रामचंद्र शुक्ल

जन्म - 4 अक्टूबर , 1884 ई. जन्म स्थान -बस्ती जिले के अगौना गांव में उत्तरप्रदेश

– जायसी ग्रन्थावली(1925 ई. ) – भ्रमरगीत सार(1926 ई. ) – गोस्वामी तुलसीदास – वीर सिंह देव चरित – भारतेन्दु संग्रह – हिन्दी शब्द सागर

शुक्ल जी द्वारा सम्पादित कृतियाँ

– जायसी – तुलसी – सूरदास – रस मीमांसा (1949 ई.) – भारत में वसन्त – मनोहर छटा – मधु स्त्रोत

कविताएँ

शुक्ल जी ने सैद्धान्तिक समीक्षा पर जो कुछ भी लिखा वो उनकी मृत्यु के बाद संग्रहित कर ’रस मींमासा’ नामक पुस्तक से प्रकाशित करवाया गया।

शुक्ल जी ने काव्य की कर्म योग एवं ज्ञान योग के समकक्ष रखते हुए ’भावयोग’ कहा जो मनुष्य के हृदय को मुक्तावस्था में पहुंचाता है।

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपनी निबंध यात्रा को ’बुद्धि की यात्रा हृदय के साथ’ कहा है।

यदि गद्य लेखकों की कसौटी है तो निबंध गद्य की कसौटी है। भाषा की पूर्ण शक्ति का विकास निबंधों में ही सबसे अधिक संभव है।

आचार्य रामचन्द्र के अनुसार

आचार्य शुक्ल के चिन्तामणि भाग-1 व भाग-2 के निबंध पहले विचार वीथी (1930 ई.) नाम से प्रकाशित हुए थे

आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय पढ़ें...