आज के आर्टिकल में हम प्रसिद्ध नाटककार और जीवनीकार ” विष्णु प्रभाकर”(Vishnu Prabhakar) के जीवन का संक्षिप्त परिचय जानेंगे ,इनसे जुड़ें महत्त्वपूर्ण तथ्य पढेंगे ।
जन्म:- 21 जून 1921 मुजफ्फरपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ।
मृत्यु: 11 अप्रैल 2009
🔷पिता:- दुर्गा प्रसाद
💠माता:- महादेवी
🔷भाई :-पांच
जीवन व शिक्षा :-
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12 वर्ष तक माता-पिता के साथ रहे फिर “पंजाब में मामा “के पास शिक्षा प्राप्त करने गए। तब परिस्थितियां एकदम बदल गई मां के प्रेम से वंचित हो गए। जाने अनजाने में अवस्था से पूर्व बड़े होने की भावना का जन्म हुआ।
⇒”मेरे पढ़ने के पीछे मेरे मामा जी की रूचि रहती थी “:-विष्णु प्रभाकर
⇒16 वर्ष की आयु में स्थित “आरके चंदूलाल एंग्लो वैदिक स्कूल “से 1929 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। उसके बाद बी.ए. “की परीक्षा पास की।
नौकरी :-
मैट्रिक के बाद से शिक्षा जारी रखने के लिए छोटी-मोटी नौकरी करते हैं कुछ समय वह “आकाशवाणी “में निर्देशक के रूप में रहे (दिल्ली मे )।
🔷”हिंदी ग्रंथ रत्नाकर प्रकाशन संस्था “के मालिक “नाथूराम प्रेमी” ने उनको शरद चंद्र की जीवनी लिखने के लिए प्रेरित किया 1968 से 1973 तक किसी कार्य में व्यस्त रहे।
विवाह :-
26 वर्ष की आयु में हरिद्वार के सुशीला के साथ उनका विवाह हुआ जिससे उन्हें चार बच्चे हुए अनीता, अतुल, अमित, अर्चना।
व्यक्तित्व :-
गांधीवादी व आदर्शवादी स्वभाव था इनका “मानव ” उनका लक्ष्य था।
⇒वह ‘मानवतावादी’आदर्श के बिना जीवित नहीं रह सकते थे ⇒वह स्वयं कहते हैं, :- कि मनुष्य मे जो कुछ दिखाई देता है केवल वही नहीं है, इसमें अतिरिक्त वह कुछ और ही है बल्कि वह और कुछ से अधिक है आदर्श और यथार्थ का संबंध है समन्वय मुझे प्रिय है, ‘मानवता’ मेरा लक्ष्य है।
⇒वे सदैव खादी के वस्त्र पहनते थे वे साहित्यकार कम और नेता ज्यादा लगते थे।
🔷स्वभाव:- विष्णु प्रभाकर स्वभाव से अत्यंत सज्जन और शांत है गंभीरता उनके स्वभाव का एक विशेष गुण है।
⇒’एकांत’उनको अधिक प्रिय है।
रचना संसार(Vishnu Prabhakar):-
साहित्य के प्रति उन्हें बचपन से अनुराग रहा ⇒1926 ईस्वी में बाल सखा में पत्र लिखें।
⇒1934 लेखन कार्य निरंतर रहा आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण पढ़ाई पूर्ण न कर पाए।
⇒पढ़ने के शौकीन थे इसलिए चंद्रकांता, चंद्रकांता संतति से लेकर प्रेमचंद, प्रसाद, रविंद्र नाथ, शरद चंद्र, बंकिम चंद्र चटर्जी को पढ़ा। ” शरतचंद्र ” ने उनको विशेष प्रभावित किया।।
रचनाएं:-
अनेक लिखी गई उपन्यास, नाटक व अन्य विधाओं में उन्होंने श्रेष्ठ कार्य किया।।
उपन्यास
(1)निशिकांत :-यह इनका पहला उपन्यास है, इसका कथानक सामाजिक और सामूहिकता के बिंदु से आरंभ होकर वैयक्तिक धरातल पर समाप्त होता है। 1920 से 1936 तक सामाजिक राजनीतिक जीवन को आधार बनाकर मध्यम वर्ग के एक ऐसे संवेदनशील युवक की कहानी कही गयी है।
(2)तट के बंधन :- इस उपन्यास में भारत व पाकिस्तान में फंसी नारियों की शारीरिक व मानसिक यातना का चित्रण करते हुए नारी जीवन के रास्ते को बताने की कोशिश करते हैं साथ ही वे नारी को स्वयं अपने पथ का निर्माण करने की प्रेरणा देते हैं।
स्वपनमयी:- इस उपन्यास में नारी की समस्याओं को उजागर करने का प्रयास किया गया है ।एक ऐसी मां की कहानी है जो घर और बाहर दोनों जगह अपना दायित्व निभाती है।
(4)दर्पण का व्यक्ति :-यह उपन्यास अन्य उपन्यासों से भिन्न है पूरी कहानी केवल एक पत्र में सिमटी हुई है।
(5)अर्धनारीश्वर :-सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है,1993 मे इसे साहित्य अकादमी मिला।
(6)कोई तो :-यह उपन्यास मध्यम वर्गीय नैतिकता का पर्दा फाश करता है।
कहानियां (Vishnu Prabhakar)
⇒विष्णु प्रभाकर ने कहानियां 1934 से लिखनी शुरू की ‘स्नेहा ‘नामक इनकी पहली कहानी थी किंतु ‘नई कहानी’ और ‘समकालीन कहानी ‘के खेमेबाजी में उन्हें स्थान नहीं मिलता ।उनकी कहानियों का हिंदी समीक्षा में समुचित स्थान न मिलने का एक और कारण यह है कि उनके नाटककार, एकांकीकार जीवनीकार के सम्मुख उनका कहानीकार कुछ उपेक्षित रह गया है।
उनके द्वारा रचित कहानी संग्रह निम्न है-
(1)रहमान का बेटा
(2)जिंदगी के थपेड़े
(3)संघर्ष के बाद
(4)धरती अब भी घूम रही है ⇒(5)सफर के साथी
(6)खंडित पूजा
(7)मेरी 33 कहानियां
8) पुल टूटने के बाद
(7) जीवन पराग
नाटक
⇒नाटककार विष्णु प्रभाकर हिंदी साहित्य में नाटककार के रूप में प्रसिद्ध रहे थे, सन् 1951 ईस्वी से नाटक की रचना कर रहे हैं
इनके प्रसिद्ध नाटक हैं-
(1)डॉक्टर
(2)बिंदी
(3)अब और नहीं
(4)सत्ता के आर-पार
(5)गांधार की भिक्षुणी
(6) नवप्रभात
(7)केरल का क्रांतिकारी
(8)टूटते परिवेश
(9)युगे युगे क्रांति
(10) श्वेत कमल
(1) डॉक्टर :-इनका प्रसिद्ध नाटक है। पति द्वारा परित्यक्ता पत्नी की क्रिया प्रतिक्रिया का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत करता है, इसमें शिक्षित और बुद्धि वाली नारी के वैवाहिक संबंधों में व्याप्त अस्थिरता और गहन अंतर्द्वंद को चित्रित किया गया है।
(2)बंदिनी:- इसकी घटना अंधविश्वास पर आधारित है।
(3)सत्ता के आर-पार:- यह नाटक जैन तीर्थंकर ऋषभदेव के जेष्ठ पुत्र महाराज भारत और उसके अनुज महाराज बाहुबली के बीच के सत्ता संघर्ष को प्रस्तुत करता है।
(4) गंधार की भिक्षुणी :- हूण अत्याचार और मानव उत्थान की कथा है, भिक्षुणी आनंदी का आत्म संघर्ष अभिशप्त महत्वपूर्ण प्रेम का वर्णन करता है।
(5)नव प्रभात :-विष्णु प्रभाकर पुरुष अशोक की मानवगत संवेदना और दुर्बलताओ का चित्रण करते हुए उन्हें एक मानव रूप मे प्रस्तुत करने का प्रयास करते है।
(6)केरल का क्रांतिकारी :-वेलूतमपी दलवा का अदम्य और अभूतपूर्व साहस का चित्रण किया गया है।
(7)टूटते परिवेश :-नाटक की समस्या यथार्थ जीवन की समस्या है मध्यम वर्गीय परिवार की कहानी प्रस्तुत की गई है।
(8)यूगे यूगे क्रांति :-विवाह के क्षेत्र में चिर काल से चली आ रही क्रांति का निरूपण किया गया है 1857 से अभी तक के सामाजिक परिवर्तन का तुलनात्मक अध्ययन करता है।
(9)श्वेत कमल:- अभिशप्त नारी की दर्दनाक दास्तां।
(10) कुहासा और किरण:- राजनीतिक जीवन से जुड़ा प्रसिद्ध नाटक।
एकांकी
विष्णु प्रभाकर फ्रायड के मनोविश्लेषण वाद से प्रभावित थे।
⇒1939 में यह एकांकी लिखने लगे इनकी अधिकतर एकांकी सामाजिक हैं।
(1)मैं भी मानव हूं
(2)अशोक
(3)पाप
(4)बंधन मुक्त
(5)रक्त चंदन
(6)देवताओं की घाटी
(7)वीर पूजा
(8)नया समाज
(9) प्रतिशोध
अन्य महत्वपूर्ण एकांकी
जीवनी
⇒ विष्णु प्रभाकर ने शरद चंद्र पर आवारा मसीहा (awara masiha) नामक जीवनी लिखी।
⇒यह 1974 में प्रकाशित हुई
⇒इसे लिखने में 14 वर्ष लगे ⇒
इसके 3 भाग है।
(1) दिशांत
(2)दिशा की खोज
(3)दिशा हारा
सम्मान
सम्मान :-1993 :-साहित्य अकादमी पुरस्कार (‘अर्द्धनारीश्वर’ उपन्यास पर)
ज्ञानपीठ का मूर्तिदेवी पुरस्कार
महत्त्वपूर्ण लिंक
- सूक्ष्म शिक्षण विधि
- पत्र लेखन
- कारक
- क्रिया
- प्रेमचंद कहानी सम्पूर्ण पीडीऍफ़
- प्रयोजना विधि
- सुमित्रानंदन जीवन परिचय
- मनोविज्ञान सिद्धांत
- रस के भेद
- हिंदी साहित्य पीडीऍफ़
- समास(हिंदी व्याकरण)
- शिक्षण कौशल
- लिंग (हिंदी व्याकरण)
- हिंदी मुहावरे
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
- कबीर जीवन परिचय
- हिंदी व्याकरण पीडीऍफ़
- महादेवी वर्मा