दृष्टान्त अलंकार – परिभाषा , उदाहरण | Drishtant Alankar

आज के आर्टिकल में हम काव्यशास्त्र के अंतर्गत दृष्टान्त अलंकार (Drishtant Alankar) को विस्तार से पढेंगे ,इससे जुड़ें महत्त्वपूर्ण उदाहरणों को भी पढेंगे।

दृष्टान्त अलंकार – Drishtant Alankar

Drishtant Alankar

आज के आर्टिकल में हम क्या सीखेंगे?

  • दृष्टान्तअलंकार की परिभाषा
  • दृष्टान्त अलंकार के भेद
  • दृष्टान्तअलंकार के उदाहरण
  • दृष्टान्त अलंकार के महत्त्वपूर्ण प्रश्न

दृष्टान्त अलंकार की परिभाषा – Drishtant Alankar ki Paribhasha

  • जहाँ पूर्व में कोई कथन कहकर दूसरे कथन में उसकी पुष्टि की जाये। दृष्टांत में सामान्य से विशेष की पुष्टि होती है।
  • उपमेय वाक्य, उपमान वाक्य तथा उनके साधारण धर्मों में यदि बिम्ब-प्रतिबिंब भाव हो तो दृष्टान्त अलंकार होगा। दृष्टान्त का अर्थ है – उदाहरण।
  • बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव होने पर, उपमेय वाक्य में जो बात कही जाती है, उसकी सत्यता प्रमाणित करने के लिए उसी से मिलता-जुलता दूसरा उपमान वाक्य कहा जाता है, जो प्रथम वाक्य भी सत्यता पर प्रामाणिकता साबित कर देता है, तो वहाँ दृष्टान्त अलंकार माना जाता है।

 

  • दूसरे शब्दों में, ’’जहाँ उपमेय और उपमान के रूप में दो भिन्न-भिन्न वाक्य ऐसे रहते हैं जिनके धर्मों में विभिन्नता होती है, किंतु दोनों में एक प्रकार की समानता या एकता-सी दिखलायी जाती है।
  • दृष्टान्त में जैसे, ज्यों आदि पद नहीं रहते, फिर भी वाक्यों में एकता प्रकट की जाती है।
  • जब पहले एक बात कहकर फिर उससे मिलती-जुलती दूसरी बात पहली बात के उदाहरण के रूप में कही जाए इस प्रकार जब दो वाक्यों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव हो, तब दृष्टांत अलंकार होता है। इसमें प्रथम वाक्य की छाया द्वितीय वाक्य में पङती है अर्थात् प्रथम वाक्य की पुष्टि के लिए द्वितीय वाक्य की योजना की जाती है।

दृष्टान्त अलंकार के उदाहरण – Drishtant Alankar ke Udaharan

उदाहरण-1

कुलहिं प्रकासै एक सुत, नहिं अनेक सुत निंद।
चंद एक सब तम हरै, नहिं ठडगन के वृन्द।।

स्पष्टीकरण–

यहाँ दो पृथक् वाक्यों में, जिनके धर्म (भाव) भी पृथक् ही हैं, एकता एवं समता दिखाई गई है। एक में दूसरे का प्रतिबिंब-सा दिखता है।

उदाहरण-2

कन कन जोरै मन जुरै, खावत निबरे सोय।
बूँद-बूँद तें घट भरै, टपकत रीतो होय।।

उदाहरण – 3

श्रम ही सों सब मिलत है, निन श्रम मिलै न काहि।
सीधी अंगुरी घी जम्यो, क्यों हू निकसत नांहि।।

उदाहरण-4

मनुष जनम दुरलभ अहै, होय न दूजी बार।
पक्का फल जो गिरि परा, बहुरि न लागै डार।।

उदाहरण-5

पानी मनुज भी आज मुख से राम नाम निकालते।
देखो भयंकर भेङिये भी, आज आँसू ढालते।।

उदाहरण-6

परी प्रेम नंदलाल के, हमहिं न भावत जोग।
मधुप राजपद पाय के, भीख न मांगत लोग।।

स्पष्टीकरण–

यहाँ कृष्ण के प्रेम में अनुरक्त होकर गोपियों को योग का न भाना वैसा ही है, जैसा राजपद पाकर भीख न माँगना। प्रथम उपमेय वाक्य है और द्वितीय उपमान वाक्य। प्रथम वाक्य की सत्यता के निश्चय के लिए दूसरे वाक्य की योजना हुई है।

दृष्टान्त अलंकार के अन्य उदाहरण – Example of Drashtant Alankar

उदाहरण-7

बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथै न माखन होय।।

उदाहरण-8

करत-करत अभ्यास के, जङमति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान।।

उदाहरण-9

रूप नंदलाल को, दृगानि रचै नहि आन।
तजि पीयूष कोउ करत, कटु औषधि को पान।।

उदाहरण-10

सिव औरंगहि जिति सकै, और न राजा-राव।
हत्थि-मत्थ पर सिंह बिनु, आन न घालै घाव।।

स्पष्टीकरण–

छत्रपति शिवाजी ही औरंगजेब को जीत सकते है अन्य राजा नहीं। फिर उदाहरण स्वरूप दूसरी बात – जो पहली बात से मिलती-जुलती है, कि हाथी के मस्तक पर सिंह ही घाव कर सकता है और कोई नहीं।

उदाहरण-11

रहिमन अँसुवा नयन ढरि, जिय दुख प्रकट करेइ।
जाहि निकारौ गेह तें, कस न भेद कहि देइ।।

उदाहरण-12

सठ सुधरहिं सत संगति पाई।
परस परसि कुधातु सुहाई।।

स्पष्टीकरण–

सत्संगति से दुष्ट भी उस प्रकार सुधर जाते हैं जैसे पारस के स्पर्श से लोहा भी सोना बन जाता है।

उदाहरण-13

भरतहिं होइ न राजमदु, विधि हरि पद पाई ।
कबहुँ कि काँजी सीकरनि, छीर सिन्धु बिनसाई ।।

स्पष्टीकरण–

(ब्रह्म, विष्णु तथा महेश का पद पाकर भी भरत को राजमद(अयोध्या) का घमंड नहीं हो सकता। इस कथन की पुष्टि करने के लिए उपमान वाक्य में यह दृष्टांत दिया गया है कि भला खटाई की थोङी बूँदों से क्या क्षीर समुद्र फट सकता है अर्थात् नहीं फट सकता) इस दोहे के दोनों तथ्य बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव से जुङे हुए है जिनमें एक दूसरे से मिलती-जुलती बातें कहीं गई है, अतः यहाँ दृष्टान्त अलंकार है।

निष्कर्ष :

आज के आर्टिकल में हमनें काव्यशास्त्र के अंतर्गत दृष्टान्त अलंकार (Drishtant Alankar) को पढ़ा , इसके उदाहरणों को व इसकी पहचान पढ़ी। हम आशा करतें है कि आपको यह अलंकार अच्छे से समझ में आ गया होगा …धन्यवाद

FAQ – Drishtant Alankar in Hindi

1.  दृष्टान्त अलंकार किसे कहते है?

उत्तर – बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव होने पर, उपमेय वाक्य में जो बात कही जाती है, उसकी सत्यता प्रमाणित करने के लिए उसी से मिलता-जुलता दूसरा उपमान वाक्य कहा जाता है, जो प्रथम वाक्य भी सत्यता पर प्रामाणिकता साबित कर देता है, तो वहाँ दृष्टान्त अलंकार माना जाता है।

2. दृष्टान्त अलंकार की परिभाषा लिखो

उत्तर –  जब पहले एक बात कहकर फिर उससे मिलती-जुलती दूसरी बात पहली बात के उदाहरण के रूप में कही जाए इस प्रकार जब दो वाक्यों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव हो, तब दृष्टांत अलंकार होता है। इसमें प्रथम वाक्य की छाया द्वितीय वाक्य में पङती है अर्थात् प्रथम वाक्य की पुष्टि के लिए द्वितीय वाक्य की योजना की जाती है।

3. दृष्टान्त अलंकार का एक उदाहरण बताओ

उत्तर –

करत-करत अभ्यास के, जङमति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान।।

उदाहरण अलंकार

2 thoughts on “दृष्टान्त अलंकार – परिभाषा , उदाहरण | Drishtant Alankar”

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