आज के आर्टिकल में हम उर्दू में हिंदी के साहित्यकार कृष्ण चंदर (Krishan Chander) के जीवन -परिचय को पढेंगे ,इनसे जुड़ें महत्त्वपूर्ण तथ्य को जानेंगे ।
जन्म:- 23 नवंबर 1914
(पाकिस्तान के वजीराबाद में)
देहांत :-8 मार्च 1977( मुंबई में)
पिता :-बलदेव सिंह
पत्नी:- सलमा सिद्दीकी
इन्हें 1961 मे पद्मभूषण मिला था।
जब यह छोटे थे तब एक बार राजकुमारों से इनकी बहस हो गई थी इनके पिता ने कहा था “कि हमारी हर चीज पर इन्हीं का अधिकार है “इसी कारण कृष्ण चंदर साम्यवादी लेखक बने।
शिक्षा(कृष्ण चंदर):-
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स्कूल के दौरान शिक्षक पर व्यंग्य लिखकर इन्होंने शिक्षक व पिता से बहुत मार खाई। और कसम खाई थी आगे से वह कुछ नहीं लिखेंगे किंतु वह खुद को रोक ना सके।
पढ़ाई के बाद आकाशवाणी में इनकी नौकरी लगी लेकिन जल्द ही इन्होंने वह नौकरी छोड़ दी।
1930 मई में इनका प्रथम कहानी संग्रह “नजारे “प्रकाशित हुआ।
“शिकस्त” इन का प्रसिद्ध उपन्यास रहा।
कृष्ण चंदर का सफर “जेहलम पर नाँव ” से शुरू होता है।
मंटो के समकालीन इनके लेखन की शुरुआत हुई जो कि रोमानी प्रवृत्ति थीलेकिन जल्द ही यह प्रगतिशील विचारधारा के लेखक बन गए।
जब कृष्ण चंदर से पूछा गया कि बच्चे दादी नानी से रात में कहानियां क्यों सुनते हैं तब उन्होंने कहा “रात के डर के कारण “पर उन्होंने यह नहीं लिखा कि लिखने वाले किस डर से लिखते हैं।
उपन्यास(Krishan Chander)
(1)एक गधे की आत्मकथा
(2) एक वायलिन समुंदर के किनारे
(3)एक गधा नेफा में
(4)तूफान की कलियां
(5)कार्निवाल
(6)एक गधे की वापसी
(7) गद्दार
(8)सपनों का कैदी
(9)सफेद फूल
(10)यादों के चिनार
(11) मिट्टी के सनम
(12) रेत का महल
(13)कागज की नांव
कहानियां
(1)जामुन का पेड़
(2)जिंदगी के मोड़ पर
(3)अन्नदाता
(4) तीन गुंडे
(5) समुंदर दूर है
(6)हम वहशी है
(7) अजंता से आगे
(8) मैं इंतजार करूंगा
(9) किताब का कफन
(10) तिलिस्म ख्याल
(11)अजनबी आंखें
(12)100 रुपए
(13)शहजादा
(14)ममता
प्रेमचंद्र व रविंद्र नाथ टैगोर के बाद कृष्ण चंदर तीसरे भारतीय लेखक हैं जिनकी कहानियों का विदेशी भाषा में जमकर अनुवाद हुआ।
”जामुन का पेड़” कहानी इनकी सरकारी व लालफीताशाही पर करारा व्यंग है।
कृष्ण चंदर की सभी कहानियों को शोषक और शोषित वर्ग को ध्यान में रखकर लिखी गई है ।
महत्त्वपूर्ण लिंक
सूक्ष्म शिक्षण विधि
पत्र लेखन
कारक
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सुमित्रानंदन जीवन परिचय
मनोविज्ञान सिद्धांत
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महादेवी वर्मा