आज के आर्टिकल में हम हिंदी विधाओं में हिंदी रेखाचित्र(Hindi Rekhachitr) विधा की चर्चा करेंगे,इससे जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य जानेंगे।
हिंदी रेखाचित्र – Hindi Rekhachitr
अंग्रेजी में ’स्केच का हिंदी पर्याय ’रेखाचित्र’ है। ’स्केच’ की ही तरह ’रेखाचित्र’ में भी कम से कम शब्दों में कलात्मक ढंग से किसी वस्तु, व्यक्ति या दृश्य का अंकन किया जाता है। इसमे साधन शब्द होते है, रेखाएँ नहीं। इसीलिए इसे ’शब्दचित्र’ (Shabdchitr)भी कहते हैं।
’रेखाचित्र’ यद्यपि एक नवीन साहित्यिक विधा के रूप में हिंदी साहित्य में प्रतिष्ठित हो चुकी है। एकात्मकता, सरस और मार्मिक शैली, संस्मरणात्मक चित्र, हृदय की संवदेनशीलता, कल्पना का सौन्दर्य, सूक्ष्मपर्यवक्षेण शक्ति, संक्षिप्तता, विवरण की न्यूनता आदि रेखाचित्र की प्रमुख विशेषताएँ मानी जाती है।
हिंदी के प्रमुख रेखाचित्र
लेखक | रेखाचित्र |
महादेवी वर्मा | (1) अतीत के चलचित्र (1941 ई.) (2) स्मृति की रेखाएँ (1943 ई.) (3) स्मारिका (1971 ई.) (4) मेरा परिवार (1972 ई.) |
श्रीराम शर्मा | (1) बोलती प्रतिमा (1937 ई.) |
प्रकाशचन्द्र गुप्त | (1) रेखाचित्र (1940 ई.) (2) मिट्टी के पुतले (3) पुरानी स्मृतियाँ नये स्केच |
रामवृक्ष बेनीपुरी | (1) लाल तारा (1938 ई.) (2) माटी की मूरतें (1946 ई.) (3) गेहूँ और गुलाब (1950 ई.) (4) मील के पत्थर |
देवेन्द्र सत्यार्थी | (1) रेखाएँ बोल उठी (1949 ई.) |
बनारसीदास चतुर्वेदी | (1) रेखाचित्र (1952 ई.) (2) सेतुबन्ध (1952 ई.) |
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर | (1) माटी हो गई सोना (2) दीप जले शंख बजे (1959 ई.) |
विनय मोहन शर्मा | (1) रेखा और रंग (1955 ई.) |
उपेन्द्रनाथ ’अश्क’ | (1) रेखाएँ और चित्र (1955 ई.) |
प्रेमनारायण टंडन | (1) रेखाचित्र (1959 ई.) |
जगदीशचन्द्र माथुर | (1) दस तस्वीरें (1963 ई.) |
माखनलाल चतुर्वेदी | (1) समय के पाँव (1962 ई.) |
विष्णु प्रभाकर | (1) कुछ शब्द: कुछ रेखाएँ (1965 ई.) |
सेठ गोविन्ददास | (1) चेहरे जाने पहचाने (1966 ई.) |
कृष्णा सोबती | (1) हम हशमत (1977, भाग-1) |
डाॅ. नगेन्द्र | (1) चेतना के बिम्ब (1967 ई.) |
भीमसेन त्यागी | (1) आदमी से आदमी तक (1982 ई.) |
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