आज के आर्टिकल में हम हिंदी के विद्वान् मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय (Munshi Premchand ka Jeevan Parichay) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी पढेंगे। premchand,prem chand,munsi prem chand,munshi premchand,prem chandra ka jivan parichay
मुंशी प्रेमचन्द का जीवन परिचय – Munshi Premchand ka Jeevan Parichay
Table of Contents
जन्म | 31 जुलाई, 1880 ई. लमही ग्राम (बनारस) |
निधन | 8 अक्टूबर 1936 ई. (काशी) |
वास्तविक नाम | धनपत राय |
पिता | अजायब लाल मुंशी |
माता | आनंदी देवी |
व्यवसाय | अध्यापक ,लेखक ,पत्रकारिता |
वास्तविक नाम | धनपत राय |
प्रेमचंद जी उर्दू में ’नवाब राय’ के नाम से लिखते थे तथा हिन्दी में ये ’प्रेमचंद’ नाम से लिखते थे।
प्रेमचंद का शुरूआती जीवन – Munshi Premchand ka Jivan Parichay
इनकी छोटी आयु में उनकी शिक्षा आरम्भ हुई। उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा से बीए तक फारसी में अध्ययन किया। लगभग 15 वर्ष की आयु 1895 ई. में इनका विवाह हो गया। ये अपनी पत्नी से खुश नहीं थे इसलिए 1906 ई. में त्याग दिया और दूसरी शादी बाल विधवा शिवरानी देवी से की। 1910 ई. में इण्टर की पढ़ाई की तथा 1919 ई. में बी.ए. की पढ़ाई पूरी की। प्रेमचंद जी ने बचपन में ’तिलिस्म-ई-होश-रूबा’ रचना का अध्ययन किया। प्रेमचंद जब 7 वर्ष के थे, जो उनकी माता का निधन हो गया।
उनकी 14 वर्ष की आयु के समय उनके पिता का देहांत हो गया था। 1898 ई. में बनारस के पास चुनार गांव में मास्टर की नौकर मिल गई। जिन दिनों प्रेमचंद जी ने विधवा शिव रानी से विवाह किया उन्हीं दिनों वह अपना छोटा उपन्यास – प्रेमा (उर्दू में ’हम-खुर्माओं हम सबाब’ लिख रहे थे) जिसका एक विधवा लङकी से विवाह कर रहा था। 1906 ई. ’प्रेमा’ का प्रकाशन किया गया। 1921 ई. में असहयोग आन्दोलन में भाग लेने और गांधी जी के कहने पर अपनी नौकरी छोङ दी।
प्रेमचंद के सम्पादन कार्य
- 1922 ई. – माधुरी पत्रिका (लखनऊ से प्रकाशित।)
- 1920-21 ई. – मर्यादा पत्रिका ’सपूर्णानन्द’ के जेल जाने पर।
- 1930 ई. हंस – बनारस से अपना मासिक पत्र निकाला।
- 1932 ई. – साप्ताहिक पत्र।
प्रेमचंद से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य – Munshi Premchand ka Jeevan Parichay
- प्रेमचंद को ’प्रेमचंद’ नाम ’जमाना’ के संपादक ’दयानारायण निगम’ ने दिया।
- प्रेमचंद की उर्दू कहानियाँ कानपुर के ’जमाना’ और ’इण्डियन प्रेस’, प्रयाग इलाहाबाद के ’अदीब’ नामक पत्रों में प्रकाशित होती थी।
- प्रेमचंद की प्रथम कहानी – ’संसार का अनमोल रत्न’ 1907 ई. में ’जमाना’ में छपी जो ’सोजेवतन’ में संकलित थी।
- प्रेमचन्द नाम से प्रथम कहानी – ममता (1908 ई.)
- नगेन्द्रानुसार हिन्दी में रचित प्रथम कहानी – सौत (1915 ई.)
- गणपतिचन्द्र गुप्त के अनुसार प्रथम कहानी – पंचपरमेश्वर (1916 ई.)
- ’मिल-मजदूर’ के नाम से फिल्म की एक पटकथा भी लिखी।
- 1908 ई. में उनका ’सोजे वतन’ नामक उर्दू कहानी संग्रह प्रकाशित हुआ जो राष्ट्रीय भावना से परिपूर्ण था।
- 1912 ई. में अंग्रेज सरकार द्वारा इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद में वे प्रेमचन्द नाम से लिखने लगे।
- 1907 ई. के बाद प्रेमचंद को अपनी कहानियाँ हिन्दी में लिखने के लिए प्रेरित करने वाले – मनन द्विवेदी थे।
प्रेमचंद के उपन्यास
उपन्यास | समय |
प्रेमा | 1907 ई. |
रूठी रानी | 1907 ई. |
सेवा सदन | 1918 ई. |
वरदान | 1921 ई. |
प्रेमाश्रम | 1921 ई. |
रंगभूमि | 1925 ई. |
कायाकल्प | 1926 ई. |
निर्मला | 1927 ई. |
गबन | 1931 ई. |
कर्मभूमि | 1932 ई. |
गोदान | 1936 ई. |
मंगलसूत्र | 1948 ई. |
प्रेमचंद के उपन्यास क्रम से ट्रिक :
प्रेमचंद के नाटक
1. 1922 ई. – संग्राम
2. 1928 ई. – कर्बला
3. 1933 ई. – प्रेम की वेदी
प्रेमचंद के कहानी संग्रह
प्रेमचन्द के नौ कहानी संग्रह प्रकाशित हुए-
- सप्त सरोज
- नवनिधि
- प्रेम पूर्णिमा
- प्रेम-पचीसी
- प्रेम-प्रतिमा
- प्रेम-द्वादशी
- समर-यात्रा
- मानसरोवर – भाग-। व भाग-।।
- कफन
- मृत्युपरांत इनके कहानी संग्रह ’मानसरोवर’ शीर्षक से 8 खण्डों में प्रकाशित हुए।
- ‘कमान किशोर गोयनका’ ने प्रेमचन्द को 301 कहानियाँ मानी है।
- शोधों के अनुसार कफन प्रेमचंद की अन्तिम कहानी मानी जाती है।
आलोचनात्मक लेख या निबंध
- 1931 ई. – ’कुछ विचार’ (बनारस से प्रकाशित)
प्रेमचंद के प्रमुख निबंध
- साहित्य का उद्देश्य
- कहानी कला (भाग 1,2,3)
- उपन्यास
- हिन्दी उर्दू की एकता
- जीवन में साहित्य का स्थान
- महाजनी सभ्यता
प्रेमचंद जी पर लिखे गए कुछ ग्रंथ
प्रेमचंद घर में | शिवरानी देवी | 1944 ई. |
प्रेमचंद | राम रत्न भटनागर | 1948 ई. |
कलम का सिपाही | अमृत राय | 1962 ई. |
प्रेमचंद जी की उपन्यास-कला | जनार्दन प्रसाद झा ’द्विज’ | 1933 ई. |
प्रेमचंद एक अध्ययन | रामरत्न भटनागर | 1944 ई. |
कलाकार प्रेमचंद | राम रत्न भटनागर | 1951 ई. |
कलम का मजदूर | मदन गोपाल | 1964 ई. |
प्रेमचंद जी के अनुवाद
- टालस्टाय की कहानियाँ(1923 ई.)
- हङताल (गाल्सवर्दी का नाटक),1930 ई.
- चाँदी की डिबिया (गाल्सवर्दी का नाटक),1931 ई.
- न्याय (गाल्सवर्दी का नाटक),1931 ई.
प्रेमचंद के मृत्यु उपरांत प्रकाशित कहानी संग्रह
- कफन और शेष रचनाएं।
- नारी जीवन की कहानियाँ।
हजारी प्रसाद द्विवेदी का कथन
- ’’प्रेमचंद शताब्दियों से पद्दलित अपमानित और उपेक्षित कृषकों की आवाज थे।’’
- प्रेमचंद की तुलना गोस्की (रूस) और लुशुन (चीन) से की जाती है।
- बंगाली के प्रसिद्ध साहित्यकार शरतचन्द्र ने इन्हें उपन्यास सम्राट की उपाधि दी।
रामविलास शर्मा ने प्रेमचंद को कबीर के बाद दूसरा बड़ा व्यंग्यकार माना है ।
महत्त्वपूर्ण लिंक :
सूक्ष्म शिक्षण विधि 🔷 पत्र लेखन
🔷प्रेमचंद कहानी सम्पूर्ण पीडीऍफ़ 🔷प्रयोजना विधि
🔷 सुमित्रानंदन जीवन परिचय 🔷मनोविज्ञान सिद्धांत
🔹रस के भेद 🔷हिंदी साहित्य पीडीऍफ़
🔷शिक्षण कौशल 🔷लिंग (हिंदी व्याकरण)🔷
🔹सूर्यकांत त्रिपाठी निराला 🔷कबीर जीवन परिचय 🔷हिंदी व्याकरण पीडीऍफ़ 🔷 महादेवी वर्मा
- मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय pdf,
- premchand ka jivan parichay,
- munshi premchand ka jeevan parichay,
- munshi premchand ka jivan parichay,
- प्रेमचंद का जीवन परिचय,
- मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय,
- premchand ka jeevan parichay,
- munshi premchand ki jivan parichay,
- premchand ji ka jivan parichay,