आज के आर्टिकल में हम कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas) के बारे में पढेंगे। इसके साथ ही हम कर्मधारय समास किसे कहते हैं, (Karmadharaya Samas ki Paribhasha), कर्मधारय समास के उदाहरण (Karmadharaya Samas Examples) को विस्तार से पढेंगे।
कर्मधारय समास – Karmadharaya Samas
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कर्मधारय समास की परिभाषा – Karmadharaya Samas ki Paribhasha
- वह समास जिसका पहला पद विशेषण एवं दूसरा पद विशेष्य होता है अथवा पूर्वपद एवं उत्तरपद में उपमान-उपमेय का संबंध माना जाता है, कर्मधारय समास कहलाता है। इस समास का उत्तरपद प्रधान होता है एवं विगृह करते समय दोनों पदों के बीच में ’के समान’, ’है जो’, ’रुपी’ में से किसी एक शब्द का प्रयोग होता है।
- वह समास है जिसमें उत्तर पद प्रधान हो तथा पूर्व पद व उत्तर पद में उपमान-उपमेय अथवा विशेषण-विशेष्य सम्बन्ध हो, वह ’कर्मधारय समास’ कहलाता है।
- इस समास में प्रायः एक पद (प्रथम पद) विशेषण होता है तथा दूसरा पर विशेष्य होता है। उपमान और उपमेय से युक्त पद भी इस समास के अन्तर्गत माने जाते हैं।
- इस समास को समानाधिकरण तत्पुरुष समास के नाम से भी जाना जाता है। यह समास तत्पुरुष समास का एक भेद है अतः इस समास का भी उत्तर पद प्रधान होता है, किन्तु प्रथम पद द्वितीय पद की विशेषता बतलाने वाला होता है अर्थात् प्रथम पद विशेषण या उपमान के रूप में तथा उत्तर पद विशेष्य या उपमेय के रूप में प्रयुक्त होता है।
उपमेय – वह वस्तु या व्यक्ति जिसको उपमा दी जा रही है।
उपमान – वह वस्तु या व्यक्ति जिसकी उपमा दी जाती है।
विशेषण (उपमान) – संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता (समानता) प्रकट करने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं।
विशेष्य (उपमेय) – जिन संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता प्रकट की जाती है, वे विशेष्य कहलाते हैं।
जैसे – ’’पूजा सुन्दर है।’’ इस वाक्य में ’सुन्दर’ शब्द ’विशेषण’ है तथा ’पूजा’ विशेष्य है।
कर्मधारय समास के भेद – Karmadharaya Samas ke Bhed
कर्मधारय समास दो प्रकार के होते हैं –
(1) विशेषता वाचक कर्मधारय समास – विशेष्य विशेषण भाव सूचित करता है।
(2) उपमान वाचक कर्मधारय समास – उपमानोपमेय भाव सूचित करता है।
विशेषता वाचक कर्मधारय समास के 7 भेद है –
(1) विशेषण पूर्व पद
(2) विशेषणोत्तर पद
(3) विशेषणोभय पद
(4) विशेष्य पूर्व पद
(5) अव्यय पूर्व पद
(6) संख्या पूर्व पद
(7) मध्यम पद लोपी
उपमान वाचक कर्मधारय समास के 4 भेद है –
(1) उपमापूर्व पद
(2) उपमानोत्तर पद
(3) अवधारणा पूर्व पद
(4) अवधारणोत्तर पद
’’चन्द्रमुखी’’ इस पद में ’चन्द्र’ उपमान है तथा ’मुख’ उपमेय है।
कर्मधारय समास के उदाहरण – Karmadharaya Samas ke Udaharan
कर्मधारय समास के उदाहरण | |
मंदबुद्धि | मंद है जिसकी बुद्धि |
नीलगगन | नीला है जो गगन |
महात्मा | महान् है जो आत्मा |
रक्ताम्बुज | रक्त (लाल) है जो अम्बुज (कमल) |
महर्षि | महान् है जो ऋषि |
शुभागमन | शुभ है जो आगमन |
हताश | हत है जिसकी आशा |
लाल-मिर्च | लाल है जो मिर्च |
कापुरुष | कायर है जो पुरुष |
मृगनयनी | मृग के समान नयनों वाली |
तुषारधवल | तुषार (बर्फ) के समान धवल (सफेद) |
विद्याधन | विद्या रूपी धन |
चरण-कमल | कमल रूपी चरण |
ज्ञानौषधि | ज्ञान रूपी औषधि |
कुपुत्र | कुत्सित है जो पुत्र |
कुमति | कुत्सित है जो मति |
अधमरा | आधा है जो मरा |
नीलोत्पल | नीला है जो आचार |
हंसगामिनी | हंस के समान गमन करने वाली |
प्राणप्रिय | प्राणों के समान प्रिय |
नीलगाय | नीली है जो गाय |
सुलोचना | सुन्दर हैं जिसके लोचन |
भ्रष्टाचार | भ्रष्ट है जो आचार |
परमात्मा | परम है जो आत्मा |
राजर्षि | जो राजा है जो ऋषि है |
देवर्षि | जो देव है जो ऋषि है |
लाल-सुर्ख | जो लाल है जो सुर्ख (अत्यंत लाल) है |
कोमलांगी | कोमल हैं जिसके अंग/कोमल अंगों वाली |
अल्पसंख्यक | अल्प है जो संख्या में |
सज्जन | सत् है जो जन |
महापुरुष | महान् है जो पुरुष |
बहुमूल्य | बहुत है जिसका मूल्य |
उङनखटोला | उङता है जो खटोला |
खुशबू | खुश (अच्छी) है जो बू (गंध) |
मीनाक्षी | मीन के समान अक्षि वाली |
उङनतस्तरी | उङती है जो तस्तरी |
नवोढ़ा | नव है जो ऊढ़ा |
लघूत्तर | लघु है जो आचार |
भ्रष्टाचार | भ्रष्ट है जो आचार |
कुकृत्य | कुत्सित है जो कृत्य |
पीताम्बर | पीत है जो अम्बर |
नीलकण्ठ | नीला है जो कण्ठ |
पाषाणहृदय | पाषाण के समान हृदय |
नृसिंह | जो नर है जो सिंह है |
संसार सागर | सागर रूपी संसार |
नवयुवक | नव है जो युवक |
वीरबाला | वीर है जो बाला |
शिष्टाचार | शिष्ट है जो आचार |
ज्वालामुखी | ज्वाला से समान मुख |
घनश्याम | घन की तरह श्याम |
पुरुषसिंह | सिंह रूपी पुरुष |
वचनामृत | अमृत रूपी वचन |
दीर्घायु | दीर्घ है जो आयु |
महाराजा | महान् है जो राजा |
अल्पायु | अल्प है जो आयु |
क्रोधाग्नि | अग्नि रूपी क्रोध |
महाविद्यालय | महान् है जो विद्यालय |
दन्तामुक्ता | मोती जैसे दाँत वाली |
कृष्णसर्प | कृष्ण है जो सर्प |
पीताम्बर | पीत है जो अम्बर |
शोकसागर | सागर रूपी शोक |
अधपका | आधा है जो पका |
अन्ध विश्वास | अन्धा है जो विश्वास |
पूर्णेंंदु | पूर्ण है जो इन्दु |
शुभागमन | शुभ है जो आगमन |
बदबू | बद है जो बू |
नील कमल | नीला है कमल जो |
नील गाय | नीली है जो गाय |
पूर्व काल | पूर्व है जो काल |
छुटभैया | छोटा है जो भैया |
काली मिर्च | काली है जो मिर्च |
सद्धर्म | सत् है जो धर्म |
महाराजा | महान है जो राजा |
महादेव | महान् है जो देवता |
महात्मा | महान् है जो आत्मा |
नीलगगन | नीला है जो गगन |
परमात्मा | परम है जो आत्मा |
खङी बोली | खङी है जो बोली |
तलघर | तल में है जो घर |
मीनाक्षी | मीन (मछली) के समान नेत्रों वाली |
महाजन | महान् है जो जन |
परमानंद | परम है आनन्द जो |
भला मानस | भला है जो मनुष्य |
पीताम्बर | पीला है जो वस्त्र |
सद्गुण | सत् है जो गुण |
खुशबू | खुश (अच्छी) है जो बू गंध |
कालापानी | काला है जो पानी |
जवांमर्द | जवान है जो मर्द |
पुच्छलतारा | पूँछ है जिस तारे के या पूँछ वाला तारा |
मझधार | मझ (बीच) में है जो धार |
सुन्दर लाल | सुन्दर है जो लाल |
राजीव नयन | कमल के समान नेत्र हैं जो |
दिगम्बर | दिशाएँ ही हैं वस्त्र |
उङनतस्तरी | उङती है जो तस्तरी |
ऊनार्थ | ऊना है अर्थ जो |
महादेवी | महान है जो देवी |
महाप्रज्ञ | महान् है जिसकी प्रज्ञा |
कृतार्थ | पूर्ण हो गया है अर्थ जो |
सत् परामर्श | सत् है जो परामर्श |
बङाघर | बङा है जो घर |
नीलाकाश | नीला है जो आकाश |
रक्त कमल | रक्त जैसा है जो कमल |
कुमारगंधर्व | कुमार है जो गंधर्व |
दृढ़ प्रतिज्ञ | दृढ़ है जिसकी प्रतिज्ञा |
महाभोज | महान् है जो भोज |
अल्प आयु | अल्प है जो आयु |
अल्पावधि | अल्प है जो अवधि |
दीर्घावधि | दीर्घ है जो अवधि |
चरम सीमा | चरम तक पहुँचती है जिसकी सीमा |
नवयुवक | नव है जो युवक |
महर्षि | महान् है जो ऋषि |
सुदर्शन | अच्छे हैं जिसके दर्शन |
सुबोध | अच्छा है जिसका बोध |
सुरम्य | सुष्ठु है जो रम्य |
सद्बुद्धि | सत् है जो बुद्धि |
जलपरी | जल में रहती है जो परी |
लघूत्तर | लघु है उत्तर जो |
कुपथ | कु (बुरा) है जो पथ |
कुकृत्य | कुत्सित है जो कृत्य |
कुमार्ग | कुत्सित है जो मार्ग |
शिष्टाचार | शिष्ट है जो भक्ति |
ज्वालामुखी | ज्वाला के समान मुख है जो |
हताशा | हत है जिसकी आश |
गतांक | गत है जो अंक |
अंधभक्ति | अंध है जो भक्ति |
वायुयान | वायु में चलने वाला यान |
पनडुब्बी | पानी में डूब कर चलने वाला पोत |
शकरपारा | शक्कर से बना पारा |
घृतान्न | घृत मिश्रित अन्न |
छायातरू | छाया प्रधान तरू |
गुडंबा | गुङ में उबाला आम |
बहुरंगी | बहुत हैं रंग जो |
नीलोत्पल | नीला है जो उत्पल (कमल) |
शुक्ल पक्ष | शुक्ल है जो पक्ष |
महामात्य | महान् है जो अमात्य (प्रधानमंत्री) |
नवांकुर | नव है जो अंकुर |
सदाशय | सत् है आशय जो |
सन्मार्ग | सत् है जो मार्ग |
सद्गुण | सत् है गुण जो |
महाकाल | महान् है जो काल |
नीलकंठ | नीला है जो कंठ |
परमाणु | परम है जो अणु |
सूर्यमुखी | सूर्य के समान मुख |
श्वेताम्बर | श्वेत हैं वस्त्र जो |
कृष्ण पक्ष | कृष्ण है जो पक्ष |
सुपथ | अच्छा है जो पथ |
तीव्र बुद्धि | तीव्र है जिसकी बुद्धि |
गोरागट्ट | अत्यंत गोरा |
धर्मबुद्धि | धर्म है यह बुद्धि |
अधमरा | आधा है जो मरा हुआ |
टटपूँजिया | टाट की है पूँजी जो |
उत्तरार्द्ध | उत्तर वाला आधा |
महामूर्ख | महान् है जो मूर्ख |
महासागर | महान् है जो सागर |
अल्पसंख्यक | अल्प है संख्या जो |
बहुउद्देशीय | बहुत हैं उद्देश्य जो |
बहुरूपिया | बहुत है रूप जो |
अल्प बचत | अल्प है जो बचत |
अल्पाहार | अल्प है जो आहार |
अल्पजीवी | अल्प है जो जीवी |
श्याम घन | काला है जो बादल |
सुपुत्र | अच्छा है जो पुत्र |
सुपाच्य | सुष्ठु है जो पचने में |
सुलभ्य | सु है जो लभ्य |
दीर्घजीवी | दीर्घ है जीवन जो |
प्राण प्रिय | प्राणों के समान |
अरुणाभ | अरुण है आभा जो |
रक्त लोचन | रक्त (लाल) |
नवोढ़ा | नव है जो ऊढ़ा |
सद्भावना | सत् है भावना जो |
सदुद्देश्य | सत् है जो उद्देश्य जिसका |
सदाचार | सत् है जो आचार |
कापुरुष | कायर है जो पुरुष |
वीरबाला | वीर है जो बाला |
अल्पेच्छा | अल्प है इच्छा जो |
परमेश्वर | परम है जो ईश्वर |
बङभागी | बङा भाग्य है जो |
कालामुंहा | काला है मुँह जो |
महात्मा | महान् है जो आत्मा |
लालचट्ट | अत्यंत लाल |
नील लोहित | नीला है जो, लाल है जो |
सफेद झक्क | अत्यंत सफेद |
उङनखटोला | उङता है जो उत्सव |
महोत्सव | महान् है जो उत्सव |
हीनार्थ | हीन है अर्थ जो |
सज्जन | सत् है जो जन |
सद्गति | सत् है जो गति |
लाल-कुर्ती | लाल है जो कुर्ती |
तिल चावला | तिल मिश्रित चावल |
पूर्णावतार | पूर्ण है जो अवतार |
लाल पीला | जो लाल है जो पीला है |
सख्त-सुस्त | जो सख्त है जो सुस्त है |
नीलपीत | जो नीला है जो पीला है |
श्यामसुन्दर | जो श्याम है जो सुन्दर है |
कालास्याह | जो काला है जो स्याह है |
मृदुमंद | जो मृदु है जो मंद है |
मंद बुद्धि | मंद है जिसकी बुद्धि |
मंद भाग्य | मंद है भाग्य जो |
तीव्र दृष्टि | तीव्र है जिसकी दृष्टि |
बहुसंख्यक | बहुत है संख्या जो |
बहुमूल्य | बहुत है मूल्य जो |
महाकाव्य | महान् है जो काव्य |
अंधश्रद्धा | अंध है जो श्रद्धा |
सत्यप्रतिज्ञ | सत्य है प्रतिज्ञा जो |
परमआयु | परम है जो आयु |
प्रियजन | प्रिय है जो जन |
गतायु | गत है जिसकी आयु |
उदयाचल | उदय होता है (सूर्य) |
पनघट | पानी भरा जाने वाला घाट |
महावीर | महान् है जो वीर |
कृष्ण सर्प | काला साँप |
पुरुषोत्तम | उत्तम है जो पुरुषों में |
नराधम | अधम (नीच) है जो नरों में |
रामदीन | दीन है जो राम |
मोटा-ताजा | जो मोटा है जो ताजा है |
पीला जर्द | जो पीला है जो जर्द (पीला) है |
देवर्षि | जो देव है जो ऋषि हैं |
शीतोष्ण | जो शीत है जो उष्ण है |
सज्जन | सत् है जो जन |
शुभ्रवर्ण | शुभ्र (सफेद, चाँदी जैसा) है जो वर्ण |
कुपुत्र | बुरा है जो पुत्र |
कुधर्म | कुत्सित है जो धर्म |
कदाचार | कुत्सित है जो आचार |
कुलक्षण | कुत्सित है जो लक्षण |
भ्रष्टाचार | भ्रष्ट है जो श्रद्धा |
लाल-सुर्ख | जो लाल है जो सुर्ख है |
हरासघन | जो हरा है सघन है |
शुद्धाशुद्ध | अत्यन्त शुद्ध |
रामदयाल | दयालु है जो राम |
शिवदयाल | दयालु है जो शिव |
जन्मान्तर | जन्म है जो अन्य |
प्रभुदयाल | दयालु है जो प्रभु |
मुनिवर | वर (श्रेष्ठ) है जो मुनियों में |
शिवदीन | दीन है जो शिव |
रामकृपाल | कृपालु है जो राम |
देव ब्राह्मण | देव पूजक ब्राह्मण |
गुङधानी | गुङ में मिली हुई धानी |
गोबर गणेश | गोबर का बना गणेश |
ऊँच नीच | ऊँचा है जो नीचा है |
बङा-छोटा | जो बङा है जो छोटा है |
भला बुरा | जो भला है जो बुरा है |
खटमीठा/खटमिट्ठा | जो खट्टा है जो मीठा है |
कुवेश | बुरा है वेश जो |
निराशा | आशा से रहित |
दुकाल | बुरा काल |
सुयोग | अच्छा योग |
जेब घङी | जेब में रखी जाने वाली कुम्भी |
रसगुल्ला | रस में डूबा हुआ गुल्ला |
गीदङ भभकी | गीदङ जैसी भभकी |
तुलादान | तराजू में तोलकर बराबर मात्रा में दिया गया दान |
कन्यादान | कन्या का दान। |
पकौङी | पकी हुई औङी |
हाथघङी | हाथ में लगाई जाने वाली घङीे |
जल मुर्गी | जल में रहने वाली मुर्गी |
रेलगाङी | रेल पर चलने वाली |
जलपोत | जल में चलने वाला पोत |
जलकुम्भी | जल में उत्पन्न होने वाली कुम्भी |
दुर्वचन | बुरे वचन |
दही बङा | दही में डूबा हुआ बङा |
शाक पार्थिव | शाक प्रिय, पार्थिव |
डाकगाङी | डाक लेकर जाने वाली गाङी |
पनबिजली | पानी से बनने वाली बिजली |
पर्णशाला | पर्ण निर्मित शाला |
बैलगाङी | बैलों से चलने वाली गाङी |
निष्कर्ष :
आज के आर्टिकल में हमनें कर्मधारय समास (Karmadharaya Samas) के बारे में पढ़ा । इसके साथ ही हमने कर्मधारय समास की परिभाषा, (Karmadharaya Samas ki Paribhasha), और कर्मधारय समास के उदाहरणों (Karmadharaya Samas Examples) को भी विस्तार से पढ़ा। हम आशा करतें है कि आपको यह अच्छे से समझ में आ गया होगा…धन्यवाद ..आपका दिन शुभ हो ।
FAQ – कर्मधारय समास
1. मंदबुद्धि में कौनसा समास है?
उत्तर – मंदबुद्धि में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह मंद है जिसकी बुद्धि होगा ।
2. नीलगगन में कौनसा समास है?
उत्तर – नीलगगन में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह नीला है जो गगन होगा ।
3. महात्मा में कौनसा समास है?
उत्तर – महात्मा में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह महान् है जो आत्मा होगा ।
4. महर्षि में कौनसा समास है?
उत्तर – महर्षि में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह महान् है जो ऋषि होगा ।
5. लाल-मिर्च में कौनसा समास है?
उत्तर – लाल-मिर्च में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह लाल है जो मिर्च होगा ।
6. कुपुत्र में कौनसा समास है?
उत्तर – कुपुत्र में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह कुत्सित है जो पुत्र होगा ।
7. अधमरा में कौनसा समास है?
उत्तर – अधमरा में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह आधा है जो मरा होगा ।
8. नीलगाय में कौनसा समास है?
उत्तर – नीलगाय में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह नीली है जो गाय होगा ।
9. परमात्मा में कौनसा समास है?
उत्तर – परमात्मा में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह परम है जो आत्मा होगा ।
10 .राजर्षि में कौनसा समास है?
उत्तर – राजर्षि में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह जो राजा है जो ऋषि होगा ।
11. उङनखटोला में कौनसा समास है?
उत्तर – उङनखटोला में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह उङता है जो खटोला होगा ।
12. पीताम्बर में कौनसा समास है?
उत्तर – पीताम्बर में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह पीत है जो अम्बर होगा ।
13. नीलकण्ठ में कौनसा समास है?
उत्तर – नीलकण्ठ में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह नीला है जो कण्ठ होगा ।
14. घनश्याम में कौनसा समास है?
उत्तर – घनश्याम में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह घन की तरह श्याम होगा ।
15. नील कमल में कौनसा समास है?
उत्तर – नील कमल में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह नीला है कमल जो होगा ।
16. सद्गुण में कौनसा समास है?
उत्तर – सद्गुण में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह सत् है जो गुण होगा ।
17. टटपूँजिया में कौनसा समास है?
उत्तर – टटपूँजिया में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह टाट की है पूँजी जो होगा ।
18. महाकाव्य में कौनसा समास है?
उत्तर – महाकाव्य में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह महान् है जो काव्य होगा ।
19. पुरुषोत्तम में कौनसा समास है?
उत्तर – पुरुषोत्तम में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह उत्तम है जो पुरुषों में होगा ।
20. रसगुल्ला में कौनसा समास है?
उत्तर – रसगुल्ला में कर्मधारय समास है । इसका समास विग्रह रस में डूबा हुआ गुल्ला होगा ।
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