फोर्ट विलियम कॉलेज – स्थापना, संस्था, प्रोफ़ेसर और भाषा मुंशी

फोर्ट विलियम कॉलेज (Fort William College): इसकी स्थापना कोलकाता में 10 जुलाई, 1800 ई. को हुई। इसकी स्थापना गवर्नर लॉर्ड वेलेजली ने करवाई। इस संस्था का पूर्व नाम ऑरिएंटल सेमिनरी था। इसके पहले हिंदी विभाग के प्रोफ़ेसर जॉन गिलक्राइस्ट थे। यहाँ भाषा मुंशी के पद पर लल्लूलाल जी व सदल मिश्र थे।

फोर्ट विलियम कॉलेज – (Fort William College)

संस्थाफोर्ट विलियम कॉलेज
स्थापना10 जुलाई, 1800 ई.
स्थापना कर्तागवर्नर लॉर्ड वेलेजली
पूर्व नामऑरिएंटल सेमिनरी
प्रथम हिंदी विभाग प्रोफेसरजॉन गिलक्राइस्ट
भाषा मुंशीलल्लूलाल और सदल मिश्र
संस्था समापन24 फरवरी, 1854 ई .

उद्देश्य

फोर्ट विलियम कॉलेज कोलकाता में स्थित प्राचीन विधाओं एवं भाषाओं के अध्ययन का केन्द्र था। इसकी स्थापना 10 जुलाई, 1800 ई. में तत्कालीन गर्वनर लॉर्ड वेलेजली द्वारा की गई। इस संस्था द्वारा संस्कृत, अरबी, फारसी, बंगला, हिन्दी, उर्दू आदि भाषाओं के हजारों पुस्तकों का अनुवाद हुआ। इंग्लैण्ड से भारत आने वाले आइ. सी. एस. अधिकारियों को भारत की ज्ञान मीमांसा, व्याकरण, संस्कृति, धार्मिक एवं प्रशासनिक ज्ञान देने के उद्देश्य से फोर्ट विलियम कॉलेज की कोलकाता में स्थापना की गयी। इस कॉलेज ने हिन्दी साहित्य, ब्रजभाषा साहित्य, संस्कृत साहित्य की आधार – भूमि तैयार की।

फोर्ट विलियम कॉलेज जॉन बोर्श्विक गिलक्राइस्ट (1759- 1841 ई.) के निर्देशन में सुचारू रूप से चला। ये उर्दू, अरबी तथा संस्कृत के प्रकाण्ड पण्डित थे। इन्होंने कई महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखी।

  • इंग्लिश-हिन्दुस्तानी डिक्शनरी
  • हिन्दुस्तानी ग्रैमर
  • दि ओरिएंटल लिगिंविस्ट

1803 ई. में जॉन गिलक्राइस्ट जो फोर्ट विलियम कॉलेज में हिन्दुस्तानी विभाग के अध्यक्ष थे। उन्होंने कॉलेज में अपने निर्देशन में  हिन्दी और उर्दू दोनों में पुस्तकें तैयार करवाई। इस कोशिश में दो पुस्तकें आई।

  1. प्रेमसागर(लल्लूलाल), 1810 ई.
  2. नासिकेतोपाख्यान/चंद्रावती (सदल मिश्र)

गिलक्राइस्ट ने विशुद्ध हिन्दुस्तानी शैली को प्राथमिकता दी। इसमें उर्दू फारसी का बाहुल्य रहता था पर उसका मूल ढाँचा हिन्दी पर ही आधारित था, जिसके कारण सन् 1802 ई. में कॉलेज कौंसिल ने भाषा मुंशी के पद पर लल्लूलाल जी की नियुक्ति की। इसी समय  हिन्दुस्तानी में पाठ्य पुस्तकों का अभाव था। गिलक्राइस्ट की कोशिशों के कारण  इसी समय प्रमुख पुस्तकें प्रकाशित हुई पुस्तकें प्रकाशित हुई।

  • सिंहासन बत्तीसी(लल्लूलाल),1801 ई.
  • बैताल पच्चीसी(लल्लूलाल)1801 ई.
  • शंकुतला नाटक(लल्लूलाल)1801 ई.
लल्लूलाल जी द्वारा लिखित ‘प्रेमसागर’ की खड़ीबोली में ब्रजभाषा तथा सदलमिश्र रचित नासिकेतोपाख्यान की भाषा में पूर्वी हिन्दी का प्रभाव है।

हिंदी विभाग के प्रोफ़ेसर 

गिलक्राइस्ट1800 – 1804 ई.
कैप्टन जेम्स मोअट1806 – 1808 ई.
कैप्टन विलियम टेलर1808 – 1823 ई.
मेजर विलियम प्राइस1823 – 1831 ई.
लक्ष्मी सागर वार्ष्णेय के अनुसार कॉलेज के पत्रों में हिन्दुस्तानी के स्थान पर आधुनिक अर्थ में हिन्दी नाम को स्थापित करने का श्रेय मेजर विलियम प्राइस को है।

प्रोफेसर प्राइस से पूर्व कॉलेज के जिस भाग को ‘हिन्दुस्तानी विभाग’ कहा जाता था, इनके प्रयास से वह ‘हिन्दी विभाग’ कहलाने लगा। प्राइस के बाद हिन्दी विभाग मे किसी प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हुई। केवल मुंशी और पंडित अध्ययन कार्य कराते रहे।

फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना से भारतीय जनमानस में भाषाओं के प्रति जागरूकता तथा प्रेम उत्पन्न हुआ। 24 फरवरी, 1854 ई . को सरकारी आदेश से इस संस्था को समाप्त कर दिया गया।

निष्कर्ष :

आज के आर्टिकल में हमनें फोर्ट विलियम कॉलेज (Fort William College) के बारे में विस्तार से पढ़ा . हमें आशा है कि आपको इस आर्टिकल से अच्छी और उपयोगी जानकारी मिली होगी …धन्यवाद

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