द्विगु समास (Dvigu Samas): आज के आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के अंतर्गत समास टॉपिक को आगे बढ़ाते हुए द्विगु समास (Dvigu Samas) को विस्तार से पढेंगे। द्विगु समास की परिभाषा (Dvigu Samas ki Paribhasha), द्विगु समास के उदाहरण (Dvigu Samas ke Udaharan), द्विगु समास की पहचान, इन सबके बारे में चर्चा करेंगे।
द्विगु समास – Dvigu Samas
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द्विगु समास की परिभाषा – Dvigu Samas ki Paribhasha
- इस समास में पहला पद कोई संख्यावाची शब्द होता है और पूरा पद किसी समूह (समाहार) का बोध कराता है। विग्रह करने पर अन्त में समाहार या समूह लिख दिया जाता है।
- यह समास तत्पुरुष समास के भेद कर्मधारय समास का उपभेद है। इस समास का द्वितीय पद प्रधान होता है किन्तु प्रथम पद संख्या का बोध कराने वाला होता है अर्थात् प्रथम पद समुदाय का बोध कराता है।
द्विगु समास किसे कहते है? (Dvigu Samas in Hindi)
- यदि किसी सामासिक पद में प्रथम पद संख्यावाचक शब्द होता है एवं द्वितीय पद संज्ञा शब्द होता है तथा समस्त पद समूह का बोध करवाया जाता है वहाँ द्विगु समास होता है। द्विगु समास का समास-विग्रह करते समय दोनों पदों को लिखकर अन्त में ’का समूह या का समाहार’ लिखते हैं।
- इस समास का उत्तर पद प्रधान होता है।
- इस समास पूर्व संख्यावाची होता है।
- इसके सामासिक पद समूह का बोध कराते है।
- इसके उदाहरणों का विग्रह कर वाला, वाली, समूह, समाहार शब्द का प्रयोग किया जाता है।
द्विगु समास की पहचान कैसे होती है?
द्विगु समास की पहचान सामासिक पद में संख्यावाची शब्द से होती है, जिसमें संख्यावाचक शब्द के साथ संज्ञा शब्द का योग होता है और उससे बनने वाला सामासिक पद समूह का बोध करवाता है। समूह का बोध करवाने वाले सामासिक पदों को द्विगु समास कहते है।
द्विगु समास के उदाहरण – Dvigu Samas ke Udaharan
द्विगु समास के उदाहरण | |
एक तरफा | एक तरफ वाला |
एकांकी | एक अंक का नाटक |
एकतन्त्र | एक का तंत्र (राजा) |
षड्यंत्र | छह यंत्रों का समूह |
षड्ऋतु | षट् ऋतुओं का समाहार |
षडरस | छह रसों का समूह |
षडानन | षट् आननों का समाहार |
शतक | सौ का समाहार |
शतांश | सौवां अंशप |
शताब्दी | शत अब्दों का समाहार |
इकट्ठा | एक स्थान पर स्थित |
इकलौता | एक ही है जो |
द्विगु | दो गौओं का समूह |
त्रिशूल | तीन शूलों का समूह |
त्रिमूर्ति | तीन मूर्तियों का समूह |
त्रिपिटिक | तीन पिटकों का समूह |
त्रिभुवन | तीन भुवनों का समूह |
त्रिभुज | तीन भुजाओं वाला |
त्रिपाठी | तीन पाठों को जानने वाला |
त्रिवेणी | तीन वेणियाँ का समूह |
त्रिवेद | तीन वेदों का समूह |
त्रिवेदी | तीन वेदों का ज्ञाता |
त्रिफला | तीन फलों का समूह |
त्रिनेत्र | तीन नेत्रों का समूह |
त्रिगुण | तीन गुण वाला |
त्रिलोक | तीन लोकों का समूह |
त्रिलोकी | तीन लोकों का स्वामी |
तिबारा | तीन द्वारों वाला भवन |
तिकोना | तीन कोनों का |
तिरंगा | तीन रंगों वाला |
तिराहा | तीन राहों का संगम |
हटवाङा | आठ वारों (दिनों) का समूह |
पंसेरी | पाँच सेरों का समूह |
पंचमढ़ी | पाँच हो मढ़ी जहाँ |
पंचमहाभूत | पाँच महाभूतों का समूह |
पंचपात्र | पाँच पात्रों का समूह |
पंचरात्र | पाँच रात्रियों का समूह |
पंचांग | पाँच अंगों का समूह |
पंचामृत | पाँच अमृतों का समाहार |
पंचवदन | पांच वदनों का समूह |
पंचवटी | पाँच वटों का समाहार |
पंचतन्त्र | पांच तन्त्रों का समूह |
पंचतन्मात्राएँ | पाँच तन मात्राओं का समूह |
पंजाब | पाँच हो आब (पानी) |
पचरंगा | पाँच रंगों का |
पनसेरी | पाँच सेर का बाट |
सहस्राब्दी | सहस्त्र शब्दों का समाहार |
सप्त सिंधु | सात सिन्धुओं का समूह |
सप्तशती | सात सौ का समूह |
सप्तर्षि | सात ऋषियों का समूह |
सप्तपदी | सात पदों का समूह |
सप्ताह | सप्त दिनों का समूह |
सतमासा | सात महीनों का समूह |
सतरंग | सात रंगों का समूह |
सतरंगी | सात रंगों वाली |
सतसई | सात सौ पदों का समूह |
सतनजी | सात प्रकार का अनाज |
दशाब्दी | दस वर्षों का समूह |
दशानन | दस आननों का समाहार |
छमाही | छह माह का समूह |
दो-आब | दो नदियों का समूह |
दोपहर | दो प्रहर के बाद का समय |
दोलङा | दो लङियों से युक्त |
छदाम | छह हो दाम |
दुधारी | दो धारों से युक्त |
दुबे | दो वेदों का समूह |
दुमंजिला | दो हैं मंजिलों से युक्त |
दुमट | दो प्रकार की मिट्टी |
दुपहिया | दो पहिए का |
दुपहर | दो प्रहर के बाद का समय |
दुपट्टा | दो पाट वाला |
दुराहा | दो राहों का समूह |
दुसूती | दो हैं धागे जिसके |
दुनाली | दो नाल वाली |
दुअन्नी | दो आनों का समूह |
दुगुना | दो बार गुना |
देवत्रयी | तीन देवों का समूह |
छत्तीसगढ़ | छत्तीस गढ़ों का समूह |
चहार दीवारी | चार दीवारों से युक्त |
चारपाई | चार पैरों वाली |
चौघङा | चार घङों वाला |
चौखट | चार खूँटों वाली |
चौवेद | चार वेदों का समूह |
चतुर्वेदी | चार वेदों का ज्ञाता |
चौकङी | चार कङियों वाली |
चौमहला | चार महलों का समूह |
चौहद्दी | चारों सीमाएँ |
चौपङ | चार फङों के समूह वाला |
चौराहा | चार राहों का संगम |
चवन्नी | चार आनों का समूह |
चतुर्युग | चार युग |
चतुष्पदी | चार पदों का समूह |
चतुर्भुज | चार भुजाओं का समूह |
चतुरंगणी | चार अंगों वाली सेना |
चतुर्वेदी | चारों वेदों को जानने वाला |
चतुर्वर्ग | चार वर्गों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) का समूह |
नौ गाँव | नौ गाँवों का समूह |
नौरंगी | नौ रंगों वाली |
नौलखा | नौ लाख का समूह |
नवनिधि | नौ निधियों का समूह |
नवरात्र | नौ रात्रियों का समूह |
नवरत्न | नौ रत्नों का समूह |
नवग्रह | नौ ग्रहों का समूह |
अष्टधातु | आठ धातुओं का समूह |
अष्टसिद्धि | आठ सिद्धियों का समूह |
अष्टभुज | आठ भुजाओं का समूह |
अष्टाध्यायी | आठ अध्यायों का समूह |
अठमासा | आठ महीनों का समूह |
अठवारा | आठवें वार या दिन को लगने वाला बाजार |
अठन्नी | आठ आनों का समूह |
FAQ – Dvigu Samas
1. द्विगु समास किसे कहते है ?
उत्तर – इस समास में पहला पद कोई संख्यावाची शब्द होता है और पूरा पद किसी समूह (समाहार) का बोध कराता है। विग्रह करने पर अन्त में समाहार या समूह लिख दिया जाता है।
2. द्विगु समास के उदाहरण बताइये ?
उत्तर – द्विगु समास के उदाहरण –
- नवरात्र – नौ रात्रियों का समूह
- त्रिकाल – तीन कालों का समूह
- द्विगु – दो गौओं का समूह
- नवरत्न – नौ रत्नों का समूह
- सप्त सिंधु – सात सिन्धुओं का समूह
- पंचतन्त्र – पांच तन्त्रों का समूह
- सतरंग – सात रंगों का समूह
- एकांकी – एक अंक का
- सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह
- एक तरफा – एक तरफ वाला
- शतांश – सौवां अंशप
- पंसेरी – पाँच सेरों का समूह।
3. द्विगु में कौन सा पद प्रधान होता है?
उत्तर – द्विगु में द्वितीय पद प्रधान होता है। इसके साथ ही द्वितीय पद प्रधान होने के साथ-साथ पहला संख्यावाचक शब्द होता है।
निष्कर्ष :
हमने आज के आर्टिकल में द्विगु समास (Dvigu Samas) के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। द्विगु समास की परिभाषा (Dvigu Samas ki Paribhasha) और द्विगु समास के उदाहरण (Dvigu Samas ke Udaharan) को बहुत ही अच्छे ढंग से समझा है। आपकी कोई भी प्रतिक्रिया हो तो नीचे की तरफ कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।
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