आज के आर्टिकल में हम काव्यशास्त्र महत्वपूर्ण प्रश्न और तथ्य(Kaavyshastr Quiz) के बारे में जानकारी देने वाले है ,आप प्रत्येक प्रश्न को अच्छे से तैयार कर लेवें
काव्यशास्त्र महत्वपूर्ण प्रश्न – Kaavyshastr Quiz
Table of Contents
1. काव्य के तत्व माने गए है -दो
2. महाकाव्य के उदाहरण है -रामचरित मानस, रामायण, साकेत, महाभारत, पदमावत, कामायनी, उर्वशी, लोकायतन, एकलव्य आदि
3. मुक्तक काव्य के उदाहरण है-मीरा के पद, रमैनियां, सप्तशति
4. काव्य कहते है -दोष रहित, सगुण एवं रमणियार्थ प्रतिपादक युगल रचना को
5 . काव्य के तत्व है -भाषा तत्व, बुध्दि या विचार तत्व, कल्पना तत्व और शैली तत्व
6. काव्य के भेद है -प्रबंध (महाकाव्य और खण्ड काव्य), मुक्तक काव्य
7. वामन ने काव्य प्रयोजन माना -दृष्ट प्रयोजन (प्रीति आनंद की प्राप्ति) अदृष्ट प्राप्ति (कीर्ति प्राप्ति)
8. भामह की काव्य परिभाषा है -शब्दार्थो सहित काव्यम
9. प्रबंध काव्य का शाब्दिक अर्थ है -प्रकृष्ठ या विशिष्ट रूप से बंधा हुआ।
10. रसात्मक वाक्यम काव्यम परिभाषा है -पंडित जगन्नाथ का
11. काव्य के कला पक्ष में निहित होती है -भाषा
12 . काव्य में आत्मा की तरह माना गया है-रस
13. तद्दोषों शब्दार्थो सगुणावनलंकृति पुन: क्वापि, परिभाषा है -मम्मट की
14. काव्य के तत्व विभक्त किए गए है-चार वर्गो में प्रमुखतया रस, शब्द
15. कवि दण्डी ने काव्य के भेद माने है-तीन
16. रमणियार्थ प्रतिपादक शब्द काव्यम की परिभाषा दी है -आचार्य जगन्नाथ ने
17. काव्य रूपों में दृश्य काव्य है -नाटक
18 . काव्य प्रयोजन की दृष्टि से मत सर्वमान्य है -मम्मटाचार्य का
19. काव्य प्रयोजनों में प्रमुख माना जाता है।आनंदानुभूति का
20. काव्य रचना का प्रमुख कारण (हेतु) है -प्रतिभा का
21. महाकाव्य और खण्ड काव्य में समान लक्षण है -कथानक उपास्थापन एक जैसा होता है।
22. काव्य रचना के सहायक तत्व है -वर्ण्य विषय(भाव), अभिव्यक्ति पक्ष (कला), आत्म पक्ष
23. मम्मट के काव्य प्रयोजन है -यश, अर्थ, व्यवहार ज्ञान, शिवेतरक्षति, संघ पर निवृति, कांता सम्मलित
24. मम्मट के शिवेतर का अभिप्राय है –अनिष्ट
25 . सगुणालंकरण सहित दोष सहित जो होई… परिभाषा है -चिंतामणि की
26. भारतीय काव्य शास्त्र के अनुसार काव्य के तत्व है -1 शब्द और अर्थ, 2 रस, 3 गुण, 4 अलंकार, 5 दोष, रीतिय
27. आधुनिक कवियों ने काव्य के प्रयोजन में क्या विचार दिए -ज्ञान विस्तार, मनोरंजन, लोक मंगल, उपदेश
28. खण्ड काव्य में सर्गखण्ड होते है -सात से कम
29. शैली के आधार पर काव्य भेद है -गद्य, पद्य, चम्पू
30. दृश्य काव्य के भेद है -रूपक और उप रूपक
काव्यशास्त्र महत्वपूर्ण प्रश्न(kaavyshastr quiz)
31. महाकाव्य का प्रधान रस होता है -वीर, शृंगार या शांत रस
32. महाकाव्य के प्रारंभ में होता है -मंगलाचरण या इष्टदेव की पूजा
33. रूपक के भेद है -नाटक, प्रकरण, भाण, प्रहसन, व्यायोग, समवकार, वीथि, ईहामृग, अंक
34. महाकाव्य में खण्ड या सर्ग होते है -आठ और अधिक
35. महाकाव्य के एक सर्ग में एक छंद का प्रयोग होता है। इसका परिवर्तन किया जा सकता है -सर्ग के अंत में।
36. मुक्तक काव्य है – एकांकी सदृश्यों को चमत्कृत करने में समर्थ पद्य37 प्रबंध काव्य वनस्थली है तो मुक्तक काव्य गुलदस्ता है। यह उक्ति किसने कही -आचार्य रामचंद्र शुल्क ने
38. मुक्तककार के लक्षण होते है -मार्मिकता, कल्पना प्रवण, व्यंग्य प्रयोग, कोमलता, सरलता, नाद सौंदर्य
39. मुक्तक के भेद है -रस मुक्तक, सुक्ति मुक्तक
40. काव्य के गुण है -काव्य के रचनात्मक स्वरूप का उन्नयन कर रस को उत्कर्ष प्रदान करने की क्षमता
41. भरत और दण्डी के अनुसार काव्य के गुण के भेद है- श्लेष, प्रसाद, समता, समाधि, माधुर्य, ओज, पदसुमारता, अर्थव्यक्ति, उदारता व कांति
42. आचार्य मम्मट ने काव्य गुण बताए -माधुर्य, ओज और प्रसाद
43. माधुर्य गुण में वर्जन है – ट, ठ, ड, ढ एवं समासयुक्त रचना
44. काव्य दोष वह तत्व है जो रस की हानि करता है। परिभाषा है -आचार्य विश्वनाथ की।
45. मम्मट ने काव्य दोष को वर्गीकृत किया -शब्द, अर्थ व रस दोष में
46. श्रुति कटुत्व दोष है -जहां परूश वर्णो का प्रयोग होता है।
47. परूष वर्णो का प्रयोग कहां वर्जित है -शृंगार, करूण तथा कोमल भाव की अभिव्यंजना में
48. परूष वर्ग किस अलंकार में वर्जित नहीं है – यमक आदि में
49. परूष वर्ण कब गुण बन जाते है -वीर, रोद्र और कठोर भाव में
50. श्रुतिकटुत्व दोष किस वर्ग में आता है -शब्द दोष में
51. काव्य में लोक व्यवहार में प्रयुक्त शब्दों का प्रयोग दोष है -ग्राम्यत्व
52. अप्रीतत्व दोष कहलाता है -अप्रचलित पारिभाषिक शब्द का प्रयोग। यह एक शास्त्र में प्रसिध्द होता है, लोक में अप्रसिध्द होता है।
53. शब्द का अर्थ बड़ी खींचतान करने पर समझ में आता है उस दोष को कहा जाता है -क्लिष्टतव
54. वेद नखत ग्रह जोरी अरघ करि सोई बनत अब खात…। में दोष है -क्लिष्टत्व
55. वाक्य में यथा स्थान क्रम पूर्वक पदो का न होना दोष है -अक्रमत्व
56. अक्रमत्व का उदाहरण है -सीता जू रघुनाथ को अमल कमल की माल, पहरायी जनु सबन की हृदयावली भूपाल
57. दुष्क्रमत्व दोष होता है – जहां लोक और शास्त्र के विरूध्द क्रम से वस्तु का वर्णन हो।
58. ‘आली पास पौढी भले मोही किन पौढन देत’ में काव्य दोष है -ग्रामयत्व
59. काव्य में पद दोष कितने है -16
60. अर्थ दोष कहते है -जहां शब्द दोष का निराकरण हो जाए, फिर भी दोष बना रहे वहां अर्थ दोष होता है।
61. वाक्य दोष होते है -21 इक्कीस
62. अलंकार के भेद होते है -शब्दालंकार, अर्थालंकार, उभयालंकार
63. अलंकार कहते है -काव्य की शोभा बढाने वाले को।
64. काव्य में अर्थ द्वारा चमत्कार उत्पन्न करते है उसे कहते है -अर्थालंकार
65. मानवीकरण अलंकार किसे कहते है -अचेतन अथवा मानवेतर जड़ प्रकृति पर मानव के गुणों एवं कार्य कलापों का आरोप कर उसे मानव सदृश्य सप्राण चित्रित किया जाता है। अमूर्त पदार्थ एवं भावों को मूर्त रूप दिया जाता है।
66. ‘मुनि तापस जिनते दुख लहही, ते नरेश बिनु पावक दहही’ में अलंकार है -विभावना
67. जहां वास्तव में विरोध न होने पर भी किंचित विरोध का आभास हो वहां अलंकार होता है -विरोधाभास
68. प्रकृति पर मानव व्यवहार का आरोप किया जाता है वहां अलंकार है -मानवीकरण
69. ‘मेघमय आसमान से उतर रही वह संध्या सुंदरी परी सी’ में अलंकार है -मानवीकरण
70 . जहां बिना करण या विपरित कारण के रहते कार्य होने का वर्णन हो वहां अलंकार है – विभावना
काव्यशास्त्र महत्वपूर्ण प्रश्न(kaavyshastr quiz)
71 . ‘लोचन नीरज से यह देखो, अश्रु नदी बह आई में अलंकार है’ विभावना
72 . अलंकारों की निश्चित परिभाषा दी है -दण्डी ने काव्यादर्श में
73. शब्दालंकार के भेद है – आठ
74. यमक अलंकार है-जहां एक शब्द एक से अधिक बार आए और हर बार उसका अर्थ भिन्न हो।
75 . ‘अपूर्व थी श्यामल पत्रराशि में कदम्ब के पुष्प कदम्ब की छटा’ इस यमक अलंकार में कदम्ब का अर्थ प्रयुक्त हुआ है -वृक्ष और समूह के लिए
76. यमक अलंकार का उदाहण है —
फिर झट गुल कर दिया दिया को दोनों आंखे मीची
भजन कह्यो ताते भयो, भयो न एको बार
भयेऊ विदेह विदेह विसेखी
तीन बेर खाती ते वें तीन बेर खाती है
बसन देहु, व्रज में हमें बसन देहु ब्रजराज
सारंग ले सारंग चली, सारंग पूगो आय
77 . अनेक अर्थो का बोध कराने वाला एक शब्द कविता में होता है उसे कौनसा अलंकार कहते है – श्लेष
78 . श्लेष अलंकार के उदाहरण है -(रेखांकित)
जो घनीभूत पीड़ा थी, मस्तक में स्मृति छाई
दुर्दिन में आंसू बनकर वह आज बरसने आई
चली रघुवीर सिलीमुख धारी
पानी गये न उबरे मोती मानुष चून
नवजीवन दो घनश्याम हमें
सुबरन को ढूंढत फिरें कवि, कामी अरू चोर
79 . सौंदर्यमलंकार उक्ति किसकी है -आचार्य वामन की
80. किसी प्रस्तुत वस्तु की उसके किसी विशेष गुण, क्रिया, स्वभाव आदि की समानता के आधार पर अन्य अप्रस्तुत से समानता स्थापित की जाए तो अलंकार होगा – उपमा अलंकार
81. उपमा के अंग है – उपमेय (प्रस्तुत), उपमान (अप्रस्तुत), वाचक, साधारण धर्म
82. पूर्णापमा कहते है – जिसमें उपमा के चारों अंगों का उल्लेख हो।
83. लुप्तोपमा कहते है -उपमा में चारों अंगों में से एक या एक से अधिक अंग लुप्त हो
84. पूर्णापमा के उदाहरण है –
मुख कमल जैसा सुंदर है
कोमल कुसुम समान देह हो। हुई तप्त अंगारमयी
85. लुप्तोपमा के उदाहरण है –
मुख कमल जैसा
उन वर जिसके है सोहती मुक्तमाला वह नव नलिनी से नेत्रवाला कहा है
86 . जब उपमा में एक उपमेय के अनेक उपमान हो तो अलंकार होगा -मालोपमा
87. मालोपमा के उदाहरण है –
मुख चंद्र और कमल समान है
नील सरोरूह, नील मनी, नील नीरधर श्याम
आशा मेरे हृदय मरू की मंजु मंदाकिनी
88. उपमेय में उपमान की संभावना को अलंकार कहते है – उत्प्रेक्षा
89 .उपमेय में संभावना की अभिव्यक्ति के शब्द है – मानो, मनो, जानो
90. उत्प्रेक्षा, रूपक व उपमा से किस कारण अलग होता है – संभावना
91. उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण है –
मानो दो तारे क्षितिज जाल से निकले
शरद इंदिरा के मंदिर की मानो कोई गैल रही
देख कर किसी की मृदु मुस्क्यान, मानो हंसी हिमालय की है
विधु के वियोग से विकल मूक, नभ जला रहा था अपना उर
जलती थी तवा सदृश्य पथ की रज भी बनी भऊर
92 . उत्प्रेक्षा अलंकार के भेद है -वस्तुत्प्रेक्षा, हेतुत्प्रेक्षा, फलोत्प्रेक्षा
93. एक वस्तु में दूसरी वस्तु की संभावपा की जाती है (एक वस्तु को दूसरी वस्तु मान लिया जाता है) उसमें अलंकार होगा -वस्तुत्प्रेक्षा
94. वस्तुत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण है –
लखत मंजु मुनि मण्डली मध्य सीय रघुचंद, ज्ञानसभा जनु तनु धरे भगति सच्चिानंद
जनु ग्रह दशा दूसह दुखदायी
हरि मुख मानो मधुर मयंक
95. हेतुत्प्रेक्षा अलंकार कहा जाता है – इसमें अहेतु में हेतु की संभावना की जाती है, जो हेतु नहीं है उसे हेतु मान लिया जाता है।
96. हेतुत्प्रेक्षा अलंकार का उदाहरण है –
अरूण भाये कोमल चरण भुवि चलिबे तें मानु
मुख सम नहि, याते मनों चंदहि छाया छाय
मुख सम नहि याते कमल मनु जल रह्ाो छिपाई
सोवत सीता नाथ के भृगु मुनि दीनी लात
वह मुख देख पाण्डू सा पडकर, गया चंद्र पश्चिम की ओर
97. फलोत्प्रेक्षा अलंकार कहते है – अफल में फल (उद्देश्य) की संभावना की जाती है।
98. फलोत्प्रेक्षा के उदाहरण है –
तब मुख समता लहन को जल सेवत जलजात
तब पद समता को कमल जल सेवत इक पांय
बढ़त ताड को पेड यह मनु चूमन आकाश
99 . रूपक अलंकार कहते है – जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु का आरोप किया जाए यथा मुख कमल है । (उपमेय में उपमान का आरोप किया जाए)
100. रूपक अलंकार के भेद है -सांग रूपक, निरंग रूपक, परंपरित रूपक
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टॉपिक – लोंजाइनस का उदात्त तत्त्व
प्रश्न=01.लोंजाइनस का समय माना जाता है ?*
(अ) 213-72 ई( दूसरी चौथी शताब्दी)
(ब) 213-72 ई (दूसरी तीसरी शताब्दी) ✅
(स) 234-75 (दूसरी चौथी शताब्दी)
(द) 272-312 ई
प्रश्न=02.पेरिइप्सुस रचना किसकी है कब प्रकाशित हुई भाषा व शैली है? क्रमशः ?*
(अ) जॉन हॉल, 1554ई, अंग्रेजी, भाषण शास्त्र
(ब) लोंजाइनस, 1554ई डच, आत्कथा
(स) लोंजाइनस, 1554ई, यूनानी, पत्रात्मक✅
(द) अरस्तू की टिका है 1554ई ग्रीक भाषा व पत्रात्मक शैली में लिखी
व्याख्या:यह रचना एक रोमी युवक ‘पोस्तुमिउस तेरेन्तियानुस’ पर लिखी पत्रात्मक रचना है*इसमें 60पेज 44अध्याय है*
प्रश्न=03. लोंजाइनस ने औदात्य को पुष्ट करने के लिए कितने अलंकारों का उल्लेख किया है ?*
(अ) 5
(ब) 10
(स) 9
(द) 11✅
प्रश्न=04. लोंजाइनस के उदात्त तत्त्व में बाधक तत्त्व है ?*
(अ) शब्दाडम्बर
(ब) बालेयता
(स) भावाडम्बर
(द) सभी ✅
प्रश्न=05. लोंजाइनस ने बालेयता का अर्थ दिया ?*
(अ) भावावेग को प्रदर्शित करना
(ब) बचकाना
(स) सस्तापन
(द) ब स दोनों ✅
प्रश्न=06.लोंजाइनस के उदात्त तत्त्व को ‘ प्रथम भावात्मक साहित्य सिद्धान्त’ किसने कहा ?*
(अ) आचार्य शुक्ल
(ब) हजारी प्रसाद
(स) स्कॉट जेम्स
(द) डेविड डेचेज✅
प्रश्न=07. लोंजाइनस को प्रथम स्वच्छंदतावादी आलोचन किसने कहा?*
(अ) प्लेटो ने
(ब) कुंतक
(स) स्कॉट जेम्स ✅
(द) अरस्तू
प्रश्न=8. लोंजाइनस ने किस बाधक तत्त्व को जलोदर रोग कहा है ?*
(अ) भावाडम्बर को
(ब) शब्दाडम्बर को ✅
(स) बालेयता को
(द) सभी को
प्रश्न=09. ऑन द सब्लाइम किसका अंग्रेजी नाम है ?*
(अ) बायोग्राफिया लिटरेरिया का
(ब) पेरिइप्सुम का ✅
(स) पेरिपोइतिकेस का
(द) सभी का
प्रश्न=10. लोंजाइनस के अंतरंग स्रोत है ?*
(अ) महान विचार व धारणा
(ब) उद्दाम आवेग या प्रबल भावों की उत्कृष्टता
(स) भव्य शब्द योजना
(द)अ स दोनों
(य). अ ब दोनों✅
प्रश्न=11.लोंजाइनस के बहिरंग के स्त्रोत है ?*
(अ) अलंकार
(ब) भव्य शब्द योजना
(स) गरिमामय अभिव्यक्ति
(द) सभी✅
प्रश्न=12. लोंजाइनस के अनुसार उदात्त का मूल आधार व कार्य है?*
(अ) सम्मोहन, महान् विचार
(ब) अनुनयन, उद्दाम आवेग
(स) महान् विचार, सम्मोहन ✅
(द) महान् विचार, गरिमामय अभिव्यक्ति
प्रश्न=13.उदात्त है ?*
(अ) नैसर्गिक
(ब) उत्पाद्य
(स) नैसर्गिक व उत्पाद्य ✅
(द) कोई नहीं
प्रश्न=14. ” उदात्त अभिव्यंजना का अनिवर्चनीय प्रकर्ष व वैशिष्ट्य है” कथन है ?*
(अ) होरेस का
(ब) प्लेटो का
(स) लोंजाइनस का✅
(द) सेंट्सबरी का
प्रश्न=15.पेरिइप्सुस का हिंदी में अनुवाद “उदात्त के विषय में ” किसने किया ?*
(अ) निर्मला वर्मा
(ब) निर्मला जैन ✅
(स) निर्मल वर्मा
(द) निर्मल जैन
प्रश्न=16. इप्सुस का अर्थ है?*
(अ) औदात्य
(ब) ऊंचाई
(स) अ ब दोनों✅
(द) तत्व
प्रश्न=17. “लोंजाइनस की आलोचना का प्रकार शुद्ध सौंदर्यवादी व सबसे उत्कृष्ट है” कथन?*
(अ) स्कॉट जेस्स
(ब) आचार्य शुक्ल
(स) डेविड
(द) सेंट्सबरी✅✅
18. उदात्त तत्त्व का सिद्धांत है
अ लोंजाइनस का✅
ब अरस्तू का
स होगले का
द कार्ल मार्क्स का
प्रश्न 19. प्राचीन राजनीतिक दर्शन का पिता किसे माना जाता है ??
1- अरस्तू
2- प्लेटो ✅
3- सुकरात
4- लौंजाइनस
प्रश्न 20. ‘ प्राचीन राजनीति विज्ञान ‘ का पिता किसे माना जाता है ??
1- प्लेटो
2- वर्डसवर्थ
3- अरस्तू ✅
4- लौंजाइनस
प्रश्न 21.’ काव्य ‘ मिथ्या जगत की अनुकृति है । किसका मत है ??
1- प्लेटो ✅
2- अरस्तू
3- दोनों
4- वर्डसवर्थ
प्रश्न 22.कला के प्रति प्लेटो का दृष्टिकोण था ??
1- सौन्दर्यवादी
2- उपयोगितावादी ✅
3- आनंदवादी
4- मानववादी
प्रश्न 23.” एक गोबर से भरी टोकरी भी सुन्दर कही जा सकती है यदि वह अपना कोई उपयोग रखती हो l ” यह विचार है :
1- मैकियावेली
2- अरस्तू
3- प्लेटो✅
4- ड्राइडन
प्रश्न 24.अरस्तू के अनुसार अनुकरण का अर्थ है ??
1- जीवन का अनुकरण
2- कला प्रकृति की अनुकृति है ✅
3- हूबहू नकल ही अनुकरण है
4- इनमे से कोई नही
प्रश्न 25. कौन सी रचना प्लेटो की नही है ?
1- दि रिपब्लिक
2- दि लाज
3- पोएटिकस ✅
4- दि स्टैटमैन
प्रश्न 26.अरस्तू के द्वारा प्रयुक्त अनुकरण का अर्थ है सादृश्य विधान के द्वारा मूल वस्तु का पुनराख्यान l यह विचार है ???
1- हजारीप्रसाद द्विवेदी
2- नंदनदुलारे बाजपेई
3-प्रो. मरे
4- प्रो. ब्रूचर✅
प्रश्न 27.विरेचन शब्द का सम्बन्ध है ??
1- मीमेसीस
2- कैथारसीस ✅
3- अनुकृति
4- दुखांत नाटक
प्रश्न 28.विरेचन सिध्दांत के जन्मदाता है ???
1- क्रौचे
2- रिचर्ड्स
3- अरस्तू ✅
4- प्लेटो
प्रश्न 29. किसने विरेचन सिध्दांत का विरोध कर माना है कि हम नाटक इसलिए देखने नही जाते कि मनोवेगो को निकाल दे , अपितु इसलिए जाते है कि उनको अधिक मात्रा में प्राप्त करे l कहा है ???
1 अरस्तू
2 जर्मन काव्यशास्त्री लेंसिंग
3 एफ. एल. लूकस✅
4 लौंजाइनस
प्रश्न 30.लौंजाइनस ने औदात्य के पांच स्त्रोतों का उल्लेख किया है जिसमे शामिल नहीं है ???
1- उदात्त विचार
2- उदात्त भावों का चित्रण
3- अलंकार नियोजन
4- उत्कृष्ट भाषण
5- कलापरक व्याख्या ✅
6- गरिमामय रचना विधान
प्रश्न 31.लोंजाइनस ने किसे औदात्य का मूल आधार माना है ??
1- कवि की प्रतिभा को ✅
2- कवि की विद्वता को
3- व्याकरण की जानकारी को
4- भाषा ज्ञान को
प्रश्न 32.संरचनावाद की अवधारणा के प्रवर्तक थे ???
1- वाल्टर पेटर
2- कार्लाइल
3- फर्दिनांद डी सोस्यूर ✅
4- मैकियावेली
प्रश्न 33.संरचनावाद को मार्क्सवादी परम्परा में स्थान देने का श्रेय दिया जाता है ??
1- माइकल फूले
2- रोलांबार्थ
3- लुई अल्थ्यूसर ✅
4- इमरसन
प्रश्न 34.विखण्डनवाद के प्रबल समर्थक माने जाते है ???
1- लोंजाइनस
2- पाल द मान ✅
3- कार्ल मार्क्स
4- सार्त्र
प्रश्न=035.लौंजाइनस के ग्रंथ का नाम है ?*
(अ) पेरिइप्सुस✅
(ब) इंडिका
(स) द लॉज
(द) एस्थेटिक
प्रश्न=36पेरिइप्सुस का अंग्रेजी नाम है ?*
(अ) ऑन द सब्लाइम✅
(ब) ऑन द ब्लूम
(स) ऑन द स्टेटमेंट
(द) लिरिकल वोइस
प्रश्न=37. ‘ऑन द सब्लाइम’ अर्थात ‘औदात्य पर विचार’ के अस्तित्व का पता कब चला?*
(अ) 1757
(ब) 1882
(स) 1554✅
(द) 1414
प्रश्न=38. औदात्य वास्तव में है?*
(अ) एक भाव
(ब) एक विचार
(स) एक शैली
(द) उपरोक्त सभी✅
प्रश्न=39. काव्य में औदात्य के लिए आवश्यक है?*
(अ) कथानक में औदात्य
(ब) कवि के व्यक्तित्व में औदात्य✅
(स) शैली में औदात्य
(द) काव्य के किसी अंश में औदात्य
प्रश्न=40.औदात्य का मूल आधार है ?*
(अ) प्रतिभा✅
(ब) व्युत्पत्ति
(स) अभ्यास
(द) शैली
*प्रश्न=41. लौंजाइनस ने सर्वप्रथम साहित्य के साथ संबंध स्थापित किया?*
(अ) प्रवृत्तियों का
(ब) इतिहास का
(स) रचयिता का✅
(द)परंपराओं का
प्रश्न=42. लौजाइनस के अनुसार औदात्य के तत्व है ?*
(अ) उदात्त विचार एव उदात्त भाव
(ब) अलंकार नियोजन एवं उत्कृष्ट भाषा
(स) गरिमा मय रचना विधान
(द) उपरोक्त सभी✅
*प्रश्न=43. औदात्य के बाधक तत्व ?*
(अ) भाषा की अव्यवस्था एवं प्रवाह शून्यता
(ब) अनुचित विचार एवं आडंबर पूर्ण शैली
(स) ग्राम्य एव कर्ण कटु शब्दों का प्रयोग
(द) उपरोक्त सभी✅
*प्रश्न=44. ‘पेरिइप्सूस’ ग्रंथ किस नाम से विख्यात है?*
(अ) भाषण शास्त्र✅
(ब) काव्यशास्त्र
(स) उपरोक्त दोनों
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
45. लोंजाइनस का पूरा नाम मिलता है
अ केसियस लोंगिनुस
ब एटकिंस लोंगिनुस
स दियोनिसिउस लोंगिनुस✅
द विलियम लोंगिनुस
46.चंचल पद -गुम्फन,असंयत वाग्विस्तार,हीन ओर क्षुद्र अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग होता है
अ बालिशता
ब शब्दाडम्बर✅
स भावाडम्बर
द सभी
47 लोंजाइनस का विचार नही है
अ उदात्त विचार क्षुद्र या साधारण शब्दवाली में अभिव्यक्त न होकर गरिमामयी भाषा मे होते हैं
ब सुंदर शब्द ही विचार विशेष को आलोकित करता है
स लाक्षणिकता व रूपकमयता की आवश्यकता अनिवार्य बनी रहती है✅
द शब्द योजना संगीतात्मक प्रभाव के अनुकूल होनी चाहिए
48. ‘काव्य में उदात्त तत्व ‘ के रचयिता है
अ नगेन्द्र✅
ब नामवर सिंह
स निर्मला जैन
द नेमीचंद जैन
49. उदात्त का अंतरंग तत्व है
अ उत्कृष्ट भाषा
ब उदात्त विचार✅
स समुचित अलंकार
द गरिमामय रचना विधान
50 लोंजाइनस का विचार है
अ साहित्य का संबंध तर्क से नही है
ब रचनाकार कल्पना द्वारा पाठक को अभिभूत करता है
स काव्य के लिए भावोत्कर्ष मूल तत्व है
द सभी✅
51. रचना का औदात्य निर्धारित होता है
अ रचनाकार की आत्मा की महानता✅ से
ब उत्कृष्ट कल्पना शक्ति से
स भव्य बिम्ब विधान से
द अलंकारिकता से
52. लोंजाइनस मूलतः विचारक है
अ शास्त्रवादी✅
ब नव शास्त्र वादी
स कलावादी
द स्वच्छंदवादी
53.लोंजाइनस के अनुसार उदात्त का मूल आधार है
अ भाषा ज्ञान
ब प्रतिभा✅
स कवि की विध्दता
द व्याकरण की गहन जानकारी
54. लोंजाइनस से पूर्व औदात्य पर विचार व्यक्त करने वाले विद्वान है
अ पोस्तुमिउस तेरेन्तिआनुस
ब केकिलिउस✅
स होरेस
द सभी
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