सरस्वती पत्रिका | सम्पूर्ण जानकारी | द्विवेदी युग | Saraswati Patrika

इस आर्टिकल में द्विवेदी युग की चर्चित पत्रिका सरस्वती पत्रिका(Saraswati Patrika) के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले है

सरस्वती पत्रिका – Saraswati Patrika

  • ‘सरस्वती’ हिन्दी की पहली रूप-गुण सम्पन्न प्रतिनिधि पत्रिका थी।
  • ’सरस्वती’ पत्रिका का महत्त्वपूर्ण अवदान हिंदी भाषा को परिमार्जित, स्थिर एवं व्याकरण सम्मत बनाना था। वास्तव में हिंदी को मानक स्वरूप देने में द्विवेदी जी के सत्रह वर्ष के लम्बे सम्पादक-काल की बड़ी भूमिका थी। जो भी लेख या कविताएँ उनके पास आती थीं, वे उसका संस्कार कर परिनिष्ठित रूप में प्रकाशित करने का उपक्रम करते थे। लेखकों की वर्तनीगत भूलों और शब्दगत दोषों को दिखाकर उन्होंने हिंदी लेखकों को शुद्ध और व्याकरण सम्मत लिखने के लिए प्रेरित किया। भाषा की शुद्धता के निर्भीक आलोचना का भी उन्होंने सहारा लिया।
  • डॉ. बच्चन सिंह के अनुसार, ’’इस पत्रिका के प्रकाशन का निश्चय एक बंगाली सज्जन ’चिंतामणि घोष’ ने किया था, जो इंडियन प्रेस, इलाहाबाद के स्वत्वाधिकारी (मालिक) थे।’’
  • इसके विचारधारक चिंतामणि घोष के अनुरोध पर नागरी प्रचारिणी सभा, काशी ने इसका संपादन दायित्व स्वीकार किया था।
  • नागरी प्रचारिणी सभा – 1893 ई., काशी (रामनारायण मिश्र, डॉ . श्यामसुन्दर दास, शिवकुमार सिंह)
  • इसका सर्वप्रथम प्रकाशन 1900 ई. काशी से शुरू हुआ था।

इसके शुरुआती एक वर्ष तक इसका संपादन कार्य एक ’संपादक मण्डल’ द्वारा किया गया था, जिसमें निम्न विद्वान शामिल थे –

(1) बाबू श्यामसुन्दर दास

(2) राधाकृष्णदास

(3) जगन्नाथदास

(4) कार्तिक प्रसाद

(5) किशोरी लाल गोस्वामी

ट्रिक – किशोरी राधा श्याम के साथ कार्तिक के महीने में जगन्नाथ यात्रा पर गई।

  • 1901 ई. में बाबू श्यामसुंदरदास को स्वतंत्र रूप से अकेले को ही इसके संपादन का दायित्व सौंप दिया गया।
  • 1903 ई. में महावीर प्रसाद द्विवेदी इनके सम्पादक बने तथा उन्होंने 1903 ई. से लेकर 1920 ई. तक इसका सम्पादन इलाहबाद से किया।
  • महावीर प्रसाद द्विवेदी जी के नेतृत्व में इस पत्रिका ने इसमें प्रकाशित सम्पूर्ण साहित्य विधा को व्याकरण और भाषा की दृष्टि से परिष्कार किया।
  • द्विवेदी जी सरस्वती पत्रिका में ‘भुजंग भूषण भट्टाचार्य’ के नाम से छद्म रूप में साहित्य लेखन करते थे
  • इस पत्रिका के माध्यम से अनेक कवि और लेखक प्रकाश में आये।
  • 1905 ई. में सरस्वती पत्रिका की मुख्य पृष्ठ से काशी प्रचारिणी सभा का नाम हट गया।
  • 1920 ई. से 1947 ई. तक पण्डित देवीदत्त शुक्ल इसके सम्पादक रहे।
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इस पत्रिका को ’20वीं शताब्दी के प्रारम्भिक काल का विश्वकोश’ कहकर पुकारा है।
पदबंध क्या है  तत्सम व तद्भव शब्दपारिभाषिक शब्दावली
वचनहिंदी बारहखड़ी सीखेंप्रत्यय
शब्द शुद्धि ओर वाक्य शुद्धि के नियमशब्द भेदवाक्य रचना अन्वय
हिंदी पत्र लेखनसर्वनामहिंदी में लिंग बदलना सीखें
व्याकरण किसे कहते हैं लेटर क्या होता है  लिंग
कारक स्वर व्यंजन क्रिया
हिंदी मात्रा सीखेंहिंदी वर्णमाला चित्र सहितसंयुक्त व्यंजन कितने होते हैं ?
हिन्दी मुहावरेवर्ण-विच्छेद क्या होता है ?गुणवाचक विशेषण
संख्यावाचक विशेषणपरिमाणवाचक विशेषणसार्वनामिक विशेषण
अनेकार्थी शब्दविशेषणवाक्य शुद्धि
विलोम शब्दमुहावरे और लोकोक्ति में अंतरअव्यय के बारे मे जानें
शब्द समूह के लिए एक शब्द

वाक्य 

संज्ञा
कालभाषा किसे कहते हैतुकांत शब्द
तत्पुरुष समासअव्ययीभाव समाससमास
उपसर्गवाच्य : परिभाषा, भेद और उदाहरणविराम चिह्न क्या है
वर्ण किसे कहते हैनिश्चयवाचक सर्वनामसमुच्चयबोधक अव्यय
संधि हिंदी वर्णमाला 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top