पहचान पढ़ी। हम आशा करतें है कि आपको यह अलंकार अच्छे से समझ में आ गया होगा …धन्यवाद
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